ई-वे बिल से माल की ढुलाई होगी आसान, ऐसे काम करेगी व्यवस्था
लॉयन न्यूज, नई दिल्ली। एक फरवरी केवल महीना नहीं, एक पूरी में बदलाव की तारीख बनने जा रही है। इस तारीख से पूरे देश में माल परिवहन बेहद आसान हो जाएगा। ट्रांसपोर्टरों को एक से दूसरे राज्य में माल ले जाने के लिए अलग-अलग ट्रांजिट पास की जरूरत नहीं रह जाएगी। यह सब संभव होगा ई-वे बिल की से। ट्रांसपोर्टरों को मिलने वाला ई-वे बिल पूरे देश में स्वीकार्य होगा। इस को संभालने वाली फर्म जीएसटी नेटवर्क (जीएसटीएन) ने यह बात कही है।

सरकार ने एक देश, एक कर के लक्ष्य के साथ एक जुलाई, 2017 को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को लागू किया था। जीएसटी के ही अंतर्गत एक फरवरी से ई-वे बिल की शुरू होगी। इसमें 10 किलोमीटर से ज्यादा की दूरी और 50,000 रुपये या इससे ज्यादा के अंतरराज्यीय माल परिवहन के लिए एक फरवरी से ई-वे बिल अनिवार्य किया जा रहा है।

जीएसटीएन के सीईओ प्रकाश कुमार ने कहा, ‘करदाताओं और ट्रांसपोर्टरों को किसी चेक पोस्ट या टैक्स ऑफिस का चक्कर नहीं लगाना होगा। ई-वे बिल को खुद ऑनलाइन जेनरेट किया जा सकता है। इसे पोर्टल, मोबाइल एप, एसएमएस और कुछ अन्य ऑफलाइन माध्यमों से जेनरेट करना संभव होगा।Ó कर्नाटक, राजस्थान, उत्तराखंड और केरल में ई-वे बिल की पहले ही लागू की जा चुकी है। अगले पखवाड़े में अन्य राज्य भी इससे जुड़ जाएंगे। 31 जनवरी तक इसका परीक्षण किया जाएगा। एक फरवरी से इसे अनिवार्य कर दिया जाएगा।

जीएसटीएन की ओर से जारी बयान में बताया गया कि ई-वे बिल जेनरेट करने के लिए ट्रांसपोर्टर ईवेबिल डॉट एनआइसी डॉट इन पोर्टल पर जाना होगा। पोर्टल पर ट्रांसपोर्टर जीएसटीआइएन के माध्यम से खुद को रजिस्टर करा सकेंगे। जो ट्रांसपोर्टर जीएसटी में रजिस्टर्ड नहीं हैं, उन्हें भी पैन या आधार संख्या की मदद से ई-वे बिल जेनरेट करने की सुविधा मिलेगी। बिल जेनरेट करते समय परिवहन में इस्तेमाल होने वाले वाहन का नंबर डाला जा सकेगा। बीच में ब्रेकडाउन या अन्य कारण से वाहन बदलने पर उसी ई-वे बिल में वाहन का नंबर अपडेट करने की सुविधा भी रहेगी। जरूरत पडऩे पर 24 घंटे के अंदर बिल को रद भी किया जा सकेगा।

इस में फल, सब्जी, मछली और पानी जैसे कुछ उत्पादों पर बिल से छूट दी गई है। इसके अलावा नॉन-मोटर वाहनों जैसे बैलगाड़ी, ठेला आदि को भी छूट रहेगी। ई-वे बिल की जांच रास्ते में कहीं भी टैक्स ऑफिसर कर सकेंगे। उन्हें निश्चित समय में इसकी रिपोर्ट देनी होगी। यदि ट्रांसपोर्टर को कहीं 30 मिनट से ज्यादा रोककर रखा जाता है, तो वह पोर्टल पर इसकी शिकायत करा सकता है। जीएसटीएन ने इस को लेकर संबंधित लोगों से सुझाव भी मांगे हैं।