नेशनल हुक
पिछले दो लोकसभा चुनाव से भाजपा दिल्ली की सभी 7 सीटें जीतती आ रही है। विधानसभा चुनाव भले ही आम आदमी पार्टी प्रचंड बहुमत से जीती मगर लोकसभा चुनाव में वो दो बार से खाता भी नहीं खोल पाई है। इस बार भाजपा के सामने अपना पुराना प्रदर्शन दोहराने की चुनोती है तो आप के सामने पहली जीत दर्ज का बड़ा लक्ष्य है। पिछले दो चुनावों के कटु अनुभव के बाद इस बार आप ने विपक्ष के वोट को बंटने से बचाया है और कांग्रेस से समझौता किया है। हालांकि पंजाब में दोनों एक दूसरे के सामने है मगर दिल्ली की लड़ाई दोनों मिलकर लड़ रहे हैं। आप दिल्ली की 4 व कांग्रेस 3 सीट पर चुनाव लड़ रही है। इसी के कारण इस बार भाजपा के सामने परेशानी खड़ी हुई है।
चुनाव से पहले बड़ा राजनीतिक घटनाक्रम हुआ और दिल्ली सरकार के आबकारी घोटाले के मामले में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार कर लिया गया जो अभी तिहाड़ जेल में बंद है। इस घटना ने दिल्ली के चुनाव की सूरत और सीरत, दोनों को ही बदल के रख दिया है। उसी वजह से दिल्ली के चुनाव रोचक हो गये हैं।
इस बार दिल्ली में बाकी सारे मुद्दे गौण हो गये हैं। राम मंदिर, धारा 370, समान नागरिक संहिता जैसे विषयों पर न तो नेता बात कर रहे हैं और न मतदाता। सभी केवल नरेंद्र मोदी व अरविंद केजरीवाल पर बात करने में लगे हुए हैं। चुनाव पूरी तरह से मोदी बनाम केजरीवाल हो गया है।
इस मुद्दे पर चुनाव आ जाने के कारण दो बड़े परिवर्तन दिख रहे हैं। पहला तो केजरीवाल की गिरफ्तारी का। एक धड़ा उनकी गिरफ्तारी को जायज ठहरा रहा है तो दूसरा इसे राजनीतिक प्रतिशोध की संज्ञा दे रहा है। आप ने तो पोस्टर भी जारी किया है जिसमें सलाखों के पीछे केजरीवाल दिख रहे हैं और ऊपर लिखा है– गिरफ्तारी का जवाब वोट से। इसी वजह से चुनाव मोदी बनाम केजरीवाल बना है।
दूसरा परिवर्तन हुआ है स्थानीय मुद्धों के कारण। आप की स्ट्रेटरेजी रही है कि वो स्थानीय मुद्धों पर वोटर को भावुक करती है। वो सातों सांसदों के कार्यकाल का हिसाब मांग रही है और उनके सामने दिल्ली सरकार के शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली, पानी, तीर्थ यात्रा, महिलाओं को फ्री बस यात्रा आदि के काम रख रही है। इसी कारण चुनाव स्थानीय बन गया है। मुकाबला भी रोचक हो गया है। आप ने केजरीवाल की धर्मपत्नी सुनीता केजरीवाल को प्रचार में उतार इमोशनल कार्ड भी खेला है। जिसका भी असर दिख रहा है।
कांग्रेस भी आप के साथ मन से है। कांग्रेस उम्मीदवार सुनीता केजरीवाल, संजय सिंह से तो आशीर्वाद ले ही रहे हैं मगर साथ ही आप के कार्यकर्ता सम्मेलन में भी भागीदारी कर रहे हैं। कांग्रेस पूरी तरह से अरविंद केजरीवाल के भी पक्ष में खड़ी खुद को साबित कर रही है। स्थानीय मुद्धों के कारण चुनावी समर रोचक हो गया है और वो जीत हार के समीकरण भी असर डालेगा।
— मधु आचार्य ‘ आशावादी ‘