हस्तक्षेप

– हरीश बी. शर्मा
लोकसभा चुनाव को लेकर जिस तरह बार-बार भाजपा समीक्षा कर रही है और समीक्षा के परिणामों के आधार पर रणनीतियां तय कर रही है, उसके बरक्स कांग्रेस के पास तैयारियां नहीं के बराबर है। हालांकि, यह साबित होना बाकी है कि कांग्रेस आधे-अधूरे मन से चुनाव लड़ रही है, लेकिन यह साफ होता जा रहा है कि कांग्रेस के पास ऐसा कोई दिग्गज नेता नहीं है, जिसे नरेंद्र मोदी तो दूर की बात अमित शाह या योगी आदित्यनाथ के सामने भी उतारा जा सके। एक अदद चेहरा घूम-फिर के राहुल गांधी का आता है, जिन्होंने भाजपा और संघ के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है बाकी तो देशभर में जिस तरह का वातावरण है, अधिकांश गैर-भाजपाई नेता कोई न कोई ऐसा रास्ता तलाश रहे हैं, जहां से वे भाजपा में शामिल हो सकें। हालांकि, देश के गृहमंत्री अमित शाह ने यह कहकर भाजपा वालों में उत्साह भर दिया है कि जो लोग भाजपा में शामिल हो रहे हैं, उनकी वजह से मूल भाजपा वालों का हक नहीं मारा जाएगा, लेकिन जिस तरह से भाजपा ने आक्रामक रुख अपनाकर कांग्रेस के बड़े-बड़े नेताओं को शामिल करने का अभियान छेड़ रखा है, ऐसा लगता है जैसे कांग्रेस में दूसरे व तीसरे दर्जे के नेताओं का अकाल आने वाला है।

ये नेता भाजपा में कुछ बड़ा कर पाएंगे या नहीं, यह तो आने वाला समय बताएगा, लेकिन भाजपा से निकले दो नेताओं ने इन दिनों कांग्रेस को बड़ी मजबूती दी है। इस सूची में तीसरा नाम नागौर से हनुमान बेनीवाल का भी आता है, जो पिछली बार एनडीए के साथ थे, इस बार इंडिया गठबंधन के रास्ते कांग्रेस से मिलकर नागौर का चुनाव लड़ रहे हैं। कांग्रेस ने यहां से अपना कोई प्रत्याशी नहीं दिया है। नागौर में कांग्रेसी-परिवार से निकली ज्योति मिर्धा  को ही भाजपा ने प्रत्याशी बना दिया है, लेकिन यहां हनुमान बेनीवाल भारी पड़ रहे हैं तो पिछली बार चूरू से भाजपा के सांसद राहुल कस्वां ने टिकट नहंी मिलने पर कांग्रेस का दामन थामा और अब चूरू से भाजपा प्रत्याशी देवेंद्र झाडडिय़ा के लिए सिरदर्दी का कारण बने हुए हैं।

नागौर और चूरू में भाजपा के बिगड़ते हालात पर भाजपा के ‘वार-रूम’ की भी नजर है। ‘वार-रूम’ ने बिना देर किए अपने ब्रह्मास्त्र नरेंद्र मोदी का संधान नागौर और चूरू के लिए कर दिया है ताकि माहौल बदल सके। नरेंद्र मोदी पांच को चूरू और छह को नागौर में जनसभा करेंगे। इस तरह की तैयारी कांग्रेस में नजर नहीं आ रही है। भाजपा के सामने तो कुछ सीटें ही मुसीबत भरी है। भाजपा के लिए तो ऐसी अनेक सीटें हैं, जहां प्रत्याशी आसन्न पराजय के डर से बुझा हुआ है, लेकिन उसके लिए रणनीति बनाने वाले ही नहीं है। नाराज वोटर्स को अपनी तरफ घुमाने वाले भी नहीं हैं।

इस बीच कांग्रेस के एक प्रत्याशी का जोर काफी चर्चा में है, जो भाजपा से आया हुआ है। पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधराराजे के खेमे से माने जाने वाले प्रहलाद गुंजल ने कोटा में भाजपा के प्रत्याशी लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को कड़ी टक्कर देने की रणनीति बना ली है। कोटा और चूरू में बने हालात भाजपा के लिए यह सबक है कि जिन स्थितियों में भाजपा है, उन्हें देखते हुए यह साफ है कि अब भाजपा को चुनौती भाजपा की देेगी, वह भाजपा कब, कैसे और कहां से खड़ी होगी, इंतजार करना चाहिए।

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