हस्तक्षेप

– हरीश बी. शर्मा

राजस्थान में गिरे हुए मतदान प्रतिशत के बाद भले ही दूसरे चरण के मतदान में सुधार आया हो, लेकिन राजस्थान का रण भाजपा नेताओं के लिए अमित शाह के बयान के बाद चिंता बढ़ाने की वजह बन गया है। गृहमंत्री अमित शाह के इस बयान के बाद कि राजस्थान में भाजपा को एक-दो सीटों का नुकसान हो सकता है, भाजपा के उन नेताओं के लिए परेशानी का सबब बन गया है, जिनका कहना था कि वे इस बार भी शत-प्रतिशत परिणाम देंगे। हालांकि, भाजपा की रणनीति सीधे तौर पर नरेंद्र मोदी के नाम से चुनाव लडऩे की थी। इस वजह से राज्यों के क्षत्रपों को किनारे करके चुनाव लडऩे की योजना बनाई गई। इस योजना में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरराजे को भी उनके पुत्र के निर्वाचन क्षेत्र तक सीमित रखने की भी बात सामने आई।
मुख्यमंत्री भजनलाल के पास भी करने के लिए कुछ नहीं था। हालांकि पेपर-लीक करने वालों पर हुई कार्रवाई से वातावरण जरूर बना, लेकिन मुख्यमंत्री के रूप में भजनलाल ऐसा कहीं कोई करिश्मा दिखाते नजर नहीं है कि उनके नाम प्रदेश की किसी एक सीट की जीत का भी सेहरा बांधा जा सके। अलबत्ता, एक स्वर यह जरूर उभरा कि पूर्ववर्ती सरकार के काम में शुरू की गई जनहित की योजनाओं को बंद करने का नुकसान भाजपा सरकार को उठाना होगा।
हालांकि, दो चरणों के चुनाव के साथ ही जिस तरह के रुझान सामने आ रहे हैं, ऐसा कहा जाने लगा है कि कांग्रेस अगर पूरी तैयारी के साथ सामने आती तो मुकाबले की स्थिति बन सकती थी। वहीं केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के बयान के बाद तो कांग्रेस उत्साह में इसलिए भी है क्योंकि पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट और उनके बाद पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी कांग्रेस के अच्छे प्रदर्शन का दावा किया है जबकि चुनाव से पहले नेताओं का आत्मविश्वास इनता प्रबंल नहीं था।
अमित शाह जहां यह कह रहे हैं कि दो सीटों का फर्क पड़ सकता है वहीं सचिन पायलट ने तो पहले यहां तक कहा कि हम भाजपा से अधिक सीटें राजस्थान में लाएंगे। अमित शाह के बयान के बाद इस कांग्रेस के लगभग आठ सीटों पर मजबूत होने की बात को भी तवज्जो मिलने लगी है, लेकिन अगर ऐसा कुछ हो जाता है कि यह चमत्कार से कम नहीं होगा। बयान देने वाले केंद्रीय गृहमंत्री और वर्तमान राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले अमित शाह  हैं, इसलिए यह भी अंदेशा लगाया जा रहा है कि जिसे वे दो सीट कह रहे हैं, वे आखिर कितनी सीटें हों सकती है।
इन सीटों के बढऩे से चिंतित भाजपा का यहां तक कहना है कि मुख्यमंत्री भजनलाल के कार्यकाल की भी चुनाव के बाद समीक्षा होनी है तो भले ही वसुंधराराजे के लिए स्टैंड नहीं बदला जाए, जिन लोगों ने यह कहा था कि राजे के बगैर भी राजस्थान दे देंगे, उनसे जवाब-तलब किया जाएगा। चुनाव से पूर्व अमित शाह की आंख में अखर चुके राजस्थान में भाजपा नेताओं का भविष्य चार जून के बाद होना तय है। ऐसा भी हा सकता है कि भाजपा विधानसभावार मतदान की रिपोर्ट मंगवाए और फिर जहां-जहां से मतदान कम हुआ या भाजपा को कम वोट मिले हैं, वहां के नेताओं और विधायकों के खिलाफ कार्यवाही भी हो।

‘लॉयन एक्सप्रेस’ के संपादक हरीश बी.शर्मा के नियमित कॉलम ‘हस्तक्षेप’ के संबंध में आपके सुझाव आमंत्रित हैं। आप 9672912603 नंबर पर वाट्स अप कर सकते हैं।