सुरेश लालवानी/अजमेर।  माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने तीन वर्ष तक परिचारक बनने का सपना संजाए बैठे हजारों अभ्यर्थियों की उम्मीदें धराशायी तो की है। साथ ही इन अभ्यर्थियों से परीक्षा शुल्क के नाम पर वसूले करीब दो करोड़ रुपए भी अब तक वापस नहीं लौटाए है। हींग लगे ना फिटकरी की पुरानी कहावत की तर्ज पर शिक्षा बोर्ड ने अब तक बिना लागत से ही इस राशि से लाखों रुपए ब्याज भी कमा लिया है।शिक्षा बोर्ड ने दिसम्बर 2012 में 81 परिचारकों की भर्ती के लिए अधिसूचना जारी की थी। आवेदन पत्र के साथ आर्थिक रुप से पिछड़े इन लोगों से परीक्षा शुल्क के रुप में 500 रुपए मांगे गए थे। अधिसूचना जारी होते ही पूरे प्रदेश से आवेदन का सिलसिला शुरू हो गया और अंतिम तिथि तक शिक्षा बोर्ड के पास 44 हजार 166 आवेदन और लगभग दो करोड़ रुपए परीक्षा शुल्क जमा हो गया।

बिना योजना भर्ती प्रक्रिया

दरअसल शिक्षा बोर्ड ने भर्ती प्रक्रिया शुरू करने से पूर्व कोई ठोस योजना तक नहीं बनाई। यही वजह थी कि आवेदन मिलने के बाद लगभग एक-डेढ़ वर्ष तक यह तक तय नहीं कर पाया कि भर्ती के लिए प्रक्रिया क्या अपनाई जानी चाहिए। पूर्व में लिखित परीक्षा लेने का प्रस्ताव बना लेकिन बाद में सिर्फ साक्षात्कार के माध्यम से ही भर्ती करने का निर्णय लिया गया। लेकिन अभ्यर्थियों की संख्या हजारों में होने के कारण भर्ती प्रक्रिया प्रशासनिक अधिकारियों की बैठकों के आगे नहीं बढ़ी। शिक्षा बोर्ड के दो अध्यक्ष भी बदल गए। इस बीच शिक्षा बोर्ड में 20 से 30 वर्ष से संविदा पर कार्य कर रहे कुछ परिचारक वरीयता देने का मामला उच्च न्यायालय तक ले गए। अदालती उलझनों और भर्ती की जटिलता को देखते हुए बाद में बोर्ड प्रशासन ने भी भर्ती के प्रति रुचि नहीं दिखाई। आखिरी करीब साढे़ तीन वर्ष बाद 2 फरवरी 2016 को भर्ती प्रक्रिया निरस्त करने की घोषणा कर दी गई।

ऑनलाइन वापस करना था परीक्षा शुल्क

शिक्षा बोर्ड ने भर्ती परीक्षा निरस्त करते हुए सार्वजनिक सूचना प्रकाशित कर बताया था कि सभी अभ्यर्थियों को उनका परीक्षा शुल्क ऑनलाइन उनके खाते में जमा करा दिया जाएगा। अभ्यर्थियों से ऑनलाइन आवेदन के दौरान उनकी खाता संख्या और बैंक का नाम भी लिया गया था। दो माह से अधिक बीतने के बावजूद बोर्ड की ओर से अभ्यर्थियों को शुल्क नहीं लौटाया गया है।कोई अभ्यर्थी अपना शुल्क वापस लेने आया ही नहीं होगा। ऑनलाइन शुल्क वापसी के लिए भी खाता संख्या और बैंक के नाम की जरुरत होती है। फिलहाल इस बारे में अधिक जानकारी नहीं है। पहले मूल शुल्क वापस कर दें। ब्याज के बारे में बाद में निर्णय किया जाएगा