यहां जंगल-जीव मिट रहे और वहां अफसर ‘मौज कर रहे



उदयपुर। प्रदेश में जंगलों और वन्यजीवों पर आफत बरस रही है और जिम्मेदार अफसर मौज कर रहे हैं। मनचाहे स्थानों पर महकमे के ढेरों अधिकारी बरसों से जमे हैं और फील्ड में हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं। विभाग में मुखिया के रूप कभी एकमात्र प्रधान मुख्य वन संरक्षक (पीसीसीएफ) होते थे। काम भी सरलता और तेजी से होते थे। आज इस पद के इर्द-गिर्द 15 एपीसीसीएफ बैठे हैं, मगर फाइलें इधर से उधर इतनी घूमती रहती है कि काम लंबित रहते हैं और फैसले में देरी होती है। हाल यह है कि अकेले जयपुर में करीब 63 अफसर लगे हैं तो बचे हुए कई अपने गृह जिलों में। राजधानी में हर अलग काम के लिए बैठे एपीसीसीएफ को संभाग मुख्यालयों की जरूरत को पूरा करने के लिए पदस्थापित किया जाना चाहिए। इसका असर इस रूप में भी सामने है कि वर्तमान में अलग-अलग जिलों में करीब 15 से ज्यादा पद तो उप वन संरक्षक के खाली पड़े हैं। वहीं कई स्थानों पर सहायक वन संरक्षक नहीं हैं।
अक्सर विभाग में यह बात उठती रहती है कि प्रादेशिक वन मंडल और वन्यजीव कार्मिकों के बीच समन्वय की कमी है। ऐसे में यदि प्रादेशिक व वन्यजीव के सीसीएफ, सीएफ और डीएफओ के ऊपर संभाग मुख्यालयों पर अतिरिक्त प्रधान मुख्य वन संरक्षक को लगाएं तो हालात सुधर सकते हैं।

जंगल कम हो रहे, वन्यजीव मर रहे
प्रदेश में जंगल और इनमें रहने वाले वन्यजीव सुरक्षित नहीं हैं। आए दिन पैंथर भूख-प्यास, दुर्घटना, भीड़ के हमले और शिकारियों के फंदे लगाने से मर रहे हैं। जंगल घटते जा रहे हैं। हरियाली कंकरीट में बदल रही है। जंगल का आंकड़ा घट रहा है। जंगलों में अवैध कटाई हो रही है और कई जगह तो तस्कर सक्रिय हैं। वनरक्षकों की बड़ी संख्या में भर्ती की, लेकिन वे जंगल के बजाय ऑफिस में बाबू का काम निपटा रहे हैं।
शिखा मेहरा : वर्ष 2006 से 2016 तक जयपुर में तैनात, अभी उदयपुर सीसीएफ पद पर।
राहुल भटनागर : मार्च 2014 से उदयपुर में। मई 2013 में मात्र 11 महीने के लिए रणथम्भौर रहे और पूरी नौकरी उदयपुर-राजसमंद में निकाल दी।
इन्द्रपाल सिंह मथारू : नवंबर 2014 से उदयपुर में तैनात। आठ महीने अजमेर रहकर आए और बाकी समय उदयपुर में रहे।
हरिणी वी : मई 2012 से उदयपुर में उप वन संरक्षक (दक्षिण) पद पर।
ओपी शर्मा : मार्च 2014 से उदयपुर में वन संरक्षक (उत्तर) पद पर तैनात, पूर्व में पाली थे।
बड़े अफसरों का बड़ा सफर टिका एक जगह
डॉ. सविता आनंद : वर्ष 1994 के बाद से नई दिल्ली या जयपुर में रहीं।
अरविंदर सिंह बरार : वर्ष 2000 से जयपुर में तैनात।
सीएस रत्नास्वामी : वर्ष 1997 से जयपुर में लगे हैं।
ये बरसों से जयपुर में
एसएस. चौधरी, डीपी शर्मा, आरके त्यागी, अनिल कुमार, सुरेशचन्द्र, दीपक भटनागर, ओपी सिंह, योगेन्द्रकुमार दक, श्रुति शर्मा, भारत, डीएन पांडे, अशोक कुमार, रमेश चन्द्रा, पीके उपाध्याय, टीसी वर्मा।