नेशनल हुक
दक्षिण में कर्नाटक ही एक ऐसा राज्य है जहां भाजपा की उपस्थिति है। इस राज्य में उसकी सरकार भी रही है। तमिलनाडु, आंध्रा, तेलंगाना, केरल आदि में तो भाजपा की कोई मजबूत स्थिति भी नहीं है। कर्नाटक में तो भाजपा ने पिछले लोकसभा चुनाव में सर्वाधिक सीटें जीती थी और कांग्रेस बहुत ही पिछड़ गई थी। इस कारण ये माना जा सकता है कि भाजपा दक्षिण भारत मे केवल इसी राज्य से कोई उम्मीद कर सकती है।
कर्नाटक में इस समय कांग्रेस की सरकार है और भाजपा के सामने अपना पिछला प्रदर्शन दोहराने की बड़ी चुनोती है। विधानसभा चुनाव के समय भाजपा ने इस राज्य में पूरी ताकत झोंकी थी मगर जीत नहीं पाई। उस समय का तो रोचक आंकड़ा है। विधानसभा चुनाव के समय पीएम मोदी की स्ट्राइक रेट 40 प्रतिशत से अधिक थी कांग्रेस नेता राहुल गांधी की स्ट्राइक रेट लगभग 60 फीसदी थी। उस समय से भाजपा कर्नाटक को लेकर चिंतित है।
इसी चिंता के चलते भाजपा ने लोकसभा चुनाव से पहले देवेगौड़ा की जेडीएस से समझौता किया और उन्हें एनडीए में लाये। उससे तो कांग्रेस व सिद्धारमैया व डी के शिवकुमार ज्यादा आक्रामक हो गये। जेडीएस के भाजपा के साथ जाने से उसका मुस्लिम वोट बैंक बिदक गया। जेडीएस के मुस्लिम नेता भी पार्टी छोड़ कांग्रेस के साथ आ गये। राज्यसभा चुनाव के समय कांग्रेस ने भाजपा का विधायक तक तोड़ लिया। दो दिन पहले एक भाजपा सांसद भी कांग्रेस में आ मिला।
कर्नाटक सीएम सिद्धारमैया व डिप्टी सीएम शिवकुमार का ये दावा भी विस्मयकारी है कि भाजपा के कई विधायक कांग्रेस के संपर्क में है। ये सच है या झूठ, मगर इस बयान से पब्लिक परसेप्शन तो बना ही है। जेडीएस के मुस्लिम मतदाताओं को तुरंत कांग्रेस ने रिझाया और विधानसभा चुनाव के समय की कमी को पूरा किया। अब भाजपा के सामने बड़ी चुनोती अपना पिछला प्रदर्शन लोकसभा चुनाव में दोहराने की है, जिसकी राह बहुत कठिन है। हालांकि भाजपा ने अपनी साख बचाने के लिए पूरी शक्ति लगाई है मगर अब भी वो भीतर से तो शंकित है। पीएम मोदी व गृहमंत्री अमित शाह लगातार कर्नाटक के दौरे कर रहे हैं, उनका कितना असर होता ये चुनाव परिणाम से ही पता चलेगा।
दूसरी तरफ कांग्रेस के लिए राहत की स्थिति है। पिछले चुनाव के नजरिये से देखें तो उसके पास खोने के लिए कुछ भी नहीं है। वो तो जितना भी हासिल करेगी उसकी उपलब्धि है। दक्षिण भारत के लिए कांग्रेस इस बार अलग ही चुनावी रणनीति पर काम कर रही है। दक्षिण भारत का ये राज्य भाजपा के लिए बड़ी चुनोती है, ये तो स्पष्ट है।
— मधु आचार्य ‘ आशावादी ‘