हस्तक्षेप

– हरीश बी. शर्मा
पहले स्कूलों में शिक्षकों के लिए ड्रेस संबंधी नियम, फिर मोबाइल पर रोक और इसके बाद महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम स्कूलों को बंद करके इन स्कूलों को फिर से सामान्य श्रेणी की स्कूलें बनाने पर आमदा राजस्थान सरकार के निर्णय पर कांग्रेस हमलावर हो चुकी है। हालांकि, कांग्रेस ने ड्रेस और मोबाइल से जुड़े बयानों पर अपनी प्रतिक्रिया नहीं दी थी, लेकिन कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने साफ तौर पर कहा है कि अगर ऐसा हुआ तो मुखर विरोध किया जाएगा। हालांकि, यह दीगर है कि अंग्रेजी माध्यम स्कूलें खोलने के निर्णय से शिक्षक-समुदाय भी उत्साहित नहीं है। बहुत सारी स्कूलों में तो अंग्रेेजी पढ़ाने वाले शिक्षक ही नहीं मिल रहे हैं, क्योंकि अंग्रेेजी वही पढ़ाने में समर्थ होंगे, जो थ्रू-आउट अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में पढ़े हो। सिर्फ अंगे्रेजी साहित्य का अध्ययन करने वालों से यह उम्मीद की जाए कि वे बच्चों को अंग्रेजी में प्राथमिक शिक्षा दे देंगे तो यह दूर की कौड़ी होगी।

इस तरह की समस्याएं महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में शिक्षकों की भर्ती के समय ही आने लगी थी, जिसके बाद विकल्पों पर काम शुरू हुआ, लेकिन अगर इस परियोजना पर बड़े स्तर पर सरकार सोच रही है कि आयातित  शिक्षकों से कैसे काम करवाया जा सकता है।
इस बीच कांग्रेस सरकार ने इन स्कूलों का नाम महात्मा गांधी के नाम से होने पर भी विवाद को जन्म दे दिया, क्योंकि महात्मा गांधी कभी भी अंग्रेजी शिक्षा के पैरोकार नहीं थे। भारत की आजादी के बाद जब एक पत्रकार ने उनसे अंंग्रेजी में इंटरव्यू करना चाहा तो उन्होंने मना कर दिया। पूर्ववर्ती अशोक गहलोत सरकार ने जब इन स्कूलों को नाम महात्मा गांधी के नाम से रखा तो इस दिशा में राजस्थान के विद्वानों ने चेताया भी, लेकिन किसी की नहीं सुनी गई और आनन-फानन स्कूलें खोल दी गईं। जबकि शिक्षा विभाग के पास अंग्रेजी में निष्णात शिक्षक भी नहीं थे।

इस तरह की समस्याओं के बीच प्रदेश से कांग्रेस सरकार चली गई और भाजपा की सरकार आ गई, जिसने गहलोत सरकार के समय में चलाई जाने वाली सारी योजनाओं की समीक्षा करते हुए उन्हें बंद करने या संशोधन करने की दिशा में काम किया। इस क्रम में महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम स्कूल परियोजना का नंबर भी लग गया है, जिसके लिए शिक्षक भी मन से तैयार नहीं हैं। इन स्कूलों में लगने वाले शिक्षक हालांकि पूरी निष्ठा से काम कर रहे होंगे, लेकिन अपेक्षित परिणाम भी नहीं मिल रहे हैं। यही वजह है कि एक तरफ जहां ड्रेस कोड या मोबाइल को लेकर शिक्षक संघों ने अपने-अपने तरीके से विरोध दर्ज करवाया है, लेकिन कांग्रेस चुप रही। अंग्रेजी माध्यम स्कूलों को बंद करने संबंधी बयानों पर शिक्षक संघ कोई भी प्रतिक्रिया देने से कतरा रहे हैं, क्योंकि उन्हें भी लगता होगा कि यह झंझट ही है, लेकिन कांग्रेस ने घोषणा कर दी है कि वह भाजपा सरकार की ईंट से ईंट बजा देगी। कांग्रेस का बयान इसलिए आया है क्योंकि उसके पास विरोध करने के राजनीतिक कारण है, लेकिन भाजपा सरकार के पास निश्चित रूप से इस संबंध तथ्य और तर्क होंगे, जिसकी वजह से अंग्रेजी माध्यम स्कूलों की असफलता गिना सके। देखना यह है कि शिक्षा जगत पर फोकस हुई सरकार आने वाले दिनों में शैक्षिक परिदृश्य को सुधारने के लिए किस तरह की योजनाओं का क्रियान्वयन करती है।

‘लॉयन एक्सप्रेस’ के संपादक हरीश बी.शर्मा के नियमित कॉलम ‘हस्तक्षेप’ के संबंध में आपके सुझाव आमंत्रित हैं। आप 9672912603 नंबर पर वाट्स अप कर सकते हैं।