लॉयन न्यूज,बीकानेर। पीबीएम अस्पताल में व्यवस्था सुधार के लिये अनेक जतन किये जा रहे है। मेडिकल कॉलेज प्राचार्य डॉ आर पी अग्रवाल इसको लेकर खासे गंभीर भले ही नजर आ रहे हो। किन्तु यहां काम करने वाली एजेन्सियां पीबीएम में अव्यवस्थाएं फैलाने और अस्पताल प्रबंधन को बदनाम करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही है।

विश्वसूत्रों से जानकारी मिली है कि अस्पताल में अलग अलग ठेका लिये ठेकेदार अब संविदा पर लगे कार्मिकों का शोषण कर रहे है। जानकारी के अनुसार ये ठेकेदार संविदाकर्मियों को न तो नियमित रूप से वेतन दे रहे है और न ही पीएफ की कटौती राशि का भुगतान। बताया जा रहा है कि ये ठेकेदार बाबूओं से सांठगांठ कर पीएफ के रूपये की हेराफेरी की कोशिशों में लगे है। सूत्र बताते है कि अस्पताल में दो ठेकेदारों ने पिछले नौ माह का बिल अस्पताल की वित्त शाखा में पेश किया है। जिसमें बाबूओं की मिली भगती से करोड़ों रूपये के गबन की तैयारी की जा रही है।

अस्पताल एक नियम दो कैसे मजे की बात तो ये है कि एक ही अस्पताल में दो प्रकार के नियमों को अपनाया जा रहा है। पीबीएम में आरोग्य योजना के तहत लगे कम्प्यूटर ऑपरेटरों की पीएफ कटौती के बाद इनको पीएफ देने की प्रक्रिया है। जबकि मुख्यमंत्री नि:शुल्क दवा योजना में लगे ऑपरेटरों के पीएफ की कटौती तो की जाती है,लेकिन इनको पीएफ वापस दिये जाने की प्रक्रिया ठेकेदार नहीं करते है। जबकि इस योजना में लगे कार्मिकों ने कई बार इस बाबत शिकायत भी की है। फिर भी इन कोई कार्यवाही नहीं हो रही है।

करोड़ों रूपये के गबन की तैयारी
अगर ठेकेदार द्वारा मुख्यमंत्री नि:शुल्क दवा योजना में लगे 37 कार्मिकों के पीएफ की कटौती के बाद नहीं देने की प्रक्रिया अपनाई तो ठेकेदार को करोड़ों रूपयों का लाभ होगा। पीएफ कटौती के नियमानुसार कार्मिकों को मिलने वाले वेतन पर 8.33 से 12 प्रतिशत तक कटौती की जाती है। इसके हिसाब से 8500 रूपये के वेतन पर 708 से 1020 रूपये तक प्रति कार्मिक कटौती होती है और कुल 37 कार्मिकों का पीएफ 26,197 से 37,740 रूपये प्रतिमाह की कटौती होती है। ऐसे में मुख्यमंत्री नि:शुल्क दवा योजना का ठेका लिये कैलाश छंगाणी व सुनील पारीक द्वारा पेश किये गये 9 माह के बिल में ये राशि करोड़ों में चली जायेगी।

हो चुकी है ब्लैक लिस्टेड की अनुशंसा
एक ओर तो मेडिकल कॉलेज प्राचार्य आउट स्टेडिंग से काम न करने वालों को ब्लैक लिस्टेड करने की बात कह रहे है। वहीं दूसरी कैलाश छंगाणी व सुनील पारीक जैसे ठेकेदार जिनको ब्लैक लिस्ट करने की अनुशंसा ऑपरेशन प्रिंस की रिपोर्ट में की जा चुकी है। उन पर सख्त कार्यवाही करने से कतरा रहे है। गौर करने वाली बात तो ये है कि शिकायत के बाद भी इस रिपोर्ट को दरकिनार कर मुख्यमंत्री नि:शुल्क दवा योजना के तहत संविदा पर लगे 37 कम्प्यूटर कार्मिकों को पीएफ का लाभ नहीं मिलना तो दूर इनको काम से निकालने की धमकियां दी जा रही है।

वर्जन
एक्ट तो ये कहता है कि पीएफ कटौती का भुगतना ठेकेदार या नियुक्ति देने वाली संस्था करें। ऐसा न करने वालों के खिलाफ शिकायत होने पर कार्यवाही की जाती है। श्रम विभाग के जरिये शिकायत की पुष्टि होने पर कानूनन सजा या दंड का प्रावधान है।
राजेश टॉक,डीआर सहकारिता विभाग

ऐसे ठेकेदारों के खिलाफ सख्त कार्यवाही होगी,जो लेखाकार बिल को पास करेगा। उसकी तनख्वाह से कटौती होगी।
डॉ आर पी अग्रवाल,प्राचार्य मेडिकल कॉलेज बीकानेर