नई दिल्ली।  इसरो के वैज्ञानिकों ने रॉकेट तकनीक का इस्तेमाल कर कृत्रिम ‘दिल’ तैयार करने में कामयाबी हासिल की है। तिरुवनंतपुरम के एक अस्पताल में एक सुअर पर इसका सफल परीक्षण किया। डॉक्टरों की एक टीम ने सुअर के भीतर कॉम्पैक्ट पंप लगाया। यह प्राकृतिक दिल की तरह खून पंप कर रहा है। माना जा रहा है जल्द ही यह तकनीक इंसानों के काम आ सकेगी।

3-5 किलो लीटर खून करेगा पंप

इस डिवाइस का वजन करीब 100 ग्राम है। ये एक इलेक्ट्रिक पंप के जरिए एक मिनट में 3 से पांच किलो लीटर खून तक पंप कर सकता है। करीब छह घंटे के ऑपरेशन के बाद सुअर में इसे फिट किया गया। उसके शरीर में यह पंप ठीक ढंग से काम कर रहा है।

टाइटेनियम अलॉय से बना

रॉकेट में इस्तेमाल होने वाली सामग्री और तकनीक इस उपकरण में लगी है, जिसे लेफ्ट वेंट्रिकल ऐसिस्ट डिवाइस कहते हैं। रॉकेट टेक्नोलॉजी का प्रयोग कर टाइटेनियम अलॉय से बना यह दिल बायो कम्पैटिबल है- यानी जीवों की जरूरत के हिसाब से ढल सकता है।

ह्रदय के काम करना बंद करने पर यह एक बाइपास पंपिंग सिस्टम मुहैया कराता है। दुनिया में उपलब्ध इस तरह के दिल की कीमत करीब पांच करोड़ रुपए है। यहां तक कि भारत में कई प्राइवेट अस्पतालों में इसकी कीमत एक करोड़ रुपए है लेकिन इसरो का यह पंप बस सवा लाख का है।

भारत में तीन करोड़ दिल के मरीज 

भारत में 3 करोड़ लोग दिल संबंधी बीमारियों से ग्रसित हैं। जिसमें 1 करोड़ 40 लाख मरीज शहरी इलाकों में और 1 करोड़ 60 लाख मरीज ग्रामीण इलाकों में हैं। 2 करोड़ मरीजों में हार्ट फेल की संभावना रहती है और इससे हर साल 20 फीसदी मरीज मर जाते है।