देशनोक आंगनबाड़ी केन्द्रों में गड़बड़झाला
लॉयन न्यूज,बीकानेर। आंगनबाड़ी केन्द्र को पाठशाला का दर्जा दिया गया है। किन्तु इन पाठशालाओं में झूठ और आंखों में धूल झोकने का काम चरम पर है। जिससे लालफीताशाही भी अनजान है या जानकर भी अनजान बनी है। ये सोचनीय प्रश्न है। बीकानेर के देशनोक के आंगनाड़ी केन्द्रों में चौंकाने वाले तथ्य सामने आये है। जिसमें न सिर्फ अवकाश के दिन बच्चों को पोषाहर का वितरण कर दिया गया है,बल्कि किसी अभिभावक के पुत्र न होने की स्थिति में भी उसके पुत्र के नाम से राशन वितरण कर देने की बात सामने आई है। देशनोक निवासी ने मगनलाल ने आरटीआई के तहत मांगी गई जानकारी में बड़ी रोचक जानकारी सामने आई है।

अवकाश के दिन भी दिखा दी उपस्थिति
मजे की बात ये है कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की सजगता का अंदेशा तो इसी बाज से लगाया जा सकता है कि उसने राजकीय अवकाश होने पर भी आंगनबाड़ी में आने वाले नौनिहालों की उपस्थिति दर्शाकर राशन सामग्री का वितरण कर दिया। मिली जानकारी के अनुसार 2 जुलाई 2017 को रविवार व 4 अप्रैल 2017 को रामनवमी का अवकाश होने के बाद भी वार्ड नं 2,3 व 13 की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ने इस केन्द्र पर आने वाले बच्चों की हाजरी लगाकर उन्हें राशन वितरित कर दिया।

गाय चट कर गई रिकार्ड
हैरत करने वाली बात तो ये है कि बाल विकास परियोजना अधिकारी नोखा-2 देशनोक ने वार्ड 7 की आंगनबाड़ी केन्द्र की कार्यकर्ता शांतिदेवी चौहान से सूचना अधिकार के तहत केन्द्र के रिकार्ड संबंधित जानकारी देने के निर्देश दिये तो केन्द्र की कार्यकर्ता चौहान ने संबंधित अधिकारी को लिखे विभागीय पत्र में जनवरी 2017 से दिसम्बर 2017 का रिकार्ड गाय खाने की बात कहते हुए रिकार्ड नहीं होने जानकारी दे दी। जो साफ जाहिर करता है कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा अपनी अनियमितताओं को छिपाने के लिये विभागीय अधिकारियों को भी गुमराह किया जा रहा है।

कही पिता का नाम बदला,तो कही बिना पुत्र ही लिख दिया नाम
इस सूचना के तहत एक मामला ओर प्रकाश में आया है कि आंगनबाड़ी केन्द्रों पर फर्जी नामों को अंकित कर सरकार को चूना लगाने का गौरखधंधा भी किया जा रहा है। जिसका जीता जागता उदाहरण वैभव मोदी है। जिसे पवन मोदी का पुत्र दर्शाया गया है। जबकि पवन मोदी के दो पुत्रियां ही है। उनके पुत्र नहीं है। उसके बाद भी वैभव मोदी को पवन मोदी का पुत्र दर्शाकर राशन उठा लिया गया है। यहीं नहीं एक केन्द्र पर तो एक बच्चे के पिता का नाम ही महीने में दो बार बदल दिया गया है। इस केन्द्र के एक जगह बालक रौनक के पिता का नाम जयपाल तो दूसरी जगह कन्यलाल लिखकर सरकारी सुविधाओं का लाभ लिया गया है।

इनका कहना है
प्रकरण मेरे संज्ञान में है। इसकी जांच के लिये एक कमेटी बना दी गई है। इसकी जांच ऑडिटर से ही करवाई जायेगी। जांच से पहले दोनों पक्षों को सुना जायेगा और दोषियों के खिलाफ कार्यवाही की जायेगी।
रचना भाटिया,उपनिदेशक महिला एवं बाल विकास विभाग

वर्जन
कस्बे के आंगनबाड़ी केन्द्रों पर भारी अनियमिताएं है,जिसकी शिकायतों के बाद भी कार्यवाही नहीं हो रही है। इन केन्द्रों पर किस तरह की गड़बड़ी है। ये तो सूचना अधिकार की सूचनाओं में झलक रहा है और भी गड़बड़ी सामने आयेगी अगर सही तरीके से जांच हो।
मगनलाल,गांव निवासी