लॉइन न्यूज,बीकानेर। प्राणायामों में सबसे महत्वपूर्व और सर्वोच्च प्राथमिकता अनुलोम विलोम प्राणायाम को दी जाती है। इसे नाडी शोधन प्राणायाम भी कहा जाता है यह प्राणायाम तनाव और चिंता को कम करता है। इस प्राणायाम से दिमाग शांत और चुस्त रहता है यह शरीर को मेडिटेशन के लिए तैयार करता है। इस प्राणायाम को हर उम्र के लोग कर सकते हैं। अनुलोम विलोम (नाडी शोधन प्राणायाम करने की प्रक्रिया) रीढ़ की हड्डी को सीधा रखते हुए सुविधानुसार सुखासन, सिद्धासन, पद्मासन अथवा वज्रासन में बैठें। इस प्राणायाम की शुरूआत और अन्त दोनों बायीं नासिका (नोस्टील) से ही करनी है। अनुलोम विलोम प्राणायाम के फायदे रोजाना अनुलोम विलोम प्राणायाम करने से शरीर स्वस्थ, कांतिमय, ऊर्जावान और शक्तिशाली बनता है।

 

इस प्राणायाम से दिमाग की नसे खुलती है दाँई तरफ का दिमाग रचनात्मक क्रियाओं को काबू में रखता है और बाँई तरफ का दिमाग लॉजिकल क्रियाओं को काबू में रखता है। वैज्ञानिक रिसर्च ने यह बताया की जब बाँई तरफ की नासिका बंद होती है तो दाँई तरफ का दिमाग सक्रिय होता है और जब दाँई तरफ की नासिका बंद होती है तो बाँई तरफ का दिमाग सक्रिय होता है। कुछ विशेष लाभ इस प्रकार है-अनुलोम विलोम प्राणायाम मन की चिंता, डिप्रेशन और तनाव को दूर करने के लिए है। अनुलोम विलोम प्राणायाम से उच्च रक्तचाप, हाई ब्लड प्रेशर, हाइपरटेंशन दूर होता है। मन को शांत और केंद्रित करने के लिए यह एक बहुत अच्छी क्रिया है। इससे आपके शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ेगी साथ ही नेगेटिव विचारों का पॉजिटिव विचारों में रूपांतरण होगा। इसके नियमित अभ्यास से कैंसर, ब्रेन ट्युमर,मेंटल डिसआडर और किसी भी प्रकार की एलर्जी को जड से दूर कर सकते हैं। इसे करने से दिमाग तेज होता है यादाश्त और एकाग्रता बढ़ती है। आँखों की ज्योति बढ़ाने के लिए, कान की परेशानियों को दूर करने के लिए भी लाभदायक। यह अस्थमा,दमा, साइनस, एसिडिटी, कोन्स्टिपेशन, एलर्जी, और डायबिटीज जैसी बीमारियां को ठीक करता है। सर्दी, जुकाम, खाँसी, नाक एवं गले संबंधित सभी विकारों में काफी हद तक लाभ होता है।

 

लेखक

दीपक शर्मा
योग गुरू एवं प्रांत मीडिया सह-प्रभारी, पतंजलि योगपीठ
राजस्थान।