वाईफाई के लिए सेक्स और शराब तक छोड़ने को तैयार हैं यहां के लोग



- इंटरनेट का नशा इस कदर चढ़ा हुआ है कि लोग एक महीने के वाईफाई के लिए शराब और सेक्स तक छोड़ने को तैयार हो गए हैं।
नई दिल्ली। नई तकनीक ने जितनी तेजी से विकास किया है उतनी ही तेजी से लोगों का जीवन भी बर्बाद कर रही है। इंटरनेट की बढ़ती लत ने लोगों को पूरी तरह से अकेला कर दिया है। इसका नशा इस कदर चढ़ा हुआ है कि लोग एक महीने के वाईफाई के लिए शराब और सेक्स तक छोड़ने को तैयार हो गए हैं। हाल ही में अमेरिका ने एक स्टडी से ये खुलासा करते हुए बताया है कि नई तकनीक का नशा लोगों के सर चढ़कर बोल रहा है। इसकी वजह से लोग पूरे परिवार का वक्त खराब करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। इंट्रीपीड ट्रेवल द्वारा हाल ही में अमेरिका के 1500 लोगों पर की गई स्टडी में यह बात सामने आई की औसत युवा लोग अपने फोन के बिना 16 घंटे भी नहीं रह सकते। सर्वे में शामिल एक तिहाई लोगों के अनुसार वो जरूरत से ज्यादा वक्त अपने मोबाइल, लेपटॉप या टैबलेट पर गुजारते हैं।24 प्रतिशत लोग ऐसे थे जिन्हें मोबाइल में डूबे होने की वजह से हादसों का शिकार होना पड़ा। इनमें से कई का मानना है कि उनका मोबाइल कभी भी उनसे 3 फीट से ज्यादा दूर नहीं होता। कुछ ऐसे थे जिन्होंने मोबाइल के चलते अपना पैर तुड़वा लिया और पूरे परिवार की छूट्टी बर्बाद कर दी। 47 प्रतिशत ने माना कि वो अपने मोबाइल के बिना छुट्टियों पर नहीं जाते और जहां जाते हैं वहां पहुंचते ही नेटवर्क तलाशने लग जाते हैं। 41 प्रतिशत लोगों का मानना है उन्होंने विशेष कार्यक्रम या जगह का चुनाव सिर्फ इसलिए किया क्योंकि सोशल मीडिया के लिए उनकी तस्वीरें बेहतर होंगी। एक महिला ने तो यहां तक कहा कि वो रात को साते वक्त भी अपना आईपैड साथ लेकर सोती हैं और एक सुबह तो उनके पति इसी पर सोए मिले। जब उन्होंने देखा तो उसमें उनके पति के प्रायवेट पार्ट की तस्वीरें आ गईं थीं। स्टडी के दौरान जब उनसे पूछा गया कि अगर उन्हें एक महीने के लिए वाईफाई दिया जाए तो वो अपनी कोई सबसे प्यारी चीज छोड़ देंगे तो इसके लिए सभी तैयार हो गए। इस सवाल के जवाब में सबसे ज्यादा 37 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वो शराब छोड़ देंगे वहीं 34 प्रतिशत ने कहा कि वो जंक फूड छोड़ने को तैयार हैं। 24 प्रतिशत ने कहा कि वो कॉफी छोड़ देंगे जबकि 21 प्रतिशत सेक्स छोड़ने के लिए भी तैयार हो गए। 10 प्रतिशत तो ऐसे थे जिन्हें अपने दोस्तों को छोड़ने में भी कोई गुरेज नहीं था।
