कोटा। .   बिहार के छात्रों के बीच टकराव की जड़ है बीटी गु्रप की कमाई। हर महीने सदस्यता के नाम पर करीब चार लाख रुपए की वसूली की जा रही है। इतनी ही कमाई लीज पर हॉस्टल, मेस और पीजी चला कर की जा रही है।  मदद के नाम पर बिहार के छात्रों और मैस-हॉस्टल संचालकों से कमीशन वसूला जा रहा है, सो अलग। जो पैसा नहीं देता उसके साथ मारपीट सामान्य है। प्रिंस हत्याकांड के बाद दिनों-दिन बीटी गु्रप की चौंकाने वाली हकीकत सामने आ रही है। नया खुलासा कमाई को लेकर हुआ है।बिहार के छात्रों का यह ग्रुप दो तरह की सदस्यता देता है। पहली रिपीटर्स को और दूसरी फ्रेशर्स को। मेम्बरशिप के बदले सभी से पांच सौ रुपए महीने वसूले जा रहे हैं, लेकिन रिपीटर्स यह पैसा 250-250 रुपए की दो किस्तों में देते हैं। फिलहाल बीटी ग्रुप से 350 से ज्यादा रिपीटर और 400 से ज्यादा फ्रेशर्स जुड़े हुए हैं।महावीर नगर, तलवंडी और राजीव गांधी नगर इलाके के पार्कों में ग्रुप की महीने में दो बार खुली बैठक होती है। कुछ पैसा बैठक में ही खाने-पीने पर खर्च होता है।बाकी बीटी ग्रुप के अध्यक्ष की जेब में चला जाता है। यानी करीब साढ़े तीन लाख रुपए की बंधी हुई रकम हर महीने ग्रुप के पास आ रही है।

स्टेशन से ही शुरू हो जाती है उगाही

सूत्रों के अनुसार, कोचिंग का सत्र शुरू होते ही बीटी ग्रुप के सदस्य बिहार से आने वाले नए छात्रों पर नजर रखते हैं। रेलवे स्टेशन से लेकर कोचिंग संस्थानों तक मुफ्त में ले जाना।नामी कोचिंग में प्रवेश न होने पर दूसरे संस्थानों में प्रवेश दिलाना, फिर हॉस्टल और मैस का इंतजाम कराना। बाद में स्थानीय लोगों का डर दिखाकर इन्हीं छात्रों से पांच सौ रुपए महीना प्रोटक्शन मनी की वसूली चालू हो जाती है।

मदद बनी कमाई का जरिया

सूत्र बताते हैं कि बिहार से आने वाले नए छात्र जिसे मदद समझते हैं, हकीकत में वह भी बीटी ग्रुप की कमाई का ही जरिया है। ग्रुप के सदस्य पहले तो अपने लीज पर लिए हुए पीजी और हॉस्टल में ही छात्रों को कमरा दिलाते हैं।यदि वह पसंद नहीं आता तो जिस हॉस्टल और पीजी में लड़के रूम लेते हैं, उनके संचालकों से बीटी ग्रुप दस से 25 फीसदी कमीशन वसूलता है।मैस और छोटे कोचिंग संचालकों से भी कमीशन वसूला जा रहा है। हॉस्टल, पीजी और मैस बीच में ही छोडऩे पर पैसा वापस दिलाने को लेकर होने वाले ज्यादातर झगड़ों में भी यही ग्रुप पंचायती करता है।