लॉयन न्यूज, बीकानेर। विविध भारती के पूर्व चैनल हैड महेंद्र मोदी की बोधि प्रकाशन से प्रकाशित राजस्थानी की दो कृतियों का लोकार्पण गुरुवार को रोटरी भवन में हुआ। नट साहित्य-संस्कृति संस्थान की ओर से आयोजित इस समारोह में मोदी का संस्मरण ‘आड्यां अळूझी जूण’ और ‘तिरसे सुपनां रा पुळ’ का लोकार्पण हुआ। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वरिष्ठ रंगकर्मी, पत्रकार, साहित्यकार मधु आचार्य ‘आशावादी’ थे। अध्यक्षता अरुण प्रकाश गुप्ता ने की। मुख्यवक्ता वरिष्ठ व्यंग्यकार बुलाकी शर्मा और कवि-आलोचक डॉ. नीरज दइया थे। प्रारंभ में किताब का परिचय रचनाकार किरण बादल तथा स्वागत वक्तव्य वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. मंगत बादल ने दिया।

इस अवसर पर मुख्य अतिथि मधु आचार्य ने कहा कि संस्मरण की यह कृति मन से भावुक और अब तक अबोले रहे व्यक्ति के सच का बयान है। यह अलग-अलग जगह के लोगों के परिचय की बानगी है, जो यह बताती है कि अपने जीवन की यात्रा में व्यक्ति को जहर और अमृत साथ-साथ मिलता है। यह लोक संस्कृति की किताब है। उन्होंने कहा कि मोदी की कविताएं भी संवेदना जगाने वाली है।
कार्यक्रम अध्यक्ष रोटेरियन अरुण प्रकाश गुप्ता ने कहा कि राजस्थानी भाषा की मान्यता के लिए साहित्यकारों का निरंतर सृजन बहुत जरूरी है। राजस्थानी जब तक घरों में नहीं पहुंचेगी तब तक आंदोलन को गति नहीं मिलेगी।

इस अवसर पर दोनों कृतियों के रचनाकार महेंद्र मोदी ने कहा कि ये संस्मरण अनुभूतियों का प्रकटीकरण है जो उन्होंने अपने काम के दौरान हासिल किए हैं। उन्होंने कहा कि राजस्थानी में लिखने से उन्हें एक खास तरह का सुकून मिलता है।मुख्यवक्ता बुलाकी शर्मा ने कहा ‘तिरसे सुपनां रो पुळ’ में आत्मा से संवाद है। ये कविताएं आज़ादी को प्रतिबंधित करने वाले हर सिद्धांत के खिलाफ है।
मुख्य वक्ता डॉ. नीरज दइया ने ‘तिरसे सुपनां रो पुळ’ पर बात करते हुए कहा कि इस कृति में मोदी ने जिस तरह गद्य में बातपोशी कई शैली का इस्तेमाल किया है, वह इनदिनों बहुत कम मिलता है। यह कृति संघर्ष का प्रकटीकरण है। आभार राजस्थानी के कथाकार- कवि कमल रंगा ने स्वीकारा। संचालन हरीश बी. शर्मा ने किया।