कोटा .। सेना में भर्ती होने से पहले आवेदकों को अब अपने खास हुनर का मुजाहिरा नहीं करना पड़ेगा। सेना भर्ती बोर्ड ने ट्रेड्समैन के पदों के लिए अब व्यवहारिक परीक्षा (एप्टीट्यूट टेस्ट) का प्रावधान खत्म कर दिया है। ट्रेड्समैन के पद पर भर्ती प्रक्रिया के बदलाव का आदेश इसी महीने से देश भर में लागू भी कर दिया गया है। फौज का खानासामा बनने से पहले रसोइयों को भर्ती परीक्षा के दौरान खाना बनाकर खिलाना पड़ता था। खाने का स्वाद चखने के लिए निर्णायकों की पूरी टोली लगी होती थी। जिसके दिए गए नंबर चयन प्रक्रिया में अहम भूमिका निभाते थे। सिर्फ कुक बनने आए लोगों को ही इस व्यवहारिक परीक्षा (एप्टीट्यूट टेस्ट) से नहीं गुजरना होता था, बल्कि हाथ का खास हुनर दिखाने वाले सभी दस्तकारों (ट्रेड्समैन) के पद पर यह नियम लागू होता था। टेलर को कपड़े सिलकर दिखाने पड़ते थे, कारपेंटर को फर्नीचर बनाना होता था, इक्युपमेंट रिपेयर (उपकरण मिस्त्री) को साजो-सामान ठीक करने होते थे। नाई को फोजियों के तो साइस को फौजी घोड़ों के बाल काट कर दिखाने पड़ते थे, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। ट्रेड्समैन के पद पर आवेदन करने वाले अभ्यार्थियों को अब सिर्फ अनुभव प्रमाण पत्र जमा कराना होगा और उन्हें भर्ती मैदान पर होने वाली लंबी-चौड़ी कवायद से मुक्ति मिल जाएगी।

वर्दी और बैंड से समझौता नहीं 

खानसामे से लेकर नाई तक को बड़ी राहत देने वाली सेना फिलहाल कड़क वर्दी और जोशीले संगीत को लेकर कोई समझौता करती दिखाई नहीं दे रही है। भर्ती बोर्ड ने सेना में संगीतकार (म्यूजिशियन) और धोबी बनने की ख्वाहिश रखने वाले अभ्यार्थियों को अभी एप्टीट्यूड टेस्ट की छूट से बाहर रखा है। इन दोनों पदों पर व्यवहारिक परीक्षा में पास होने के बाद ही भर्ती प्रक्रिया आगे बढ़ेगी।

बहाना पड़ेगा ज्यादा पसीना 

ट्रेड्समैन पद के लिए पहले 30 अंक का एप्टीट्यूट टेस्ट, 30 अंक की लिखित परीक्षा और 40 अंक की शारीरिक दक्षता परीक्षा आयोजित की जाती थी। एप्टीट्यूट टेस्ट खत्म होने से हुए बदलाव के बाद अब 60 नंबर की शारीरिक दक्षता परीक्षा होगी और 40 नंबर की लिखित परीक्षा।