जोधपुर। आधुनिक युवा पीढ़ी क्या जाने छाछ, राबड़ी और दलिया का स्वाद। आजकल के युवाओं को को पिज्जा-बर्गर का बड़ा चाव है। फ्रेंड सर्किल में अक्सर जंक फूड्स की ही डिमांड रहती है। लेकिन अब एेसा नहीं चलने वाला। सरकार चाहती है कि कॉलेज स्टूडेंट भी अच्छी चीजें खाएं। इसलिए सभी सरकारी व निजी कॉलेजों की कैंटीन पर जंक फूड पर पाबंदी लगा दी है। मजेदार स्वाद, पकाने में न्यूनतम मेहनत और आधुनिकता के चलते जंक फूड को फास्ट फूड कहा जाता है और इसकी लोकप्रियता बढ़ती जा रही है। बच्चे तो बच्चे, बड़ों को भी यह बेहद अच्छा लगता है। लेकिन इसका स्वाद जितना अच्छा रहता है, शरीर और सेहत पर इनसे उतना ही प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। कुछ सालों से वड़ा पाव, समोसा, पिज्जा, बर्गर, रोल, फ्रेंच फ्राई जैसे जंक फूड्स ने कॉलेज की कैंटीनों में महत्वपूर्ण जगह बना लिया है। इसे देखते हुए राज्य सरकार ने प्रदेश में निजी व सरकारी महाविद्यालयों में संचालित होने वाले कैंटीन में जंक फूड पर पाबंदी लगाने के आदेश जारी कर दिए हैं।

कॉलेजों को जारी किए निर्देश

इस सम्बन्ध में सात अप्रेल को आयुक्तालय कॉलेज शिक्षा की संयुक्त निदेशक अकादमिक डॉ. रेनू बापना ने सभी कॉलेजों को निर्देश जारी किए हैं। साथ में यह भी बताया है कि कैंटीन में कौन-सी खाने की वस्तुएं रखी जा सकती हैं और किन वस्तुओं के उपयोग पर पाबंदी रहेगी।

खान-पान के प्रति छात्रों में जागरूकता बढ़ाने के संबंध में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय नई दिल्ली से प्राप्त पत्र के आधार पर यह निर्णय लिया गया है। स्कूलों की कैंटीन पर इस प्रकार के आदेश पहले से लागू हैं। पत्र में एक सर्वे का हवाला दिया था जिसमें बताया गया था कि जंक फूड किस तरह युवाओं में मोटापा और अन्य बीमारियों को बढ़ा रहा है। इस पत्र के बाद ही राजस्थान सरकार ने यह प्रतिबंध लागू किया है।

इन पर रहेगी पाबंदी

चिप्स, आलू फ्राइज, आइस बॉल, बोतलबंद सॉफ्ट ड्रिंक्स, रसगुल्ला, गुलाब जामुन, पेड़ा, नूडल्स, पिज्जा, बर्गर, टिक्की, गोलगप्पे, ऐसी मिठाइयां जिनमें मीठा तीस प्रतिशत से ज्यादा होता है। जैसे इमरती, जलेबी, कैंडीज, चॉकलेट्स और पेेस्ट्रीज।

खूब करो इनका उपयोग

मौसमी सब्जियों का सलाद, पराठा, चपाती, दलिया, कढ़ी, चावल, मीठी या नमकीन राबडी, वेजिटेबल पुलाव, दाल, चावल, चावल राजमा, हलवा, इडली, साम्‍भ्‍ार, उपमा, साम्भर बड़ा, वेजिटेबल सैंडविच, वेजिटेबल खिचड़ी, दही, लस्सी, छाछ, खीर, नारियल पानी आदि।

क्या कहती है अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट

हाल ही में यूिनर्वसिटी ऑफ  ईस्टर्न फिनलैंड में हुए एक रिसर्च में पौष्टिक खाना और अवसाद के बीच के इस संबंध का खुलासा हुआ है। रिपोर्ट में यह खुलासा किया गया कि जिन लोगों के खानपान में सब्जियां, फल, अनाज, दूध, दही, मछली और कम वसा वाली चीजें शामिल होती हैं।

उनमें अवसादग्रस्त होने के लक्षण कम होते हैं। इसके विपरीत जो लोग जंक फूड, चीनी वाले उत्पाद और प्रोसेस्ड आलू आदि ज्यादा लेते हैं, उनके अवसादग्रस्त होने की आशंका काफी बढ़ जाती है।