खमनोर। नाथद्वारा उपखण्ड क्षेत्र में पैंथर के हमले से बच्चों की अकाल मौतों का सिलसिला थमने का नाम ही नहीं ले रहा। लगातार बढ़ रही हमलों की घटना के चलते क्षेत्र के वाशिंदे डर के साये में जीने को मजबूर हो रहे हैं। ग्रामीण पैंथर द्वारा लगातार उनके पशुधन को पहुंचाए जा रहे नुकसान को तो जैसे-तैसे सह भी रहे हैं, लेकिन अब बात उनके जिगर के टुकड़े तक आ पहुंची है, जिसको सहना उनके लिए कैसे संभव हो सकता है। क्षेत्र में पैंथर ने अब तक जिन गांवों में दस्तक दी है उनमें तो हालात यह हो गए हैं कि रात तो दूर लोग दिन के समय भी घरों से बाहर निकलने या खेतों पर जाने से डरने लगे हैं।

शाम ढलने के बाद तो इनका घरों से बाहर निकलना ही दूभर हो गया है। सबसे ज्यादा परेशानी तो घर से अकेले स्कूल जाने वाले बच्चों की सुरक्षा को लेकर है। जो बच्चे घर से कुछ दूर स्थित स्कूल जाते हैं, उनके माता-पिता तो तब तक चिंतित रहते हैं जब तक कि बच्चे स्कूल से वापस सकुशल घर न लौट आएं। ऐसे में जिन परिवारों ने पैंथर के हमले की घटना को सहा है, उनकी आखों में तो आज भी खूंखार बन चुके पैंथर के प्रति गुस्सा एवं विभागीय लचरता को लेकर आक्रोश स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। हालत यह है कि पैंथर द्वारा ग्रामीणों के पशुधन को पहुंचाए गए नुकसान का तो कोई हिसाब तक नहीं है। ऐसे में लोगों के मन में अब एक ही सवाल है कि आखिर कब तक वे पैंथर के हमलों का शिकार होते रहेंगे।

फिर हमला करे उससे पहले हो कार्रवाई

पैंथर द्वारा गुरुवार को बच्चे पर किए गए हमले के बाद क्षेत्र के ग्रामीणों में खासी नाराजगी और रोष व्याप्त है। ग्रामीणों का कहना है कि वन विभाग पैंथर के रहने वाली जगहों को चिन्हित कर उसे पकडऩे के लिए प्रभावी कार्यवाही करे। ताकि इस तरह की घटनाएं फिर से नहीं हो पाए। साथ ही सरकार की ओर से भी पैंथर को पकडऩे के लिए वन विभाग को पर्याप्त संसाधन उपलब्ध करवाए ताकि समय पर पैंथर के क्षेत्र में होने की जानकारी मिल सके और उसे पकड़ा जा सके।

बरतें सावधानी

क्षेत्र में पैंथर का आतंक बढ़ता जा रहा है, ऐसे में जिन-जिन स्थानों पर पैंथर के आने की संभावना है उन जगहों पर ग्रामीण अकेले जाने के बजाए समूह में ही जाएं क्योंकि समूह में जाने वाले लोगों पर पैंथर एकाएक हमला नहीं करता। रात के समय कहीं जाना हो तो अकेले नहीं जाएं तथा अपने साथ टोर्च रखें। दिन ढलने के बाद बच्चों को अधिक समय तक बाहर नहीं रहने दें तथा बाहर रहने की स्थिति में उन पर पूरी नजर बनाए रखें। क्षेत्र में कहीं पर भी पैंथर के आने की जानकारी मिले तो तत्काल इसकी सूचना वनविभाग के कर्मचारियों सहित पुलिस को दें।

हमले वाली जगह फिर दिखा पैंथर

गुरुवार रात को पैंथर जिस खेत से बच्चे को उठाया था उसी खेत के आसपास शुक्रवार शाम को ग्रामीणों ने फिर से पैंथर को देखा। हलांकि लोगों के आने की आहट सुन पैंथर वहां से चला गया।