अजमेर।   ईश्वर ने उसे बोलने के लिए जुबान नही दी, सुनने की शक्ति नहीं दी। बोलने व सुनने की शक्ति नही होने के कारण व सामान्य लोगों से अलग होने के बावजूद उसने कभी खुद को दूसरों से कमतर नहीं माना। अपने जज्बे और जुनून के बल पर ही बचपन से मूक-बधिर अजमेर की 24 वर्षीय स्वाति जांगिड़ ने अपनी प्रतिभा को साबित किया। स्वाति को ऑल इंडिया स्पोट्र्स काउंसिल ऑफ डेफ ने 16 से 26 मई तक येरेवन (अरमेनिया) में होने वाली विश्व शतरंज मूक-बधिर प्रतियोगिता के लिए चुना है। स्वाति उन तीन महिलाओं प्रतिभागियों में शामिल हैं जो इस प्रतियोगिता में देश का प्रतिनिधित्व प्रतियोगिता में करेंगी। स्वाति को हाल ही मध्यप्रदेश में हुई 18वीं राष्ट्रीय मूक-बधिर शतरंज प्रतियोगिता में बेहतरीन प्रदर्शन के आधार पर अंतरराष्ट्रीय स्तर की इस प्रतियोगिता के लिए चुना गया है। प्रतियोगिता के चयनित 6 सदस्यीय टीम में स्वाति सहित पंजाब से मल्लिका हांडा व कर्नाटक से कोमल कागरे को चुना गया है।

सामान्य प्रतियोगिता में भी विजेता

पंचशील नगर निवासी स्वाति के पिता अजमेर रेलवे में स्टेशन मास्टर के पद पर कार्यरत हैं। स्वाति ने अपनी स्कूली शिक्षा अजमेर से ग्रहण की है। मध्यप्रदेश से कॉमर्स में स्नातक किया। स्वाति का दिमाग कम्प्यूटर की तरह तेज है। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि स्वाति सिर्फ मूक-बधिर ही नहीं सामान्य प्रतियोगिता में भी भाग लेकर विजेता भी रही हैं। स्वाति ने वर्ष 2012-13 में मध्यप्रदेश में हुई सामान्य शतरंज प्रतियोगिता में विजेता रही थी।

कई अन्तराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में हिस्सा

स्वाति वर्तमान में शिक्षक के रूप में बधिर विद्यालय में अध्यापिका के रूप में कार्यरत हैं। वे अपने जैसे अन्य मूक-बधिर बच्चों को हिम्मत हारने की बजाय आगे बढऩे का साहस देती हैं। स्वाति इससे पूर्व बधिर शतरंज ओलम्पिक, पुर्तगाल 2010, प्रथम बधिर शतरंज एशियाड 2012 में स्वर्ण पदक प्राप्त कर चुकी हैं। जबकि अन्य कई अन्तरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग ले चुकी हैं।