वाशिंगटन।अमरीकी राष्ट्रपति चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी की ओर से उम्मीदवारी की दौड़ में सबसे आगे चल रहे डोनल्ड ट्रंप के चुनाव अभियान के तार पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई से जुड़े होने की खबर सामने आ रही है।डोनाल्ड ट्रंप ने अपने चुनाव अभियान में कश्मीरी अमरीकन काउंसिल के लॉबिस्ट रह चुके पॉल मैनाफर्ट को शामिल किया है। ट्रंप के कैंपेन के शीर्ष सहयोगी पॉल मैनाफर्ट की कंपनी पर पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आइएसआइ के लिए काम करने का संगीन आरोप लगा है।कश्मीर अमरीकन काउंसिल को पाकिस्तानी खूफिया एजेंसी आईएसआई का फ्रंट माना जाता है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पॉल मैनाफर्ट की कंपनी को कथित तौर पर कश्मीरी अमरीकन काउंसिल की तरफ से 1990 से 1995 के बीच 7 लाख डॉलर मिले हैं।

ISI से जुड़े थे कश्मीरी अमरीकन काउंसिल के तार

गौरतलब है कि असिस्टेंट यूएस अटॉर्नी गॉर्डोन क्रोमबर्ग ने मार्च 2012 में कहा था कि कश्मीरी अमरीकन काउंसिल के प्रमुख  गुलाम नबी फई आईएसआई के इशारे पर एक ऑपरेशन चला रहे थे। फई को टैक्स धोखाधड़ी के मामलों में गिरफ्तार किया गया था और उन्हें दो साल की सजा भी सुनाई गई थी। हालांकि आइएसआइ इस आरोप से इंकार करता रहा है।

कश्मीरी काउंसिल पर FBI की थी नजर

साल 2011 में कश्मीरी काउंसिल के डायरेक्टर सैयद गुलाम नबी फई की गिरफ्तारी के बाद मैनाफर्ट का कश्मीरी लॉबिइंग कॉन्ट्रैक्ट एफबीआई के रेडार पर था। एफबीआई पाकिस्तान की इंटेलिजेंस एजेंसी आईएसआई से जुड़ाव को लेकर जांच कर रहा था। कश्मीरी काउंसिल कश्मीर मुद्दे पर अमरीकी नीति को बदलने को लेकर काम कर रहा था।मैनाफर्ट के क्लाइंट भी बेहद विवादित रहे हैं। इनमें फिलिपींस के राष्ट्रपति फर्डिनेंड मार्कोस और जाइर के क्रूर तानाशाह मोबुतू सेसे सेको के नाम शामिल हैं। एक रिपोर्ट में पाकिस्तान के एक अधिकारी के हवाले से कहा गया है कि मैनाफर्ट 1994 में इस्लामाबाद गए थे।अपने दौरे के दौरान वो कश्मीर में जनमत संग्रह के लिए कांग्रेस के सदस्यों को प्रभावित करने के मकसद से वहां गए थे। इसके लिए वो प्रत्येक सदस्यों को आठ से दस हजार डॉलर तक का ऑफर भी दिया था। अधिकारी ने बताया कि कश्मीरी-अमरीकन काउंसिल पाकिस्तान द्वारा चलाया जा रहा था, इस बात की जानकारी मैनाफर्ट को नहीं थी ये कहना ठीक नहीं होगा।