जोधपुर।    महाराष्ट्र के मराठवाड़ा एवं विदर्भ क्षेत्रों में सूखे का मुद्दा इन दिनों पूरे देश में छाया हुआ है और बॉम्बे हाईकोर्ट ने इसे गंभीर मानते हुए प्रसंज्ञान तक लिया है। जोधपुर के बनाड़ रोड स्थित एकता नगर में हर दिन लोग पानी का इंतजार करते हैं और आस करतेे हैं कि आखिर आज तो पीने का पानी मिलेगा। इनकी यह आस हर दिन अधूरी रह जाती है और पानी की बूंद तक नल से नहीं निकलती। फिर भी शिकायत के बाद कोई अधिकारी नहीं जागता। पेयजल संकट से परेशान सनसिटी के एकता नगर के लोगों ने शुक्रवार को खाली बर्तन लेकर प्रदर्शन किया। इस दौरान एक्सपोज टीम ने यहां के लोगों की हालत मौके पर जाकर देखी।

हजारों की नहीं, एक अधिकारी की परवाह

रमजान जी का हत्था के पास एकता नगर में हजारों लोग पानी को तरस रहे हैं, कहीं पेयजल लाइन है, तो पानी नहीं आ रहा, तो कहीं पेयजल लाइन ही नहीं है। जिम्मेदारों को इन लोगों की परवाह नहीं, लेकिन अपने अधिकारियों के घर जलापूर्ति में कोई कसर नहीं छोड़ते। एकता नगर के प्लॉट नंबर 47 में रह रहे एईएन श्यामलाल चौधरी के घर तक विभाग की मेहरबानी के चलते दो-दो कनेक्शन लग गए हैं। इनके यहां एक कनेक्शन से कभी-कभार पानी नहीं आता था। इसके लिए विभाग ने यहां बनी सड़क भी खोद डाली और इनके घर तक दूसरी लाइन बिछवा दी।

पानी के लिए खरीदते हैं टैंकर

यहां के क्षेत्रवासी पानी के लिए अपनी आवश्यकतानुसार टैंकर खरीदते हैं। कई लोग चार दिन में तो कई सात दिन में पानी का टैंकर डलवाते हैं। यह पानी का टैंकर 750 रुपए से कम में नहीं आता। ऐसे में इन लोगों को पानी के लिए हजारों रुपए खर्च करने पड़ रहे हैं।

हर बार बजट का बहाना

क्षेत्रवासियों का कहना है कि वे पिछले पांच साल से यहां के सरपंच और अधिकारियों से पेयजल लाइन बिछाने और पानी देने के लिए मिल रहे हैं, लेकिन जनप्रतिनिधि और अधिकारी बजट नहीं होने की बात कहकर पल्ला झाड़ते हैं।

महीने में एक बार भी पानी नहीं आता

पेयजल लाइन हैं, लेकिन महीने में एक बार भी पानी नहीं आता। महीने में एक-आध बार किस्मत से आ जाए, तो बात अलग है। पीने के लिए बाहर से पानी के टैंकर मंगवाते हैं। जनप्रतिनिधि और अधिकारियों से हर रोज शिकायतें करते हैं, लेकिन हमारी सुनवाई नहीं होती।

पिछले सात साल से पानी की लाइन नहीं है। कई बार सरपंच से मिल चुके हैं। इस बार भी मिले तो बोले बजट नहीं है। नया बजट आएगा, तो लाइन डालेंगे। अधिकारियों से मिलते हैं, तो कोई जवाब नहीं मिलता। हमें पानी कब मिलेगा, इसका जवाब किसी के पास नहीं है।