लॉयन न्यूज, डेस्क। शारदीय नवरात्रि का प्रारंभ 29 सितंबर दिन रविवार से हो रहा है। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार शारदीय नवरात्रि का प्रारंभ आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से होता है। नवरात्रि के समय माता पृथ्वी पर वास करती हैं, ऐसे में यदि आप अपनी राशि के अनुसार मां दुर्गा के विशेष स्वरूप की आराधना करेंगे तो आपकी मनोकामनाएं जल्द पूरी होंगी।

कलश स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त इस प्रकार है :-

चंचल – प्रातः 7.48 से 9.18 तक,  लाभ – प्रातः 9.18 से 10.47 तक,  अमृत – प्रातः 10.47 से 12.17 तक, शुभ – दोपहर 13.47 से 15.16 तक शाम को 18.15 से 19.46 तक शुभ है। रात्रि काल में भी अमृत चौघड़िया का मुहूर्त है। इसके लिए 19.46 से 21.16 तक का समय उत्तम बताया जा रहा है।

जानते हैं कि अलग-अलग राशियों के लिए मां दुर्गा के किस स्वरूप की आराधना उत्तम फलदायक हो सकता है।

मेष – इस राशि के जातक को माता दुर्गा के शैलपुत्री स्वरूप की विधि विधान से पूजा अर्चना करनी चाहिए। यदि संभव हो तो हर मास की नवमी तिथि को माता का व्रत रखें। इससे मन की चंचलता खत्म होगी, प्रतिबद्धता आएगी।

वृष – वृष राशि के लोगों को मां आदिशक्ति दुर्गा के ब्रह्मचारिणी स्वरूप की विधिवत पूजा करनी चाहिए। इस राशि के जातक को भी हर मास की नवमी तिथि को माता का व्रत करना चाहिए। इससे आपकी मनोकामनाएं पूरी होंगी।

मिथुन – मिथुन राशि के लोगों को देवी चन्द्रघण्टा की पूजा करनी चाहिए। इन लोगों को हर मास की अष्टमी तिथि को माता का व्रत रखना चाहिए।

कर्क – इस राशि के जातकों को माता सिद्धिदात्री की पूजा करनी चाहिए। यदि संभव हो तो हर मास की नवमी तिथि को माता का व्रत रखें।

सिंह – सिंह राशि के लोगों को मां दुर्गा के कालरात्रि स्वरूप की आराधना करनी चाहिए। इन लोगों को हर मास की अष्टमी तिथि को माता का व्रत रखना चाहिए।

कन्या – कन्या राशि के जातकों को देवी चन्द्रघण्टा की विधि विधान से पूजा करनी चाहिए। हर मास की नवमी तिथि को देवी चन्द्रघण्टा का व्रत रखें।

तुला – इस राशि के जातक को ब्रह्मचारिणी माता की पूजा करनी चाहिए और हर मास की नवमी तिथि को ब्रह्मचारिणी माता का व्रत करना चाहिए।

वृश्चिक – वृश्चिक राशि के लोगों को देवी शैलपुत्री की पूजा करनी चाहिए। हर माह अष्टमी तिथि को देवी शैलपुत्री का व्रत करना चाहिए।

धनु, मकर, कुंभ और मीन – इस राशि के जातक सिद्धिदात्री माता की पूजा करें और हर माह की अष्टमी तिथि को सिद्धिदात्री माता को समर्पित कर व्रत करें।