विधानसभा में हंगामा, लेकिन सीएम की नजर सत्र खत्म होने के बाद के परिदृश्य पर टिकी


हस्तक्षेप
– हरीश बी.शर्मा
राजस्थान विधानसभा में बजट सत्र के दौरान हुए हंगामे ने विपक्ष की मंशा को साफ कर दिया है। हालात यह बन गए कि आरएलपी के तीनों विधायकों को निलंबित करने का फैसला करना पड़ा। हालांकि, हंगामा भाजपा के विधायकों ने भी किया, लेकिन राज्यपाल ने जैसे ही अपना 68 पेज का अभिभाषण 21 मिनिट मे ‘बचा हुआ पढ़ा हुआ मान लिया जाएÓ की तर्ज पर पूरा करके बाहर निकले, हंगामा बंद कर दिया। आरएलपी के विधायकों ने अपना रोष जारी रखा। पेपरलीक प्रकरण की जांच सीबीआई से करवाने की मांग पर अड़े रहे तो उन्हें स्पीकर सीपी जोशी ने एक दिन के लिए निलंबित कर दिया।
विधानसभा में विपक्ष का यह प्रदर्शन इस वजह से खास रहा कि पेपर-लीक की लगातार होने वाली घटनाओं के बाद भी यही विपक्ष पुरजोर विरोध की मुद्रा में नहीं आ पाया था, लेकिन पूर्व उपमुख्यमंत्री और कांग्रेस के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलट के मुखर होने के बाद विपक्ष को भी यह मुद्दा मिल गया है।
इस बजट सत्र के शुरू होने से पहले सचिन पायलट ने पांच जिलों में जाकर जिस तरह की बात की और जनसमर्थन जुटाया, वह भले ही सुनियोजित नहीं हो, लेकिन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पक्ष में नहीं था। कई स्थानों पर तो हालात यह बन गए कि सचिन पायलट की बातों से कांग्रेस वाले भी सहमत नजर आए और वह यह था कि पेपर-लीक की घटनाओं से सरकार और पार्टी की फजीहत हुई है। इस तरह के प्रकरणों की पुनरावृत्ति होना कांग्रेस के लिए चिंतनीय है। इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कार्रवाई होनी चाहिए।
सचिन पायलट की इस मांग के बाद सरकार दबाव में आई और कोचिंग संस्थाओं के लिए गाइट-लाइन जारी की। इस दबाव को देखते हुए विपक्ष ने भी सरकार को विधानसभा में घेरने की रणनीति बनाई और पहले ही दिन ऐसा विरोध हुआ कि तीन विधायकों को निलंबित करना पड़ा। तीन विधायकों को निलंबित करने की यह घटना सामान्य नहीं है। खासतौर से तब, जब पार्टी आरएलपी हो और हनुमान बेनीवाल का नाम जुड़ा हो।
फिर यह शर्त भी नहीं है कि ये तीनों विधायक अपनी मांगें छोड़ भी देंगे। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि अभी तक भाजपा ने अपने पत्ते खोले भी नहीं है। विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष होने के नाते सिर्फ गुलाबचंद कटारिया ने अपनी मांग उठाई है, दस फरवरी को बजट प्रस्तुत करने की संभावित तारीख है। इससे पहले विधानसभा में और बाहर कई रंग देखने को मिलेंगे।
सचिन पायलट के बयानों पर अशोक गहलोत और उनके समर्थक विधायकों की आने वाली प्रतिक्रियाओं से यह लगने लगा है कि अंतर्कलह तेज हो चुकी है। इधर, विधानसभा में उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ भी विधायकों के इस्तीफे के प्रकरण को जिंदा रखने पर आमादा हैं। चुनावी साल होने के कारण हर विधायक को लगता है कि उसे विधानसभा में बेहतर प्रदर्शन करना है, ऐसे में मीडिया की नजर में आने के लिए सभी प्रयास करेंगे।
ऐसे में यह बजट सत्र कई मामलों में महत्वपूर्ण रहने वाला है। यह दीगर है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की नजरें इस बजट सत्र के बाद होने वाले परिदृश्य को सजाने-संवारने में लगी है। राजस्थान की राजनीति में बजट के बाद बनने वाला परिदृश्य निर्णायक रहने वाला है।
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