लॉयन न्यूज, श्रीगंगानगर। हनुमानगढ़-अबोहर मार्ग स्थित हाथियांवाली गांव के नजदीक गत दिवस सड़क हादसे में घायल तीन बच्चों का इलाज करने में जिले के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में लापरवाही बरती गई। गुरुवार शाम को अस्पताल लाए गए बच्चे दर्द से कराहते हुए उपचार के लिए शुक्रवार सुबह तक इंतजार करते रहे, लेकिन किसी ने उन्हें नहीं संभाला। चिकित्साकर्मियों ने आधी-अधूरी पट्टी बांध अपना कर्तव्य पूरा कर लिया।

आखिरकार, परिजन बच्चों को प्राइवेट हॉस्पिटल लेकर पहुंचे, वहां उनका उपचार हुआ। घायल बच्चों की देखरेख के लिए पहुंचे अशोक बिश्नोई ने बताया कि गुरुवार शाम 5 बजे घायल मनोज पुत्र सुखदेव सिंह, विक्रम पुत्र चारण सिंह और स्वीटी पुत्री पूर्ण सिंह को जिला चिकित्सालय लाया गया लेकिन यहां किसी ने उन्हें नहीं संंभाला। इमरजेंसी से उन्हें मेल सॢजकल वार्ड में भेज दिया गया। वार्ड में उपचार के नाम पर इनकी आधी-अधूरी पट्टी की गई जबकि हाथ बुरी तरह फटने से घायल मनोज पुत्र सुखदेव सिंह रात भर दर्द से बिलखता रहा।

हाथ पर अगूंठे से लेकर कोहनी तक गंभीर चोट होने के बावजूद स्टाफ ने स्टीचिंग के प्रयास नहीं किए। परिजनों ने पूछा तो बताया कि डॉक्टर ही स्टीचिंग होगी। इस पर बिश्नुई ने बच्चों को प्राइवेट हॉस्पिटल ले जाने के छुट्टी मांगी तो वार्ड स्टाफ ने कहा कि छुट्टी तो दोपहर में डॉक्टर के आने पर मिलेगी। इससे गुस्साए परिजनों की स्टाफ से बहस हो गई। परिजनों का कहना था कि घायल बच्चों का इलाज आप कर नहीं रहे और प्राइवेट में ले जाने के लिए छुट्टी नहीं दे रहे तो क्या बच्चों को यूं ही छोड़ दें? बाद में परिजन और अशोक बिश्नोई घायल तीनों बच्चों को प्राइवेट हॉस्पिटल लेकर पहुंचे।

इस बीच मामले की सूचना मिलने पर बाल संरक्षण आयोग के सदस्य अर्जुन बागड़ी और समाज कल्याण विभाग के सहायक निदेशक बीपी चंदेल जिला चिकित्सालय पहुंचे। चंदेल ने बताया कि तीनों घायलों को उपचार देकर डिस्चार्ज कर दिया गया है। चिकित्सालय प्रशासन ने बताया कि बच्चों को ऑप्रेशन थियेटर में भेजा था, लेकिन परिजन उन्हें प्राइवेट हॉस्पिटल ले गए। वहीं, बिश्नोई ने इस मामले में जिला कलक्टर को शिकायत की है।