लॉयन न्यूज, टोडा। समाज का ऐसा किरदार, जिन्होंने जीवन दूसरों के लिए जीया…। दूसरों की हंसी में अपनी खुशी तलाशी…। बेजुबानों को कुछ देने का जुनून रग-रग में धुल गया जैसे उन्होंने जीवन का सार समझ लिया हो। हम आपसे साझा कर रहे हैं टोडा के समीपवर्ती गांव लुहारवास के नई गंगा धाम के संत महेश गिरि की कहानी। जो हमें जीने का सलीका सीखाती हैं…। जी हां ये संत 40 साल से बेजुबानों के लिए दाना जुटाकर उनको खिला रहे है।

गांव से मांगते है अनाज
संत महेश गिरी गांव-गांव में जाकर लोगों से बेजुबानों के लिए अनाज मांगकर उनकी भूख मिटा रहे हैं। इनको कभी कभी किलो तो कभी खाली हाथ भी लौटना पड़ता है। संत ने बताया कि उन्होंने साधु बनते ही तय कर लिया कि हर पल-हर क्षण बेजुबानों के लिए जीवन को समर्पित करना है। आज मैनें बेजुबानों की खुशी में अपनी खुशी तलाशी है। जब तक तन में जान है तब तक इनकी सेवा करता रहूंगा।

रोज डालते है दो क्विंटल दाना
संत ने बताया कि रोज पक्षियों, चीटिंयों व अन्य बेजुबान जानवरों के लिए दो क्विंटल अनाज लगता है। इसे गांव-गांव व जाकर भामाशाहों से मांगते हैं। संत ने बताया कि चीटिंयों के लिए प्रतिदिन 10 किलो आटा व दो किलो चीनी डालते हैं।

भामाशाह धाम पर आकर भी दे सकते हैं अनाज
संत ने बताया कि वृद्धावस्था के कारण दूरदराज के गांवों तक अब नहीं जा सकते। इसीलिए आसपास के गांवों में ही इनके लिए अनाज मांगते हैं। इच्छुक भामाशाह बेजुबानों की मदद करना चाहें तो धाम पर सामथ्र्यानुसार दे सकता है।

सैकड़ों कबूतर व तोते है धाम पर
धाम पर सैकड़ों कबूतर व तोते है जो प्रतिदिन अपने समय पर दाना चुगने आते हैं। कबूतर व तोते प्रतिदिन दिन में तीन बार दाना चुगने आते हैं।