नेशनल हुक
बिहार में एनडीए व महागठबंधन के बीच कांटे का मुकाबला हो रहा है, जिससे हर सीट पर रोचक चुनावी संघर्ष देखने को मिल रहा है। नीतीश कुमार ने लोकसभा चुनाव से थोड़ा पहले ही पलटी मारी और महागठबंधन से अलग हो गये। एनडीए के साथ इस उम्मीद में सरकार बनाई ताकि लोकसभा में उनको अच्छी सफलता मिल जाये। मगर अब लगता है उनका दाव उलटा पड़ रहा है। मोदी का सहारा होने के बाद भी जेडीयू मुश्किल में है। उसके अपने ही जेडीयू के लिए बाधाएं खड़ी कर रहे हैं।
बिहार के सीमांचल व पूर्वांचल में जेडीयू के उम्मीदवार कड़े मुकाबले में फंस गये है। मोदी का जादू भी उनको राहत नहीं दिला पा रहा है। सीमांचल में लालू ने मुस्लिम व यादव बहुल इलाके की सीटों किशनगंज, कटिहार व पूर्णिया में अपनी रणनीति से जेडीयू को परेशान कर दिया है। किशनगंज तो वो एकमात्र सीट है जिसे महागठबंधन की तरफ से पिछली बार कांग्रेस ने जीता था। पूर्वांचल के भागलपुर व बांका में भी जेडीयू को कड़ी टक्कर मिल रही है। जेडीयू इन सीटों को पहले अपने लिए सुरक्षित मान रही थी मगर लालू यादव ने यहां भी उसके सामने परेशानियां खड़ी की है।
आरम्भ में कांग्रेस व राजद के बीच सीट शेयरिंग को लेकर गड़बड़ हुई। मगर बाद में राहुल से बात कर समझौता कर लिया गया। अब भागलपुर में राहुल व तेजस्वी ने एक साथ रैली कर जेडीयू की परेशानी बढ़ा दी। पूर्वांचल व सीमांचल में जेडीयू का जातिगत समीकरण भी पूरी तरह गड़बड़ा गया है। एनडीए में जाने के कारण जेडीयू का मुस्लिम व यादव वोट बैंक उससे छिटक गया है। कई नेता तो पार्टी छोड़ राजद के साथ आ गये है और वे ही बड़ी समस्या खड़ी कर रहे हैं। मुस्लिम व यादव फैक्टर जेडीयू को परेशान किये हुए हैं। धरातल पर भी राजद व कांग्रेस एक साथ दिख रहे हैं, इसीलिये जेडीयू को अपना पिछला प्रदर्शन दोहराने में पसीना उतर रहा है। भाजपा का साथ इन इलाकों में उसे वो फायदा नहीं दे रहा, जिसकी उम्मीद पर नीतिश ने पलटी मारी थी। मुकेश सहनी का राजद को मिला साथ भी चुनावी गणित को पूरी तरह प्रभावित कर रहा है।
सीमांचल की पूर्णिया सीट तो त्रिकोणीय मुकाबले में पूरी तरह फंस गई है। यहां निर्दलीय उतर के पप्पू यादव ने सारा चुनावी गणित ही बदल दिया है। यहां पप्पू यादव की लोकप्रियता राजद व जेडीयू को परेशान किये हुए हैं। यदि बिहार में वाईएम फेक्टर यानी यादव मुस्लिम फेक्टर हावी रहा तो भाजपा को भले ही कम नुकसान हो मगर जेडीयू को बड़ा नुकसान होगा। इसी कारण बिहार में जेडीयू को पिछला प्रदर्शन दोहराने में पसीना उतर रहा है। पिछले लोकसभा चुनाव में जेडीयू भाजपा के एनडीए के साथ मिलकर लड़ी थी और एनडीए ने बिहार की 40 सीटों में से 39 सीटें जीती थी। केवल 1 सीट महागठबंधन की तरफ से किसनगंज की कांग्रेस ने जीती थी। वो प्रदर्शन इस चुनाव में एनडीए दोहरा सकेगा, ये यक्ष प्रश्न है। बिहार में फिलहाल कांटे की टक्कर है और जेडीयू मोदी के सहारे पर पूरी तरह निर्भर है। बिहार के चुनाव परिणाम इस बार चकित करने वाले होंगे, ये सभी मान रहे हैं।
— मधु आचार्य ‘ आशावादी ‘