बालेसर/जोधपुर।  बालेसर पत्थर खनन क्षेत्र में राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) की पर्यावरण स्वीकृति (ईसी) नहीं लाने पर बालेसर क्षेत्र में 5912 खानें बंद होने से एक लाख से अधिक परिवारों पर रोजगार का संकट गहरा गया है।बालेसर क्षेत्र में खान विभाग के आंकड़ों में 6 हजार 130 सेण्ड स्टोन (बलुवा पत्थर) की खानें हैं। सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशानुसार हर खान मालिक को पर्यावरण स्वीकृति लाने पर ही खान सुचारू रखने के निर्देश है। खान विभाग द्वारा पूर्व में भी ईसी की अनिर्वायता पर ऑनलाइन आवेदन को कहा था, लेकिन बालेसर में खान मालिकों ने ऑनलाइन आवेदन नहीं किए। लेकिन राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) ने जब समाचार पत्रों में सूचना व विभागीय निर्देश जारी कर 31 मार्च से पूर्व जिनके पर्यावरण स्वीकृति (ईसी) के लिए ऑनलाइन आवेदन नहीं है, उन खानों को तुरन्त बन्द करने के आदेश जारी किए। तब खान मालिको में हड़कंप मच गया।

5912 खानें बंद

राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) की बालेसर खनन क्षेत्र में 6 हजार 130 में से पांच हजार 9 सौ 12 खानों पर गाज गिरी। इन निर्देशों की पालना में खान एवं भू विज्ञान विभाग बालेसर ने भी सभी खान धारकों कोतुरन्त खानें बन्द करने के आदेश जारी किए। वंचित रहे इन सभी खान धारकों को एनजीटी में ऑनलाइन आवेदन कर विभाग कार्यालय में सूचना देने के निर्देश दिए।

मात्र 218 खानें चालू-

बालेसर क्षेत्र में इन 6130 खानों में से मात्र 218 खान धारकों के पास ही 31 मार्च से पूर्व ऑनलाइन आवदेन होने से चालू हालात में है। खान विभाग ने निर्देश दिए कि 31 मई से पूर्व यदि इन 218 खान धारकों के पास ईसी नहीं मिली तो यह भी एक जून से से बंद कर दी जाएगी।दलालों के भरोसे एनजीटी के निर्देश के बाद खान मालिकों में हड़कम्प मच गया। क ई खान मालिकों ने दलालों पर कथित आरोप लगाते हुए बताया कि बालेसर में विभागीय निर्देशों के बाद जब उन्होंने दलालों से सम्पर्क किया तो उन्होंने मुंहमांगे पैसे ले लिए तथा भरोसा दिलाया कि वह ईसी के लिए ऑनलाइन आवेदन कर देंगे। जबकि किसी भी दलाल ने आवेदन नहीं किए। इसका खामियाजा खान मालिक भुगत रहे हैं। खान मालिकों ने रोष जताया कि दलालों ने उन्हें गुमराह किया।

एक लाख से अधिक लोग प्रभावित

बालेसर क्षेत्र में प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से करीब 50 हजार खान मजदूरों पर इसका सीधा प्रभाव पड़ा है। खानों में सन्नाटा पसरने से खान मजदूर निराश हैं। साथ ही खानों से जुड़े ट्रक चालक, ट्रक मालिक, ट्रकों व ट्रैक्टरों में पत्थर भरने व खाली करने वाले चमालिया सहित करीब एक लाख परिवारों पर खाने बंद होने का सीधा प्रभाव पड़ा है। एेसे में इन परिवार में रोजगार का संकट छा गया।

कम हो गई रॉयल्टी आय

बालेसर क्षेत्र में रॉयल्टी का ठेका भी प्रभावित हुआ। इस वर्ष 22 करोड़ का रॉयल्टी ठेका हुआ। ठेकेदार को प्रतिदिन चालू खानों से प्रतिदिन पत्थर भरकर रवाना होने वाले ट्रैक्टरों, ट्रकों से करीब 6-7 लाख रुपए की आय होती थी। अब खानों के बंद होने से उसमें जबरदस्त गिरावट आई। अब मात्र डेढ़ से दो लाख रुपए की ही रोजाना आय हो रही है। ठेकेदार जब्बरसिंह इन्दा ने बताया कि 218 खानें चालू होने से कुछ ट्रक ही भरी जा रही है। बाहर की ट्रकें नहीं आती। 22 करोड़ के ठेके की किश्त भी भरनी मुश्किल हो रही है।