मेंगलवा।  सरकार के वादे थोथे, आकाशीय बिजली गिरने के बाद नहीं मिली सरकारी मदद, इलाज को मोहताज परिवारआफत कभी कहकर नहीं आती और आती है तो वह बहुत बड़ा नुकसान भी पहुंचाती है। ग्राम पंचायत डाबली के खारी गांव में 42 वर्षीय भीखाराम पुत्र सालुराम को आकाशीय बिजली ने ऐसा दंश दिया है, जो उसे जिंदगी भर भुगतना पड़ेगा।दरअसल खेतीबाड़ी का कार्य कर अपने परिवार का पेट पालने वाले भीखाराम वर्ष 2010 में अपने खेत पर कार्य कर रहा था। इस दौरान अचानक आकाशीय बिजली गिर पड़ी और वह बेहोश हो गया। जब उसे होश आया तो उसे वह दंश मिल गया तो उसे जिंदगी भर भुगतना है। उसके आधे शरीर ने अपना कार्य करना बंद कर दिया और सिर्फ खाट पर पड़े रहने को मजबूर हो गया। इधर, एक हंसते खेलते परिवार पर मुसीबतों का पहाड़ पड़ा।गरीबी में अपने परिवार का एकमात्र कमाऊ का खाट में पडऩा परिवार के लिए अभिशाप बन गया। भीखाराम के परिवार में चार पुत्रियां और एक पुत्र है। उसकी पत्नी हादसे के बाद अद्र्धचेतन अवस्था में है और चलती फिरती जिन्दगी लाश बन गई है। चार पुत्रियों में से दो पुत्रियों का विवाह बिजली गिरने से पूर्व भीखाराम ने कर दिया था, लेकिन दो पुत्रियां 16 वर्षीय इन्द्रा, 3 वर्षीय बीबा और 12 वर्षीय पुत्र बालकाराम परिवार में अपने पिता की बेबसी पर आंसू बहाने को मजबूर है।

नहीं मिली सरकारी सहायता

परिवार के मुखिया के अपाहिज होकर खाट में पड़े रहने को मजबूर होने के बाद पर सरकार की योजनओं का लाभ नहीं मिला और यह परिवार बीपीएल में होने के बावजूद कोई सरकारी मदद नसीब नहीं हो रही है। बच्चों को पाहलनहार योजना में फार्म भर देने के बावजूद भी इसका लाभ नहीं मिल रहा है। मनरेगा पर भीखाराम की पत्नी मजदूरी कर परिवार का पालन पोषण कर रही हैं। ऐसे में ये परिवार दाने-दाने का मोहताज हो गया है।

हादसे के बाद नहीं पहुंचा कोई

कोई जनप्रतिनिधि और प्रशासन अधिकारी उसके टूटे फू टे आशियाने तक नहीं पहुंचे। जालोर जिले के बॉर्डर पर आए खारी गांव में सरकारी योजनाएं नहीं पहुंच रही है। अगर उसके परिवार को कोई सरकारी मदद मिल जाए तो वह ठीक होकर पुन: अपने पैरों पर खड़ा हो सकता है।