आतंकवादियों से क्या उम्मीद, उम्मीद सुरक्षा एजेंसियों से थी, जो टूटी


हस्तक्षेप/– हरीश बी. शर्मा
‘लॉयन एक्सप्रेस’ में कल इसी कॉलम ‘हस्तक्षेप’ में हमने पहलगाम आतंकी हमले को लेकर सुरक्षा व्यवस्था पर बड़ा सवाल उठाया था। बाद में केंद्र सरकार ने इसे स्वीकार भी किया कि सुरक्षा में चूक हुई है। संसदीय मामलों के मंत्री किरण रिजीजू ने सर्वदलीय बैठक के बाद अपने बयान में माना कि सरकार यह जांच करेगी कि आखिर चूक कहां हुई है।
दरअसल, यह सारा मामला ही सुरक्षा में चूक का है। क्योंकि जम्मू-कश्मीर में जिस तरह से हालात हैं, इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि आतंकवादी कब हमला बोल दें। सरकार ने वहां सुरक्षा एजेंसियों को अलर्ट भी कर रखा था। यह कोई छिपा हुआ तथ्य भी नहीं था कि पहलगाम तक पहुंचने में दो से ढाई घंटे लगते हैं। जंगल के बीच बने इस पर्यटन स्थल के रिजोर्ट पूरी तरह से भगवान भरोसे थे और यह बात किसी से छिपी हुई नहीं थी, आतंकवादियों से कैसे छिपी रह सकती थी।
अब उन्होंने जो किया उसे लेकर सारा देश आक्रोशित है। दुनिया से भारत को आतंकवाद के विरुद्ध समर्थन मिल रहा है, लेकिन सुरक्षा व्यवस्था अगर चाक-चौबंद रहती तो ऐसी स्थितियां पेश नहीं आती। न तो 28 लोगों को एक कतार में खड़ा करके आतंकी मारने की हिमाकत करते और न केंद्र सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर में हालात सामान्य कर देने के दावों को धक्का लगता।
एक लापरवाही से केंद्र सरकार के सारे प्रयासों पर पानी फिर गया और सारा देश पाकिस्तान को लताडऩे में लगा है। कोई इस बात पर आवाज नहीं उठा रहा है कि आखिर सुरक्षा एजेंसियां वहां क्या कर रही थी। हमला होने के साथ ही जब यह बात समझ में आ गई कि सुरक्षा व्यवस्था नहीं होने के कारण आतंकवादियों के हौसले बढ़े तो फिर आखिर वह क्या कारण रहे कि वहां सुरक्षा व्यवस्था नहीं दी गई।
पहलगाम के व्यापारियों की सुनें तो पता चलता है कि वहां पिछले 25 साल से पर्यटकों की आवाजाही एक-सी है। इस घटनाक्रम के बाद वहां सन्नाटा छाया हुआ है। साफ है कि पहलगाम का यह इलाका नया-नया पर्यटक स्थल नहीं बना था। हैरत की बात है कि बावजूद इसके कोई अधिकारी यह सोच नहीं पाया कि वहां आतंकवादी ऐसा कर सकते है।
हमने कल भी इस कॉलम में कहा था। अब जबकि सरकार ने सर्वदलीय बैठक में यह मान लिया कि सुरक्षा व्यवस्था में चूक है तो फिर यह भी साफ है कि सरकार का पाकिस्तान को लेकर लिया जा रहा एक्शन सिर्फ कूटनीतिक है। पाकिस्तान को दबाने के लिए यह समय सबसे अच्छा है। वहां के लोगों में भी डर है और इस डर से पाकिस्तानियों को निजात दिलाने के लिए युद्ध के लिए तैयार होने की बात भी आ रही है। इधर से कयास लगाए जा रहे हैं कि सर्जिकल-स्ट्राइक हो सकती है।
इन सभी बातों के बीच सरकार को चाहिए कि सुरक्षा व्यवस्था को चाक-चौबंद रखे। इस कार्य में ऐसे अधिकारियों की तैनानी की जाए जा आशंकाओं को भांप सके। देश में भले ही विरोध और प्रदर्शन हो रहे हों। कैंडल मार्च निकाले जा रहे हों या बयानबाजियां चल रहीं हों। उन परिवारों का दुख कम नहीं होगा, जिन्होंने अपनों से हाथ धोया है।
आतंकवादियों से उम्मीद नहीं की जा सकती, लेकिन सुरक्षा एजेंसियों से तो यही आस रहती है कि वे सुरक्षा में चूक नहीं करें।
‘लॉयन एक्सप्रेस’ के संपादक हरीश बी.शर्मा के नियमित कॉलम ‘हस्तक्षेप’ के संबंध में आपके सुझाव आमंत्रित हैं। आप 9672912603 नंबर पर वाट्स अप कर सकते हैं।