‘जल ही जीवन है’

‘जल ही जीवन है’ यह वाक्य हमारे परम आदरणीय ऋषि-मुनियों द्वारा बरसों-बरस पहले हमारे वेद शास्त्रों में लिपिबद्ध कर दिया था। उन्होंने कभी यह नहीं लिखा कि अन्न ही जीवन है, वायु ही जीवन है, दवा ही जीवन है। उन दिव्य आत्माओं को उस समय यह विदित था जिस समय किसी भी प्रकार के जाँच करने के कोई साधन उपलब्ध नहीं थे। यह दर्शाता है कि हमारे ऋषि-मुनि आज के वैज्ञानिकों से कितने अग्रणी थे।

उनके द्वारा की गई व्याख्या आज भी पूरी तरह से वैज्ञानिकता की कसौटी पर खरी उतरती है। मुझे गर्व होता है अपनी भारतीय संस्कृति पर क्योंकि आज के वैज्ञानिक भी अपनी खोज में इसको स्वीकार कर चुके हैं।
अब बात समझने की यह है कि ऐसा क्यों माना गया इसके पीछे वैज्ञानिक आधार क्या है
प्रकृति ने हमारे शरीर को दो भागों में बाँटा है, जिसमे एक तरफ़ मांस हड्डी आदि और दूसरी तरफ़ जल है यानी क़रीब 30% सॉलिड और 70% क़रीब पानी है और तो और हमारे जीवन में साँस से पहले जल का आगमन हुआ। माँ के गर्भ में हमारा जीवन जल में ही शुरू हुआ।

हमारे शरीर का आधार जल ही है, इसीलिए हमे अपने पीने वाले पानी पर विशेष ध्यान देना चाहिए जिससे हम स्वस्थ रह सकें।
आज थोड़ी सी उम्र होते ही हमे ऐसे रोग घेर लेते हैं जिनके लिए हमे ताउम्र दवाइयों पर निर्भर रहना पड़ता है इसका प्रमुख कारण यही है की जितना पानी हमे पीना चाहिए उतना पानी हम पीते ही नहीं है जब हमारे गले में पूरी तरह प्यास आ नहीं जाती है, तब तक हम पानी नहीं पीते। यह रोग का सबसे बड़ा कारण है। हमारे शरीर को पानी मंगाने की ज़रूरत ही नहीं पड़नी चाहिए, हमे थोड़ी थोड़ी देर में पानी पीते रहना चाहिये जिससे हमारा शरीर पूरी तरह से हाइड्रेट रहे।

पानी का एक अहम रोल है कि इसके द्वारा ही भोजन में उपस्थित पोषक तत्व हमारे शरीर के आधार यानी सेल तक पहुँचते हैं जिससे हमारे शरीर को ताक़त मिलती है और दूसरा अहम कार्य यह है कि पानी सेल में पहुँच कर भोजन द्वारा पहुँचे या जमे हुए अवशिष्ट को सेल से बाहर निकालता है यही अवशिष्ट हमारे सेल को बीमार करते हैं हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर हो जाती है और फिर धीरे धीरे हमारा शरीर अनेकानेक रोगों जैसे शुगर, ब्लड प्रेशर, कैन्सर आदि लाइलाज बिमारियों से ग्रसित होने लगता है और हम ज़िंदगी भर के लिये दवाइयों और अस्पतालों के मोहताज हो जाते हैं इसीलिए अगर हम अपने पानी की मात्रा और गुणवत्ता पर विशेष ध्यान रखें तो स्वयं के साथ साथ अपने परिवार को भी स्वस्थ रख सकते हैं

 

आप भी अगर अपने प्रियजन को स्वस्थ रखना चाहते हैं तो एक बार इसके बारे में ज़रूर से सोचें और संपर्क करने में हिचक नहीं करें। कॉलम के लेखक डा. राजकुमार भटनागर योग प्रशिक्षक हैं। आर्ट ऑफ लिविंग से 20 साल से जुड़े भटनागर इन दिनों पेयजल की शुद्धता को लेकर लोगों को जागरूक कर रहे हैं। इस निमित्त वे साइंटिफिक डेमो के माध्यम से बताते भी हैं कि आज हम जो पानी पी रहें हैं, वह किस तरह से हमारे शरीर पर खतरनाक प्रभाव डाल रहा है। अगर आप यह डेमो देखना चाहें तो संपर्क कर सकते हैं। संपर्क : 9351200843/8949755211