एक साथ आठ बच्चों की मौत के बाद चेते जवाहरलाल नेहरू अस्पताल प्रशासन ने शिशु रोग विभाग में अब न केवल वरिष्ठ चिकित्सकों को रात भर ड्यूटी पर मुस्तैद रहने के निर्देश दिए हैं बल्कि अब तक रात की ड्यूटी से बच रहे नर्स ग्रेड फस्र्ट की भी ड्यूटी निर्धारित कर दी है।शिशु रोग विभाग में अब तक यह ढर्रा चल रहा था कि रात में वरिष्ठ चिकित्सकों की ड्यूटी तो लगती थी, लेकिन वे एक-दो राउंड लगा कर चले जाते थे। वहीं फस्र्ट ग्रेड का नर्सिंग स्टाफ रात को अपनी ड्यूटी ही नहीं लगवाता था। अस्पताल प्रशासन ने अब यह व्यवस्था की है कि रात के समय जिन वरिष्ठ चिकित्सकों की ड्यूटी लगाई जाएगी वह रातभर अस्पताल में ही रुकेंगे। साथ ही रात के समय एक-एक वरिष्ठ नर्सिंग स्टाफ की भी ड्यूटी रहेगी।

…रेजीडेंट बोली, कल सुबह से हूं ड्यूटी पर

चिकित्सकों की कमी के कारण अस्पताल में कार्यरत रेजीडेंट डॉक्टर्स के बुरे हाल हैं। रेजीडेंट डॉक्टर्स की ड्यूटी दोपहर 2 बजे शुरू होती है जो सुबह 8 बजे तक चलती है। यह ड्यूटी भी केवल कागजों में ही है। सुबह 8 बजे ड्यूटी खत्म होने के बाद भी कई रेजीडेंट को जूझते हुए देखा जा सकता है। स्थिति यह है कि एक महिला रेजीडेंट डॉक्टर रविवार सुबह से सोमवार दोपहर तक ड्यूटी पर रही उसकी सोमवार दोपहर से फिर ड्यूटी लगा दी गई। इस पर उसे वरिष्ठ चिकित्सकों के समक्ष यह गुहार लगानी पड़ी कि वह रविवार सुबह से ही ड्यूटी पर है, तब जाकर उसे थोड़ी बहुत राहत दी गई। एक रेजीडेंट का कहना था कि घर जाने का समय मिला तो ठीक वरना, यहीं पर दातुन करके फिर से ड्यूटी पर जुट जाते हैं। कमोबेश यही हाल वरिष्ठ चिकित्सकों के हैं। अस्पताल में 200 बच्चे हमेशा भर्ती रहते हैं जबकि वरिष्ठ चिकित्सक 5 ही हैं।

वेंटीलेटर है, पर क्या करें

शिशु रोग विभाग की गहन चिकित्सा इकाई में वेंटीलेटर जैसे महत्वपूर्ण उपकरण उपलब्ध हैं। चिकित्सकों की मानें तो वार्ड में कोई कमी नहीं है। लेकिन गंभीर स्थिति में मरीज काफी दूर से यहां तक आता है। एेसे में लाख कोशिशों के बावजूद किसी-किसी को ही बचा पाते हैं।