विधानसभा चुनाव जैसे हालात से बचने की जुगत में कांग्रेस, फाइनली फाइनल होते हुए भी कुछ फाइनल नहीं
लॉयन न्यूज, बीकानेर। नगर निगम के चुनाव के लिए अभी तक प्रत्याशियों का चयन भी नहीं हुआ है, लेकिन विरोध के स्वर इस कदर हावी हैं कि नेता दबाव में आए हुए हैं। भाजपा जहां अपनी सूची जारी करने के बाद ‘अपर-हैंडÓ हो चुकी है तो कांग्रेस अभी तक इस मुद्दे पर भी एकमत नहीं है कि जिसे फाइनली फाइनल कर दिया है, उसे कह सकें कि उसका नाम फाइनल है। हालात यह है कि प्रदेश नेतृत्त्व के द्वारा सारे अधिकार स्थानीय नेताओं को दिए जाने के बाद भी फैसले नहीं हो रहे हैं। चुटकी लेते हुए यह भी कहा जाने वाला है कि दूध की जली हुई कांग्रेस छाछ को भी फूंक-फूंककर पी रही है। पिछले विधानसभा चुनाव के प्रकरण को याद करते हुए एक कांग्रेसी नेता का कहना है कि विधानसभा चुनाव में जिस तरह डॉ.बी.डी.कल्ला का टिकट पश्चिम से कटा और यशपाल गहलोत को दिया गया और फिर कन्हैयालाल झंवर का टिकट छीनकर यशपाल को बीकानेर विधानसभा पूर्व से कांग्रेस का प्रत्याशी बनाया गया और वहां से फिर यशपाल गहलोत से टिकट कन्हैयालाल झंवर ने हथिया लिया और यशपाल गहलोत ऐसे नेता के रूप में पहचान बनाने में सफल रहे जिन्हें दो-दो विधानसभा चुनाव से प्रत्याशी बनाए जाने के बाद भी चुनाव लडऩे का अवसर नहीं मिला, कहीं वैसे ही हालात फिर नहीं आ जाएं। जिस तरह कांग्रेस के नेताओं ने हर वार्ड से दो-दो लोगों को टिकट दिलाने का वादा किया है, उससे यही जाहिर हो रहा है कि लोगों के अंदर महत्वाकांक्षा जगाने का दुष्परिणाम कांग्रेस भुगत रही है।
ऐसे में दबाव की राजनीति हावी हो चुकी है। पहली बार देखा जा रहा है कि कांग्रेस के सारे दूसरे गुट या ऐसे नेता जिन्हें तरजीह नहीं दी गई, उन्होंने संदेहास्पद चुप्पी साध ली है। ऐसे में बीकानेर नगर निगम के प्रभारी होने के नाते डॉ.बी.डी.कल्ला और कन्हैयालाल झंवर ने जैसे-तैसे सूची तो फाइनल कर दी है, लेकिन बागियों के खड़े होने के डर से सूची को जारी नहीं कर रहे हैं। बीकानेर विधानसभा पूर्व के हालात तो ऐसे हैं कि कन्हैयालाल झंवर को कई बड़े नेता सहयोग भी नहीं कर रहे हैं। पता चला है कि एक वार्ड के नये सिरे से सर्वे के लिए नारायण झंवर को अपने निजी संबंध तक इस्तेमाल करने पड़े हैं तो दूसरी ओर बीकानेर विधानसभा पश्चिम में हालांकि डॉ.बी.डी.कल्ला को कोई मुश्किल नहीं है, लेकिन कुछ नेताओं के कुछ भी नहीं बोलने के कारण संशय की स्थिति बनी हुई है।
बड़े नेताओं की इस चुप्पी ने सूची बनाने के काम करने वालों को ही कठघरे में खड़ा कर दिया है। कुछ नाम लीक होने की वजह से जिस तरह का दबाव का माहौल कांग्रेस में बन रहा है, उस वजह से नाम बदले जाने की सूचना भी मिली है, जिससे पहले जिसे कहा गया था, वह भी नाराज है।