हस्तक्षेप

– हरीश बी. शर्मा
देशभर में शुरू हुए आम चुनावों के मौसम में भले ही अरविंद केजरीवाल कुछ नहीं कर पाएं, लेकिन सबसं अधिक चर्चा में रहने वाले गैर-भाजपाई या यूं कहें कि इंडिया गठबंधन के नेता के रूप में अरविंद केजरीवाल बन चुके हैं। कुछ मामलों में तो उन्होंने राहुल गांधी को भी पीछे छोड़ दिए है वह भी बिना कुछ किए। ममता बनर्जी और अखिलेश यादव भी जब पश्चिमी बंगाल और उत्तर प्रदेश से बाहर नहीं निकल पाएं हैं, अरविंद केजरीवाल पूरे देश में छाये हुए हैं। उनपर शुगर बढ़ाने का आरोप लगे चाहे जेल में ही मार दिए जाने की आशंका। उनकी पत्नी का इंडिया गठबंधन के लिए प्रचार में उतरना हो चाहे  हर दिन जेल से जारी होने वाली चिट्ठियां। हर दिन वे अपेक्षाकृत दूसरे विपक्ष के नेताओं के उन्हें चर्चा मिल रही है। उनके जेल यात्रा को लेकर भले ही कुछ भी कहा जाए, लेकिन इस प्रतिकूल समय में जब सारे विपक्ष को ही कुछ नहीं सूझ रहा हो, अरविंद केजरीवाल सबसे अधिक सुर्खियां बटोर रहे हैं।

आम आदमी पार्टी वैसे भी पूरे देश में राजनीतिक दृष्टि से एक केस-स्टडी के रूप में देखा जा रहा है। एक आंदोलन से निकले विचार को राजनीतिक रूप देने की जिस प्रक्रिया से आम आदमी पार्टी निकली है, वह अपने-आप में अविश्वसनीय है। देश ही नहीं दुनिया की राजनीति में भी आम आदमी पार्टी     ने सभी का अपनी ओर ध्यान खींचा है। इसका सीधा प्रमाण यह है कि ईडी का कार्रवाई के दौरान जब अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी हुई तो विदेशों से प्रतिक्रियाएं आईं।

इससे यह जाहिर होता है कि आम आदमी पार्टी ने अपनी साख विदेशों में भी  स्थापित की है। दिल्ली और पंजाब में सरकार बना चुकी आम आदमी पार्टी   ने देश में भी आश्चर्य का माहौल बनाया, लेकिन यह साफ नजर आ रहा था कि आम चुनावों में जिस तरह का देश में माहौल बन रहा है, विपक्ष को जीत के लिए काफी मशक्कत करनी होगी। ऐसा समय जब इंडिया गठबंधन में शामिल बड़ी-बड़ी पार्टियां भी अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रही थी तो आम आदमी पार्टी, जिसके नेता या तो जेल जा रहे थे या पार्टी छोड़ रहे थे, के नेता अरविंद केजरीवाल लगातार ईडी के समन की अवहेलना कर रहे थे और साफ नजर आ रहा था कि उन्हें जेल जाना पड़ सकता है। फिर भी उन्होंने इस बात की परवाह नहीं की।

इस विषय पर बहस हो सकती है कि समन की अवहेलना करना अरविंद केजरीवाल की सोची-समझी रणनीति थी, लापरवाही थी या कि अपने सच पर भरोसा, लेकिन बाद में हुई इस जेल-यात्रा के प्रभावों पर बात करें तो यही सामने आता है कि अरविंद केजरीवाल को इस जेल-यात्रा से लाभ ही होने वाला है। भले ही आम आदमी पार्टी आम चुनावों में कोई बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पाए, लेकिन व्यक्तिगत रूप से अरविंद केजरीवाल को इससे फायदा ही मिलेगा। खासतौर से जब यह आम धारणा बनती जा रही है कि ईडी जैसी एजेंसियों को राजनीतिक हितों के लिए भी किया जा रहा है तो अरविंद केजरीवाल की जेल-यात्रा उनके लिए इस रूप में फायदेमंद रहेगी कि भले ही आम आदमी पार्टी को चुनावी फायदा नहीं मिले, लेकिन अरविंद केजरीवाल को इस यात्रा का राजनीतिक लाभ मिलेगा।

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