वाइस चांसलर का दर्द…नहीं है यहां टीचर्स, कैसे चलाएं हम यूनिवर्सिटी



अजमेर। शिक्षकों की कमी के चलते प्रदेश के विश्वविद्यालयों की स्थिति काफी दयनीय हो गई है। विश्वविद्यालयों का स्तर बढऩे की बजाय गिरता चला जा रहा है। हालत यह है कि कुलपतियों से भी यह स्थिति देखी नहीं जा रही है। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि हाल ही में महर्षि दयानन्द सरस्वती विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. कैलाश सोडानी ने उच्च शिक्षा मंत्री कालीचरण सर्राफ को पत्र लिखकर विश्वविद्यालयों की दयनीय स्थिति पर चिंता जताई है। प्रो. सोडानी ने लम्बे समय से विवि में शिक्षकों की भर्तियां नहीं होने की समस्या से निजात पाने के लिए प्रदेश के सभी इंजीनियरिंग कॉलेजों को प्रदेश के विश्वविद्यालयों के संघटक कॉलेज बनाए जाने का सुझाव भेजा है।
कोटा की तर्ज पर हो

प्रो. सोडानी ने कोटा विश्वविद्यालय की तर्ज पर अन्य इंजीनियरिंग कॉलेजों को विश्वविद्यालयों का संघटक कॉलेज बनाने का सुझाव रखा है। कोटा विवि द्वारा कोटा इंजीनियरिंग कॉलेज को संघटक कॉलेज बनाने के बाद विवि ने काफी प्रगति की है। वर्तमान में अजमेर में दो, बीकानेर में दो, भीलवाड़ा, भरतपुर, बांसवाड़ा व झालावाड़ में एक-एक स्वायत्तशासी राजकीय इंजीनियरिंग कॉलेज हैं। सोडानी ने सुझाव दिया है कि मदस विवि के क्षेत्रांतर्गत आने वाले इंजीनियरिंग कॉलेजों को विवि का संघटक कॉलेज बनाया जा सकता है।
अनियतताओं पर लगेगा अंकुश
प्रदेश में अधिकांश इंजीनियरिंग कॉलेज स्वायत्तशासी हैं। एेसे में किसी विवि अथवा उच्च संस्थान का नियंत्रण नही होने के कारण कॉलेजों में अक्सर अनियमितताओं की शिकायतें मिलती रहती हैं। एेसे में अगर ये कॉलेज विवि के संघटक कॉलेज बनेंगे तो इन पर नियंत्रण रहेगा। साथ ही कॉलेज के शिक्षकों का उपयोग विवि में भी किया जा सकेगा। वर्तमान में कॉलेजों में शैक्षणिक व अशैक्षणिक कर्मचारियों की संख्या पर्याप्त है। एेसे में शिक्षकों की कमी से जूझ रहे विवि को बड़ी राहत मिल सकती है।शिक्षकों की कमी के चलते विश्वविद्यालय प्रगति नहीं कर पा रहे हैं और स्थिति ठीक नही हैं। बिना शिक्षक किसी संस्थान का विकास सम्भव नहीं। इंजीनियरिंग कॉलेजों को संघटक कॉलेज बनाया जाए तो स्थिति काफी सुधर सकती है।