हस्तक्षेप

– हरीश बी. शर्मा

देश के आमचुनावों का पहला चरण कल है। इस पहले चरण में राजस्थान की एक दर्जन सीटों पर चुनाव हो जाने हैं, लेकिन जिस तरह की स्थितियां सामने हैं, उससे यह साफ नजर आ रहा है कि लगभग आधी सीटों पर भाजपा के सामने कड़ी चुनौती है। 25 की 25 सीटों का दावा करने वाली भारतीय जनता पार्टी को राजस्थान में अगर लक्ष्य हासिल नहीं हुआ तो दिग्गज नेताओं के सामने बड़ी मुसीबत खड़ी हो जानी है और अगर लक्ष्य मिल गया तो नरेंद्र मोदी के खाते में सारा का सारा श्रेय जाना है।

लेकिन प्रारंभिक रिपोर्टों में जैसा कि लग रहा है 19 अप्रैल को राजस्थान में जिन 12 लोकसभाओं के लिए चुनाव होने हैं, उनमें से छह सीटों के लिए भाजपा को बहुत सावधानी रखनी पड़ेगी। दौसा, सीकर, नागौर, झुंझुनू, जयपुर ग्रामीण और अलवर पर भाजपा ने अगर अपनी स्थितियों की समय रहते समीक्षा नहीं की और मतदान प्रतिशत बढ़ा तो लक्ष्य हासिल करना मुश्किल हो जाएगा।
झुंझुनू में बृजेंद्र ओला कांग्रेस के घरानेदार परिवारों से आते हैं। शीशराम ओला के बेटे बृजेंद्र को इस सीट पर भाजपा के शुभकरण चौधरी ने चुनौती दी है।  इस सीट पर कांग्रेस का प्रदर्शन अच्छा रहा है, ऐेस में किसी तरह का कोई उलटफेर हो सकता है। करौली-धौलपुर सीट का पेच तो ऐसा फंसा हुआ था कि पीएम नरेंद्र मोदी की सभा भी करवानी पड़ी। इसके बाद भी हालात सुधरे हुए नहीं हैं। यहां के सांसद मनोज राजोरिया का टिकट काटकर भाजपा ने करौली की इंदु को प्रत्याशी बनाया है। कांग्रेस ने टिकट भजनलाल जाटव को दिया है। दोनों ही पार्टियों ने एक ही जाति से प्रत्याशी दिए हैं, जिससे वोट बटेंगे, निर्णायक नरेंद्र मोदी फैक्टर ही रहने वाला है।

श्रींगगानगर से निहालचंद का टिकट ऐन मौके पर कट गया। इसके पीछे का बड़ा कारण वसुंधराराजे का फैक्टर भी बताया जाता है। ऐसा ही मामला चूरू में राहुल कस्वां के साथ हुआ, लेकिन उन्होंने पहले ही भविष्य को भांप लिया और कांग्रेस ज्वाइन करके टिकट ले आए। भाजपा के देवेंद्र झाझडिय़ा को राहुल कस्वां कड़ी टक्कर दे रहे हैं। लेकिन इतना बड़ा हौसला निहालचंद नहीं दिखा पाए। भाजपा ने यहां प्रियंका बेलाण को टिकट दिया और कांग्रेस ने कुलदीप इंदौरा को। इंदौरा के सामने प्रियंका की स्थिति ज्यादा अच्छी नहीं। यह साबित भी हो रहा है जब प्रियंका के पोस्टर्स पर सरनेम ब्रेकेट में भी लिखवाए जा रहे हैं।
भाजपा के लिए जाट के साथ-साथ राजपूत समाज का विरोध भी अंडर-करंट के रूप में नुकसान करता दिखाई दे रहा है। बताते हैं कि जाटों को समझा लिया गया है, लेकिन भरतपुर की सीट जाटों के आरक्षण के मुद्दे को लेकर परेशानी का सबब बनी हुई है। यहां से कांग्रेस ने प्रत्याशी के रूप में संजना जाटव की जाति के वोटर्स की संख्या बढ़ी-चढ़ी है। यहां से भाजपा ने अपना टिकट रामस्वरूप कोली को दिया है। दौसा में भी कांग्रेस मजबूत नजर आ रही है, जहां भाजपा ने कन्हैयालाल और कांग्रेस ने मुरारीलाल को टिकट दिया है।

पहले कन्हैयालाल के पक्ष में माहौल बन रहा था, इस बीच मुरारीलाल आगे बढ़ते नजर आए। इस सीट पर सचिन पायलट का भी जोर है। इन सभी स्थितियों को देखते हुए यहां नरेंद्र मोदी का रोड-शो तक करवाना पड़ गया है। जयपुर ग्रामीण पर भी भाजपा-कांग्रेस का मुकाबला है। बीकानेर में केंद्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल को लेकर भाजपा आश्वस्त है, लेकिन बीकानेर के कईं बड़े नेता उनके साथ दिखाई नहीं दे रहे हैं। हालांकि, कमोबेश ऐसे ही हालात कांग्रेस के प्रत्याशी गोविंद मेघवाल के साथ भी हैं, लेकिन अपेक्षाकृत अर्जुनराम मेघवाल इस दिशा में आगे निकलते नजर आ रहे हैं। यहां भी राजपूत समाज का विरोध अंडर-करंट के रूप में चलने की बात सामने आ रही है, इससे कितने वोटों पर असर पड़ेगा, यह देखने की बात है।
ऐसे हालात में यह कहना जल्दबाजी होगी कि भाजपा इस बार भी अपना पुरानी इतिहास दोहराएगी। 22 सीटों के लिए तो विश्लेषक भी मान रहे हैं,यह संख्या बढ़ भी सकती है।

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