जयपुर।  हाईकोर्ट ने अधीनस्थ अदालत के आदेश के खिलाफ विचाराधीन अपीलों का रिकार्ड लोक अभियोजक को नहीं देने पर कड़ी नाराजगी जताई है। कोर्ट ने अधीनस्थ अदालतों को एेसी सभी अपीलों का रिकार्ड 15 दिन में हाईकोर्ट के लोक अभियोजकों को उपलब्ध करवाने के आदेश दिए हैं।कोर्ट ने पीपी को अधीनस्थ अदालतों के अभियोजन विभाग के उप-निदेशक व सहायक निदेशक ,लोक अभियोजक व सहायक लोक अभियोजकों को फैक्स व ईमेल से सूचित कर रिकार्ड मंगवाने को कहा है। कोर्ट ने प्रमुख विधि सचिव व निदेशक अभियोजन को निर्देश की पालना करने के साथ ही हाईकोर्ट से लंबित अपील व पुनरीक्षण याचिकाओं की सूची लेकर रिकार्ड उपलब्ध करवाने व मॉनिटरिंग के निर्देश दिए हैं।न्यायाधीश महेंद्र महेश्वरी ने प्रमुख विधि सचिव व निदेशक अभियोजन को १५ दिन में लोक अभियोजक के जरिए रजिस्ट्रार जनरल के समक्ष लंबित रिकार्ड उपलब्ध करवाने का प्रमाण-पत्र पेश करने व भविष्य में हर महीने की १५ तारीख तक प्रमाण-पत्र पेश करने को कहा है। कोर्ट ने आदेश की पालना में ढि़लाई बरतने वाले अभियोजन अधिकारियों के खिलाफ अनुशानात्मक कार्रवाई कर रिपोर्ट रजिस्ट्रार जनरल को पेश करने के निर्देश भी दिए हैं। कोर्ट ने आदेश की प्रति प्रमुख विधि सचिव,निदेशक अभियोजन,महाधिवक्ता,समस्त जिला कलक्टर व डीजीपी को भेजने के निर्देश दिए हैं।

यह है मामला-

सोमवार को एक आपराधिक अपील की सुनवाई के दौरान सरकारी अभियोजक प्रकाश ठाकुरिया ने मामले से संबंधित रिकार्ड नहीं होने के कारण बहस करने में असमर्थता जताई। इस पर कोर्ट ने ११ अन्य अपीलों के संबंध में पूछा तो ठाकुरिया ने उनका भी रिकार्ड नहीं होने की स्थिति में बहस करने मंे असमर्थता जताई। उन्होंने कोर्ट को बताया कि उनके पास अधीनस्थ अदालत का आदेश ही है और बाकी रिकार्ड आज तक नहीं आया है।

अपीलार्थी जेल में हैं और यहां-

कोर्ट ने इस पर नाराजगी जताते हुए कहा है कि अपीलों व पुनरीक्षण याचिकाआं पर अंतिम बहस होनी है लेकिन,अधीनस्थ अदालत से रिकार्ड नहीं आने के कारण लोक अभियोजक बहस नहीं कर सकते। अधीनस्थ अदालतों से विचारार्थ ग्रहण होने की स्टेज या हो चुकीं अपीलों व पुनरीक्षण याचिकाओं का रिकार्ड भेजने का पुख्ता व्यवस्था नहीं है। इससे ना केवल जेल में बंद अपीलार्थियों की सुनवाई नहीं हो रही है बल्कि न्यायिक कार्य में बाधा उत्पन्न हो रही है।