जयपुर । क्या आप जानते हैं कि आपकी मैमोरी की गति स्वाभाविक रूप से हर दशक में लगभग दो फीसदी कम हो जाती है? ऐसा 20 वर्ष की उम्र के बाद से होना शुरू हो जाता है। लेकिन कुछ शोध आधारित ऐसी बातें हैं, जिनको ध्यान में रखकर आप अपने दिमाग को हमेशा चुस्त-दुरुस्त बनाए रख सकते हैं। जानते हैं इ नके बारे में।

भावनाओं से याददाश्त कमजोर

कई बार किसी अपराध का चश्मदीद गवाह सारी बातें जानकर भी उन्हें रिकॉल नहीं कर पाता क्योंकि वह काफी डरा हुआ होता है। लोवा स्टेट यूनिवर्सिटी की साइकोलॉजिस्ट गैरी वैल्स कहती हैं कि डर सर्वाइवल रेस्पॉन्स पैदा करता है, जो कॉग्निटिव रिसोर्स इस्तेमाल करता है। ऐसे में भावनाएं आपकी मेमोरी एनकोडिं ग को खराब कर सकती हैं। यही कारण है कि भावुक व्यक्ति की याददाश्त काफी कमजोर होती है।

तथ्यों को जोड़ता है दिमाग

कुछ लोग दावा करते हैं कि कोई खास घटना उनके दिमाग में तस्वीर की तरह दर्ज है। टेक्सास की बेलर यूनिवर्सिटी के साइकोलॉजिस्ट चाल्र्स वेबर अपने एक शोध के आधार पर कहते हैं कि इंसान अपनी यादों को लगातार संशोधित करता रहता है और एक लंबी कहानी की तरह पेश करता है। दिमाग तथ्यों को जोड़कर कहानी बनाने में माहिर होता है।

तनाव से कमजोर होती है मैमोरी

वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन द्वारा किए गए अध्ययन के मुताबिक जिन लोगों ने स्ट्रेस हार्मोन कार्टिसोल की चार दिन तक हैवी डोज ली, वे रिकॉल टेस्ट में फेल हो गए। यूनिवर्सिटी ऑफ पिट्सबर्ग के शोधकर्ताओं के अनुसार जो महिलाएं पिछले 20 सालों से उच्च स्तर का तनाव ले रही थीं, उनके हिप्पोकैंपस (मस्तिष्क का एक छोटा भाग जो भावनाओं को नियंत्रित करता है) का दाहिना हिस्सा सिकुड़ गया था। ध्यान और योग से मैमोरी मजबूत की जा सकती है।

पुरानी यादों से तुलना

चाल्र्स वेबर के मुताबिक कई बार किसी खास परिस्थिति में हमें महसूस होता है कि ऐसा पहले भी घट चुका है। दरअसल यह दिमाग की सहज प्रक्रिया है। दिमाग चीजों को उस परिभाषा या रूप में ढालना चाहता है, जो उसके पास पहले से मौजूद है। इसलिए व्यक्ति उस वक्तपुरानी यादों से तुलना करके खुद को माहौल के अनुरूप ढालता है।

बातें भूलना बड़ी बात नहीं

यूनिवर्सिर्टी ऑफ वर्जीनिया के शोधकर्ताओं के मुताबिक किसी बात का दिमाग से स्लिप होना बड़ी बात नहीं है। हम लगातार मल्टीटास्किंग काम करते हैं। इस कारण किसी भी चीज पर पूरी तरह से फोकस नहीं कर पाते। ऐसे में चीजें दिमाग में पीछे चली जाती हैं। जिन्हें खोजने में परेशानी आती है।

कार्डियो से होता है फायदा

आपका दिमाग रक्त वाहिनियों से भरा होता है। इसलिए एक्सरसाइज का इस पर सकारात्मक असर होता है। कार्डियो आपके दिल की सही तरीके से पंप करने में मदद करता है। इससे ऑक्सीजन की डिलीवरी ज्यादा होती है और नई कोशिकाओं का निर्माण होता है। 2011 में हुए एक शोध के मुताबिक जो लोग पूरे साल एक सप्ताह में तीन बार 40 मिनट की वॉक पर गए, उनके हिप्पोकैंपस में लगभग दो फीसदी की ग्रोथ देखी गई।

महिलाएं बेहतर तरीके से याद रखती हैं

मायो क्लिनिक स्टडी ने 30-95 वर्ष के लोगों का अध्ययन किया और पाया कि जैसे-जैसे पुरुषों की उम्र बढ़ती जाती है, वैसे-वैसे मेमोरी में तेजी से कमी होती है। शोधकर्ताओं ने पाया कि महिलाओं में उम्र बढऩे के साथ-साथ तुलनात्मक रूप से  हिप्पोकैंपस बड़ा होता जाता है। एक अन्य रिसर्च के मुताबिक इसका श्रेय एस्ट्रोजन को जाता है, यह किसी भी तरह के कार्डियोवैस्क्युलर रिस्क से महिलाओं को बचाता है। एक अन्य शोध यह भी बताता है कि पुरुष हर उम्र में महिला से बुरी याददाश्त रखते हैं।

उम्र के साथ भी बढ़ता है दिमाग

ज्यादातर शोधकर्ताओं के निष्कर्ष बताते हैं कि उम्र के साथ दिमाग के काम करने की क्षमता कम हो जाती है, पर नई रिसर्च क्रिस्टलाइज्ड इंटेलीजेंस पर बल देती है। इसमें 60 वर्ष की उम्र के अंत तक या 70 वर्ष की उम्र के शुरुआती साल तक दिमाग के ज्ञान, क्षमता और अनुभव बढऩे की योग्यता पर ध्यान दिया जाता है। युवा मस्तिष्क तेजी से प्रोसेसिंग कर सकता है, पर पुराने दिमाग के पास अपने अनुभवों के आधार पर शॉर्टकट्स भी होते हैं।

झपकियों का है महत्व

अगर आप काम के दौरान बीच-बीच में झपकियां लेते हैं तो इससे आपकी याददाश्त मजबूत होती है। कई शोधों से यह बात पता लगी है कि 45 मिनट की एक झपकी से जानकारियों को रिकॉल करने की क्षमता में पांच गुना इजाफा हो जाता है। ऐसा नहीं है कि झपकी लंबी ही ली जाए। अगर आपके पास समय का अभाव है तो 10-15 मिनट की झपकी भी ले सकते हैं। इससे दिमाग पूरी तरह शांत होकर अगले काम के लिए तैयार हो पाता है।