लॉयन न्यूज, बीकानेर। आज पीबीएम के जनाना अस्पताल का एक चौंकाने वाला सच सामने आया है जो यहां हर रोज जननी पर बेवजह हो रहे अन्याय की कहानी बताता है। पीबीएम के जनाना विभाग का नया भवन तीन साल पहले ही लोकार्पित हो जाने के बावजूद पिछले तीन वर्ष से प्रसूताओं के अधिकारों का लगातार हनन हो रहा है। पीबीएम के पिछले हिस्से में तीन साल पहले ही नया जनाना अस्पताल व शिशु अस्पताल बन ही नहीं गया था बल्कि लोकार्पित भी हो गया था। यह लोकार्पण मंत्री राजेंद्र राठौड़ ने किया था।

लेकिन एचओडी ने आज तक इस नए अस्पताल में विभाग को शिफ्ट नहीं किया। जबकि नए जनाना अस्पताल में सभी सुविधाएं उपलब्ध है। जानकारी के अनुसार 12 वार्डों व 400 बेड वाला यह अस्पताल 20 करोड़ की लागत से तैयार हुआ था। इस भवन में बड़े हॉल, एसी, बिजली व्यवस्था, शौचालय आदि सभी सुविधाएं उपलब्ध है।

तीन मंजिला इस इमारत में जिन तीन सालों में प्रसूताओं को सुविधादायक इलाज मिलना चाहिए था लेकिन यहां तो तीन साल तक ताला लगा रहा। जिला कलक्टर के अनुसार पूरे देश में इस तरह का गायनी अस्पताल नहीं है जो बीकानेर के पीबीएम को मिला। ऐसे में सवाल ये उठ रहे हैं कि आखिर लोकार्पित जनाना अस्पताल को शुरू क्यों नहीं किया गया। उल्लेखनीय है कि प्रसूताओं को एक ही बेड पर सुलाना अपने आप में अपराध है।

आज जिला कलक्टर गौतम पीबीएम के गायनी डिपार्टमेंट का निरीक्षण करने पहुंचे। यहां हालात ये थे कि एक बेड पर दो महिलाएं सोई थी तो बच्चे जमीन पर सोए थे। घोर अव्यवस्थाओं से घिरे इस जनाना अस्पताल के बारे में कलक्टर ने जानकारी लेनी शुरू की और समाधान की बात उठी तब नए जनाना अस्पताल का सच सामने आया। अब कलक्टर गौतम ने एक माह के भीतर नए अस्पताल में शिफ्ट होने के आदेश जारी किए हैं।