जोधपुर।    जोधपुर. सनसिटी का अनूठा गाइड लोगों को बहुत अच्छा लगता है। वह न केवल देसी-विदेशी वीआईपी पर्यटकों का पसंदीदा गाइड है, बल्कि मारवाड़ के पर्यटन क्षेत्र में एक पहचान कायम कर चुका है। खुद के डिजाइन किए जोधपुरी साफे, जोधपुरी कोट-ब्रिजिस, चूड़ीदार पायजामा व रंग-बिरंगे कुर्ते और खूबसूरत मोजड़ी पहनने वाले डॉ. शक्तिसिंह चांदावत की पर्यटकों के बीच मनमोहक छवि बन चुकी है।

दिल व दिमाग पर एक अमिट छाप

पर्यटकों के बीच लोकप्रिय यह रंगीला गाइड न केवल इतिहासकार, कवि, कुशल वक्ता और मृदुभाषी व्यक्तित्व का धनी है, बल्कि अपने विशिष्ट पहनावे के साथ, वाणी, व्यवहार से देखने-सुनने वालों के दिल व दिमाग पर एक अमिट छाप छोड़ता है।
मोनोग्राम वाले बटन
मारवाड़ के शौर्य के साथ संस्कृति के ध्वजवाहक चांदावत अपने शौक के चलते नये-नये प्रयोग करने में भी जुटे हैं। हाल ही उन्होंने पारम्परिक कोट, शेरवानी और अचकन के लिए विभिन्न रियासतों के मोनोग्राम के बटन का निर्माण शुरू किया है। वे खुद ही सोने-चांदी व तांबे आदि के साथ थेवा, मीना, मोती और  मीना के विभिन्न प्रकार के बटन डिजाइन करते हैं। ये बटन जोधपुर ही नहीं, भारत के विभिन्न क्षेत्रों में लोकप्रिय हो चुके हैं। उनके डिजाइन किये बटन देश के प्रसिद्ध डिजाइनर निखिल व शान्तनु भी मंगवाते हैं। शक्तिसिंह खुद अपने कोट में पांच की बजाय दस बटन लगाते हैं।
जोधपुरी हीरो से कम नहीं
जोधपुर आने वाले पर्यटक जब उन्हें पर्यटन स्थल पर अपनी पारम्परिक शैली में गाइडिंग करते हुए देखते हैं, तो एक बार उनके साथ फोटो खिंचवाना नहीं भूलते। तीन वर्ष पूर्व जब एमडीएच मसाला के मालिक धर्मपाल गुलाटी  ‘महाशय जोधपुर भ्रमण पर आय, तो मेहरानगढ़ की जयपोल पर खड़े शक्तिसिंह को देख कर इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने उनके साथ फोटो खिंचवाया और अपने यहां आने का आमंत्रण भी दिया।
पूर्व राष्ट्रपति व मुख्यमंत्रियों की भी पसंद
राजस्थान ही नहीं भारत भर के प्रसिद्ध राजनेताओं और वीआईपी को शक्तिसिंह ने जोधपुर दिखाया। इनमें पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा देवीसिंह पाटील, रेल मंत्री सुरेश प्रभु, राजस्थान की पूर्व राज्यपाल स्व. प्रभा राव टाक, मारग्रेट आल्वा, श्रीश्री रविशंकर, महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख सहित कई वीआईपी शामिल हैं।
स्कूल से बचपन में मिली विरासत
वर्ष 2002 से निरन्तर गाइडिंग के क्षेत्र में अपनी अलग शैली के साथ कीर्तिमान स्थापित कर चुके शक्तिसिंह अब तक सात से अधिक पुस्तकें भी लिख चुके हैं। इनमें देवी चामुण्डा माता पर लिखे दोहे, माताजी री वचनिका, दुर्गादास शतक, मीराबाई, जोधपुर का वैभव एवं इतिहास, जोधपुर गाइड पुस्तिका मुख्य है।

राज-रीत व परम्पराएं सीखीं

विभिन्न सांस्कृतिक व ऐतिहासिक विषयों पर आकाशवाणी से 120 से अधिक वार्ताएं प्रसारित हो चुकी हैं। वे बताते हैं कि उन्हें यह विरासत चौपासनी स्कूल से शिक्षा प्राप्त करने के दौरान मिली। पूर्व राजमाता कृष्णाकुमारी के पास उम्मेद भवन पैलेस में कार्य करते हुए राज-रीत व सांस्कृतिक परम्पराएं सीखीं।