वाशिंगटन। रिजर्व बैंक आॅफ इंडिया के गवर्नर रघुराम राजन ने भारतीय अर्थव्यवस्था को ‘अंधों में काना राजा’ की संज्ञा दी है। राजन ने यह बयान ऐसे समय दिया है, जब वैश्विक अर्थव्यवस्था में सुस्ती के बीच अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष आईएमएफ और अन्य कई ऑर्गनाइजेशंस भारतीय इकोनॉमी को ‘ब्राइट स्पॉट्स’ में से एक बता रहे हैं। कई जानकार राजन के इस बयान को अटपटा बता रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कमजोर आर्थिक परिदृश्य के बीच आईएमएफ सहित विभिन्न संस्थानों ने भारतीय अर्थव्यवस्था को आर्थिक वृद्धि के लिहाज से चमकते सितारों में से एक करार दिया है। राजन की अगुआई में रिजर्व बैंक को भी इस बात का श्रेय दिया जाता है कि उसने देश की वित्तीय प्रणाली को बाहरी झटकों से बचाने के लिए उचित कदम उठाए हैं। भारतीय अर्थव्यवस्था के सम्बंद्ध में आईएमएफ की टिप्पणी पर जब राजन की राय ली गई तो वह बोले, ‘मुझे लगता है कि अब भी हमें उस स्थान तक पहुंचना है जहां हम संतुष्ट हो सकें। हमारे यहां लोकोक्ति है-अंधों में काना राजा। हम थोड़ा बहुत वैसे ही हैं।’ अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आइएमएफ) के पूर्व मुख्य अर्थशास्त्री राजन विश्व बैंक और आइएमएफ की सालाना बैठक के साथ जी20 के वित्त मंत्रियों व केंद्रीय बैंक के गवर्नरों की बैठक में हिस्सा लेने अमरीका पहुंचे हैं।राजन ने ‘डाउ जोंस एंड कंपनी’ की सब्सिडियरी ‘मार्केट वॉच’ के साथ साक्षात्कार में कहा, ‘मुझे लगता है कि चीजें उस दिशा में करवट ले रही हैं जहां मध्यावधि वृद्धि लक्ष्यों को हासिल किया जा सकता है। वजह यह है कि हालात ठीक हो रहे हैं। निवेश ने रफ्तार पकडऩी शुरू कर दी है। हमारे यहां व्यापक स्तर पर काफी स्थिरता है। निश्चित ही अर्थव्यवस्था हर झटके से अछूती नहीं है, लेकिन बहुत से झटकों से बची है।’राजन ने कहा कि भारत में तमाम अच्छी बातें हुई हैं, लेकिन काफी कुछ किया जाना बाकी है। उन्होंने चालू खाते व राजकोषीय घाटे जैसे मोर्चों पर उपलब्धियों का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि महंगाई की दर 11 फीसद से घटकर पांच फीसद से नीचे आ गई है।इससे ब्याज दरों में कमी की गुंजाइश बनी है। ढांचागत सुधार जारी हैं। सरकार नए बैंक्रप्सी कोड को लाने की प्रक्रिया में है। वस्तु व सेवा कर (जीएसटी) आना है। लेकिन अनेक उत्साहजनक चीजें पहले ही घटित हो रही हैं।

भारत को चीन से एक दशक पीछे बताया

चीन और भारत की तुलना पर जब राजन के विचार लिए गए तो उन्होंने कहा कि सुधार प्रक्रिया की शुरुआत के मामले में भारत करीब एक दशक पीछे है। दोनों अर्थव्यवस्थाओं के आकार में यह साफ दिखता है। यदि आने वाले समय में सही कदम उठाए गए तो भारत चीन को पकड़ सकता है।

मानसून पर बहुत कुछ निर्भर

राजन ने भारत में मानसून को महत्वपूर्ण कारक बताया है। इससे ग्रामीण मांग पर असर पड़ता है। करीब 50 फीसद आबादी इससे प्रभावित होती है, जो किसी न किसी तरह से कृषि से जुड़ी है। अच्छी खबर यह है कि मौसम विभाग ने मानसून के अच्छे रहने की भविष्यवाणी की है।