लॉयन न्यूज, बीकानेर। राज्य सरकार द्वारा जयपुर ग्रेटर नगर निगम की महापौर डॉ. सौम्या गुर्जर, दो चेयरमैन और एक पार्षद को निलंबित करने के मामले में भाजपा ने जहां प्रदेशव्यापी विरोध की रणनीति बनाई है तो वहीं कांग्रेस सरकार के फैसले को सही बता रही है। लॉयन एक्सप्रेस ने इस मुद्दे पर कांग्रेस व भाजपा के दो नेताओं से राय जानी तो सामने आया कि दोनों ही पार्टी इस मुद्दे पर पीछे हटने को तैयार नहीं है। कांग्रेस आईटी सेल से जुड़े चित्रेश गहलोत तथा भाजपा शहर उपाध्यक्ष अशोक प्रजापत ने खुलकर इस विषय पर अपनी प्रतिक्रिया रखी –

चित्रेश गहलोत – सौम्या गुर्जर का निलंबन एक दम उचित है। ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि भाजपा के नप्रतिनिधियों ने प्रशासनिक अधिकारियों के साथ ,नगर निगम अधिकारियों ,कर्मचारियों के साथ इस प्रकार की इस प्रकार का हिंसात्मक दुर्व्यवहार किया गया हो। निगम अधिकारियों एवम कर्मचारियों के साथ हिंसात्मक दुर्व्यवहार की खबरे बीकानेर से भी आती रही है, कुछ घटनाओं की रिपोर्टिंग होती है एवम कुछ दुर्व्यवहार की घटनाओं की तो रिपोर्टिंग तक नही होती है। ये तो प्रशासनिक अधिकारी थे इनके पास इतने अधिकार होते है की ये रिपोर्टिंग कर सकते है । परंतु जो निचले स्तर के कर्मचारी एवं संविदा कर्मचारी होते हैं उनके साथ जिस प्रकार का हिंसात्मक दुर्व्यवहार एवम राजनैतिक प्रताड़ना होती है , वह कहां जाकर रिपोर्टिंग करें उनके पास ना तो इतने अधिकार होते हैं और ना ही उनकी कोई सुनवाई का कोई सिस्टम है जिसके तहत वह बिना दबाव के शिकायत कर सकें या अपनी आपबीती बता सके।

कहीं ना कहीं जो भाजपा के अंदर गुटबाज़ी है और खेमे बाज़ी है उसका खामियाजा सबसे ज्यादा निगम अधिकारियों एवं कर्मचारियों को भुगतना पड़ता है। क्योंकि नगर निगम स्तर पर जब भाजपा के दो गुटों के व्यापारिक हितों में टकराव होता है तो उसका खामियाजा कहीं ना कहीं अधिकारियों एवं कर्मचारियों को भुगतना ही पड़ता है। जहां जहां भाजपा के बोर्ड हैं वहां वहां व्यापारिक एवं व्यवसायिक प्रभुत्व के लिए भाजपा के विभिन्न खेमों में जबरदस्त शीत युद्ध चल रहा है।

चाहे जयपुर की घटना हो ,चाहे बीकानेर की घटना हो ,चाहे रायसिंहनगर की घटना हो भाजपा में विभिन्न खेमों के बीच चल रहा शीतयुद्ध अब किसी से छुपा नहीं और यह शीत युद्ध निगम स्तर तक भीषण रूप ले चुका है।

जयपुर प्रकरण में भाजपा के 3 विधायकों की अनुपस्थिति एवं चुप्पी यह स्पष्ट संकेत देती है कि सौम्या गुर्जर के निलंबन के विषय पर भाजपा के सभी नेता एक मत या एक राय नहीं है और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया के नेतृत्व पर ही पिछले 1 साल से कई सवाल खड़े हो चुके है । सौम्या गुर्जर के प्रकरण में कांग्रेस पर आपातकाल का आरोप लगाने वाली भाजपा को यह देखना चाहिए कि उनके भीतर ही आपातकालीन परिस्थितियों पैदा हो गई।

अशोक प्रजापत – राजस्थान नगरपालिका अधिनियम 2009 की धारा 39 (6) में प्रदत्त  ‘शक्तियों का दुरुपयोग कर आरोप पत्र जारी करने से पहले ही निलंबन ‘
निलंबन का ऐसा यह राजस्थान में पहला मामला है। जयपुर ग्रेटर मेयर एवं पार्षदों का निलंबन अत्यन्त दुर्भाग्यपूर्ण है, यह कृत्य लोकतांत्रिक मर्यादाओं के प्रतिकूल है। कांग्रेस सरकार नगर निकायों में जहां भी भाजपा का बोर्ड वहां येन-केन प्रकारेण सत्ता का दुरुपयोग कर रही है। कांग्रेस अनुचित दबाव बनाकर लोकतंत्र का गला घोंटने का काम कर रही है।
कांग्रेस पार्टी द्वारा चुने हुए जनप्रतिनिधियों के साथ ऐसा आचरण करना जनादेश का अपमान करना है जिसका स्वस्थ लोकतंत्र में कोई स्थान नहीं है। प्रदेश की कांग्रेस सरकार लोकतंत्र की परिभाषा बदलने की कोशिश कर रही है इस दमनात्मक कार्रवाई का भाजपा द्वारा मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा।