अपनी स्थापना के पांच सौ सैंतीसवें वर्ष में बीकानेर इतना फैल चुका है कि यहां रहने वाले आधे लोगों को पता ही नहीं है कि इसके जन्मदिन से जुड़ी परंपरा क्या है। जिस परकोटे की संस्कृति को लेकर मीडिया में नित की खबरें आती हैं, उस परकोटे से बाहर एक नया शहर बन गया है, जिसे सिर्फ यह पता है कि अगर होली के दिन पुराने शहर में प्रवेश कर लिया तो गत-बिगाड़ देंगे, इत्यादि। बहरहाल, एक सजीव शहर का जन्मदिन आखाबीज और तीज को है, इस दिन हर घर में पारंपरिक व्यंजन खिचड़ा-आमली बननी तय है, पतंगें भी उड़ाई जाएंगी, लेकिन इस बार जिस तरह से आयोजनों की बहार आई है, ऐसा लग रहा है कि पहली बार इस शहर का जन्मदिन इस तरह मनाया जा रहा है। कहीं ‘उच्छब-थरपणा’ हो रहा है तो कहीं ‘हरख बीकाणाÓ। विचार गोष्ठियां, कवि-सम्मेलन, सम्मान समारोह के साथ ‘मेरी मातृभूमि, मेरी जिम्मेदारीÓ कार्यक्रम भी शुरू हो रहा है। इस बात पर किसे आपत्ति हो सकती है कि कार्यक्रम नहीं हो। बीकानेर में तो परंपरा है कि एक कार्यक्रम शुरू करने के लिए जो लोग एकत्र होते हैं, वही लोग कालांतर में अलग-अलग बैनर बना लेते हैं। रावण-दहन के आयोजन का उदाहरण है। कहते हैं कि पहले शहर में रावण-दहन का कार्यक्रम नहीं होता था। पाकिस्तान से आए लोगों ने यह कार्यक्रम शुरू किया। फिर यह आयोजन भी दो जगह होने लगा। पिछले कुछ सालों से तीन जगह भव्य दशहरा महोत्सव होता है। तो नगर स्थापना दिवस का कार्यक्रम तो लाजिमी है, हो भी रहे हैं।

लेकिन इस आयोजन में पुलिस और प्रशासन की भूमिका चाइनीज मांझे को लेकर जो है, उसे संतोषजनक भी नहीं कहा जाता। इस मांझे से राह में चलते लोगों की गर्दनें कट रही हैं। निरीह पंछी बेमौत मर रहे हैं।
जिस बीकानेर रियासत के लिए ‘बळ पड़ते जाळी-झरोखों’ की बात कही जाती है, उस रियासत से ऐसे उदाहरण भी मिलते हैं कि अपराधियों को किसी तरह की छूट नहीं दी गई, लेकिन इसके बाद आजादी के आंदोलन में स्वतंत्रता की मांग करने वालों पर दमन के किस्से भी खूब हैं तो आजाद होने के बाद राजस्थान के एक शहर बने इस शहर में कई बार कानून और व्यवस्था पर सवाल भी उठे हैं। कभी शांतिप्रिय माने जाने वाले इस शहर के लिए यह भी कहा गया कि यहां आने वाला अफसर सेवानिवृत्ति के बाद यहां रहने के लिए एक प्लॉट जरूर लेता है तो इन दिनों बीकानेर से निकलने वाली खबरें दिल दहला देने वाली है।

इसी सप्ताह की सुर्खियों को बात करें तो बड़े भाई ने अपने परिवार के साथ मिलकर छोटे भाई की हत्या कर दी और लाश का अंतिम संस्कार भी करवा देता गर मृतक की पत्नी हंगामा खड़ा नहीं करती। तीन के जे डी की इस हृदय विदारक घटना में हरविंदरसिंह की मौत का कारण जमीन का हिस्सा मांगना सामने आया है। कोलायत में 15 साल की लड़की के साथ सामूहिक दुष्कर्म का मामला दर्ज हुआ है तो श्रीडूंगरगढ़ में चचेरी बहन के साथ रिवाल्वर की नोक पर दुष्कर्म करके वीडियो बनाने की बात सामने आई है। भजन गाने वाले एक कलाकार पर भी ऐसे ही आरोप लगे हैं। महिला से छेड़छाड़ के मामले में महाजन थाने के एसएचओ कश्यपसिंह और रीडर कांस्टेबल सुनील कुमार के खिलाफ मामला दर्ज हुआ। दोनों लाइन हाजिर कर दिए गए हैं। बताते हैं कि पीडि़त को मामला दर्ज करवाने के लिए आईजी से गुहार लगानी पड़ी। पिछली बार इसी कॉलम में पाकिस्तान से ड्रोन के जरिये नशीला पदार्थ आने की घटना पर सवाल उठाए गए थे। इस बार नशे के सौदागर रंगे-हाथ पवनपुरी के पास पकड़े गए। इनके पास मिला एमडी नाम का नशा इन दिनों नये नशेडिय़ों की पहली पसंद बना हुआ है। केंद्रीय कारागृह में जेलर सूरजनारायण की बंदियों ने मिलकर पिटाई कर दी है। जेल में चल रही सख्ती के कारण नाराज बंदियों ने इस कारनामे को अंजाम दिया।

देश में चल रहे आम-चुनाव के तीसरे चरण पूर्ण होते-होते सट्टा बाजार के समीकरण बिगड़ चुके हैं। बनते-बिगड़ते समीकरणों में भाजपा वालों की सांसें उलझी हुई है। कांग्रेस वाले पछता रहे हैं कि थोड़ी-सी मेहनत कर लेते तो पौ-बारा पच्चीस हो जाता। पाटा इस बात के लिए तो आश्वस्त है कि सरकार भाजपा अपने सहयोगियों के साथ बना लेगी, लेकिन कैसे के सवाल पर जवाब गोलमोल आने लगे हैं। नगर विधायक जेठानंद व्यास को जैसे पूर्व काबीना मंत्री डॉ. बी डी कल्ला के बयान का इंतजार ही रहता है। व्यास के माध्यम से आ रहे सधे हुए और तर्कपूर्ण बयानों पर लोग चटखारे लेते दिखाई दे रहे हैं। अलबत्ता, स्कूलों में मोबाइल नहीं ले जाने संबंधी शिक्षा मंत्री मदन दिलावर के बयान पर तीखी प्रतिक्रियाएं आनी शुरू हो गई है। एक समय में यहां शिक्षकों के आक्रामक नेता हुआ करते थे, लेकिन अब वो बात कहां। बहरहाल, नगर स्थापना दिवस की सभी को शुभकामनाएं। कुछ भी हो, यह शहर लाजवाब है…
बीका थारौ बीकाणौ अपणायत रो गांव
मुरधर रो सरताज बणै भरिया रेवै हर ठांव