ऑफर न मिलने तक काम अटकाने वाले एईएन का ट्रांसफर, विभाग में और भी ऐसे
साइड स्टोरी- रोशन बाफना
लॉयन न्यूज, बीकानेर। पीबीएम में फैले भ्रष्टाचार की साइड स्टोरी के बाद अब बिजली विभाग की साइड स्टोरी भी सामने आ रही। इस विभाग की साइड स्टोरी में एईएन अनिल कुमार बरवड़ सहित इनके अधिनस्थों का नाम प्रमुखता से लिया जा रहा है। हालंाकि भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे एईएन अनिल कुमार बरवड़ का आज तबादला बीकानेर से सादुलशहर हो गया है। बताया जा रहा है कि बीकानेर के महाराणा प्रताप नगर सहित कई जगहों पर पैसे भरवाने के बाद भी कई-कई महीनों तक अनिल कुमार ने काम नहीं होने दिया। हाल ही में एक्सईएन को जब कॉलोनी के निवासियों ने शिकायत की तो एईएन ने डिमांड जारी कर दी लेकिन उसके बाद भी वर्क ऑर्डर नहीं कर रहा था। सूत्रों का कहना है कि अनिल कुमार ने कहा था कि चक्कर ही कटवाउंगा। वहीं कॉलोनी वासियों का आरोप है कि एक व्यक्ति से उसने दस हजार रूपये लेकर काम करने की हां कर दी, लेकिन कॉलोनी के अन्य निवासियों ने काम नहीं होने दिया। लॉयन एक्सप्रेस ने इससे पहले भी अनिल कुमार के भ्रष्टाचार की खबर प्रकाशित की थी। बताया जा रहा है कि अनिल कुमार सीधे पैसे न मांग कर 8-10 माह तक भी वर्क ऑर्डर नहीं करते हैं या फिर सामान न होने का बहाना बनाकर टालते रहते हैं। इसके बाद ग्राहक मजबूर होकर खुद ही पैसे ऑफर कर देता। हालांकि अनिल कुमार के इस भ्रष्टाचार के खेल में इसके अधीनस्थ कर्मचारी भी शामिल है। और अनिल कुमार के अधीनस्थ ही क्यों जयपुर रोड के समीप डूंगर कॉलेज के आस-पास की एक कोठी में बैठे बिजली विभाग के बड़े अधिकारी का हाथ भी बहुत लम्बा है तो कई सूत्रों का तो कहना है कि वह तो रिश्वत मांगने में भी संकोच नहीं करते। खैर, अनिल की बात करें तो एक जिम के कनेक्शन में भी इन्होंने ऐसा ही किया था। सूत्रों का कहना है कि जिम के प्रकरण में इन्होंने काम इतना अटकाया कि जिम मालिक के कई मुहुर्त सिर्फ बिजली कनेक्शन ना होने की वजह से अटक गए थे, जिसके बाद जिम मालिक ने अनिल कुमार के अधीनस्थ को पैसे दिए तो उसी दिन काम भी हो गया। इससे पहले सामान न होने का बहाना बनाया जाता रहा। सूत्रों का कहना है कि तब अनिल कुमार पर किसी अधिकारी का भी जोर नहीं चला। कहीं जोर न चलने के पीछे कोई साइड स्टोरी तो नहीं। इसी शक के आधार पर हमने तहकीकात की तो पता चला कि इस पूरे प्रकरण में साइड स्टोरी यह भी है कि अनिल को उनके रहनुमाओं की शह भी है। तो दूसरी तरफ एक साइड स्टोरी कहती है कि लगातार शिकायतों के बाद भी जब अनिल कुमार ने अपनी कार्यशैली नहीं बदली तब मजबूत लोगों की शिकायत के बाद इनका ट्रांसफर पहले ही तय हो गया था।