किशनगढ़।   आटे की गोलियां, बिस्कुट, ब्रेड इत्यादि खाद्य सामग्री मछलियों के लिए जानलेवा है। यह खाद्य वस्तुएं खाने से मछलियों के मरने की आशंका बन जाती है। जागरुकता के अभाव में लोग मछलियों को यह सब खाद्य वस्तुएं चाव से खिला कर दान कर रहे है। नगर की गुंदोलाव झील की चौपाटी पर सुबह और शाम मछलियों को यह खाद्य वस्तुएं खिलाने की होड़ मची रहती है। वहीं लोगों को ऐसा करने से रोकने के लिए मत्तस्य विभाग के पास न तो कोई योजना है और न ही प्रावधान।नगर परिसर से सटी झील की चौपाटी पर सुबह-शाम के समय अधिकतर लोग मछलियों को आटे की गोलियां, दाना, बे्रड, मुरमुरे, बिस्कुट, रोटी व सोयाबीन एवं कई अन्य खाद्य सामग्री डालते नजर आते है। जबकि यह मछलियों के लिए हानिकारक साबित हो सकते है। मछलियोंं को आटे की गोलियां व खाद्य सामग्री खिलाने से कष्ट दूर व परिवार में सुख समृद्धि व पुण्य कमाने की धार्मिक आस्था के चलते ऐसा करते है। खाने की यह सामग्रियां मछलियों के जीवन के लिए खतरा पैदा कर सकती है।

मछलियों के लिए नहीं पोषक

मनुष्यों के लिए प्रयोग की जाने वाली खाद्य सामग्री मछलियों के लिए पोषक नहीं है, बल्कि यह उनकी मौत तक का कारण बन सकती है। आटे और मैदा से बनी वस्तुएं मछलियों का प्राकृतिक भोजन नहीं है। यह खाद्य सामग्री मछलियों के पेट में एकत्र हो जाती है और गलफड़ों में फंसकर उनकी जान ले सकती है। इन खाद्य सामग्री से पानी दूषित होता है। वह सडऩे लगता है, पानी में आक्सीजन की कमी हो सकती है। इस कारण मछलियों की जान जोखिम में पड़ सकती है। कई बार तो लोग पॉलीथिन की थैलियां तक पानी में फेंक देते है। यह खाने से मछलियां कुछ समय ही ही मर जाती है।

नुकसानदायक है पॉलीथिन

चौपाटी पर अधिकतर खाद्य सामग्री पॉलीथिन में ही बिकती है। हालांकि नगर परिषद ने कचरा पात्र रखा हुआ है फिर भी मुख्य सड़क होने और लापरवाही के कारण कई पॉलीथिन थैलियां झील में चली जाती है।

जागरुकता का अभाव

मत्तस्य विभाग से जुड़े अधिकारियों ने बताया कि मनुष्य के खाने की सभी खाद्य पदार्थ मछलियों को नहीं खिलाना चाहिए। यह मछलियों के लिए हानिकारक होते है। जागरुकता के अभाव में लोग यह पदार्थ मछलियों को खिला देते है जो कि सहीं नहीं है। पानी में ही मछलियों के लिए कई प्रकार के प्राकृतिक आहार मुहैया होते है। जिससे मछलियां अपना पेट भर लेती है। खाद्य सामग्री का ज्यादा सेवन करने से मछलियां मर भी जाती है। इन पदार्थों से पानी भी दूषित होता है और उसकी गुणवत्ता धीरे धीरे समाप्त हो जाती है। लोगों को ऐसा नहीं करना चाहिए।