लॉयन न्यूज। – ज्योतिषी मनोज व्यास के अनुसार
दिनांक : 10.11.2023
वार : शुक्रवार
सूर्योदय : प्रात: 06:54 बजे
सूर्यास्त : 17:47
चन्द्रोदय : 04:47, नवम्बर 11
हिन्दु मास : कार्तिक कृष्ण, द्वादशी
विक्रम सम्वत : 2080
तिथि : द्वादशी 12:35 तक त्रयोदशी
नक्षत्र : हस्त 00:08, नवम्बर 11 तक चित्रा
योग : विष्कंभ 17:06 तक प्रीति
करण : तैतिल 12:35 तक गर 01:20, नवम्बर 11 तक
सूर्य राशि : तुला
चंद्र राशि : कन्या
अभिजित मुहूर्त : 11:59 से 12:42
अमृत काल : 17:35 से 19:20
विजय मुहूर्त : 14:09 से 14:53
गोधूलि मुहुर्त : 17:47 से 18:13
दिशा शूल : दक्षिण
चौघड़िया मुहूर्त 
दिन का चौघड़िया
चर – 06:54 से 08:16 (सामान्य)
लाभ – 08:16 से (उन्नति)
अमृत – 09:37 से 10:59 (सर्वोत्तम)
शुभ – 12:20 से 13:42 (उत्तम)
चर – 16:26 से 17:47 (सामान्य)
रात्रि का चौघड़िया 
लाभ – 21:04 से 22:42 (उन्नति)
शुभ – 00:21 से 01:59, नवम्बर 11 (उत्तम)
अमृत – 01:59 से 03:38, नवम्बर 11 (सर्वोत्तम)
चर – 03:38 से 05:16, नवम्बर 11 (सामान्य)
आज का राशिफल
मेष🐐 (चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ)
आज का दिन प्रतिकूल रहेगा कार्यो के बिगड़ने अथवा आशानुकूल ना होने से मन मे नकारात्मक भाव आएंगे। अनैतिक प्रवृति जल्द आकर्षित करेगी जिससे मान एवं धन की हानि संभव है। अकारण क्रोध आने से प्रेम सम्बन्धो में खटास आएगी इसलिए मौन रहने का प्रयास करें। धर्म के प्रति आज एकमत नहीं रहेंगे मन भटकने के कारण शांति नहीं मिल सकेगी। कागजो को संभाल कर रखें किसी महत्त्वपूर्ण कागजात के गुम होने से दुविधा में रहेंगे। पारिवारिक वातावरण आपके व्यवहार पर निर्भर रहेगा। महिलाये आज अधिक महत्त्वकांक्षी रहेंगी इच्छा पूर्ति ना होने पर गुस्सा आएगा।
वृष🐂 (ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)
आज का दिन बौद्धिक क्षमता में विकास लाएगा। अध्ययन-अध्यापन के कार्यो में सहज सफलता मिलेगी। संताने बौद्धिक एवं आध्यात्मिक उन्नति करेंगी फिर भी नजर रखना आवश्यक है। किसी भी प्रकार की सरकारी सहायता अथवा रुके कार्य आज अवश्य ही आगे बढ़ेंगे। व्यवसाय में प्रतिस्पर्धा कम रहने से लाभ की संभावना अधिक रहेगी। आस-पड़ोसियों से वैर-विरोध मिटेगा लेकिन अभिमानी स्वभाव रहेगा। आप किसी से भी मधुर वाणी द्वारा आसानी से काम निकाल सकेंगे। मध्यान के समय आकस्मिक यात्रा से थोड़ी थकान रहेगी। पारिवारिक वातावरण सुखद रहेगा।
मिथुन👫 (का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, हा)
आपके लिये आज का दिन कलहकारक रहेगा। दिनभर किसी ना किसी कारण से विवाद के प्रसंग बनेंगे। सम्मान हानि की संभावना अधिक है प्रत्येक कार्य विशेषकर सामाजिक क्षेत्र पर अत्यन्त सावधानी बरतें। किसी के कहे में आकर कोई अनैतिक कार्य ना करें। कार्य व्यवसाय में भी आज प्रलोभन का भविष्य में दुष्प्रभाव देखने को मिलेगा। व्यावसायिक क्षेत्र पर लाभ पाने के लिए व्यवहारिकता काम आएगी इसलिए स्वभाव में नरमी रखें। विरोधी आपके प्रयासों को विफल कर सकते है। जल्दबाजी में धन का निवेश ना करें ना ही किसी को उधार दें। घर में आज मौन साधन ही तकरार से बचने का उत्तम उपचार है। सेहत का ध्यान रखें।
कर्क🦀 (ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)
आज का दिन आपके लिए श्रीवृद्धि कारक रहेगा। आज आप जिस भी कार्य मे धन लगाएंगे उसमे थोड़े विलंब से ही सही लेकिन दुगना लाभ मिलेगा। व्यवसायियो के लिए उत्तम रहेगा अधूरे कार्य पूर्ण होने से धन की आमद होगी नए अनुबंध भी मिल सकते है भविष्य की योजनाएं बलवती बनेंगी। परन्तु आज सरकारी नौकरी पेशा जातक किसी कार्य को लेकर दिन भर दुविधा की स्थिति में रह सकते है। पारिवारिकजन आज बेवजह जिद पर अड़ेंगे जिससे असुविधा महसूस करेंगे परन्तु बाद में यही आनंद का कारण बनेगी। पड़ोसियों से मेलजोल बढेगा। मध्यान का समय अधिकतर आलस्य में बीतेगा। सुख शांति बनी रहेगी।
सिंह🦁 (मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)
दिखावे का संतोषी स्वभाव भी आज आपके व्यक्तित्त्व में चार चांद लगायेगा। मन में कुछ ना कुछ तिकडम लगी रहेगी फिर भी किसी को प्रदर्शित नही होने देंगे। लापरवाही पर पर्दा डालने का प्रयास सफल होगा परन्तु हानिकारक भी रहेगा। लाभ पाने के लिये जोड़-तोड़ की नीति अपनायेंगे। कार्य क्षेत्र पर किसी से समझौता करना पड़ेगा।भागीदारी के व्यवसाय में लाभ की संभावना अधिक रहेगी। आर्थिक कारणों से किसी से झगड़ा भी हो सकता है। स्वभाव में कामुकता अधिक रहेगी विपरीत लिंगीय के प्रति जल्दी आकर्षित हो जाएंगे। गृहस्थ जीवन में सुख के साधन पर अधिक खर्च होगा। स्त्री संतान का सुख मिलेगा।
कन्या👩 (टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)
आज के दिन अधिकांश समय मन को प्रसन्न करने वाले प्रसंग बनेंगे। कार्यो में सहज सफलता मिलने से उत्साह बढ़ेगा। भाग्य साथ देने से अटके कार्य पूर्ण होंगे धन की आमद भी रुक रुक कर होती रहेगी। पारिवारिक सदस्यों की कार्य क्षेत्र पर भी सहायता मिलेगी। सरकारी कार्य में बाधा आने की संभावना है फिर भी किसी के सहयोग से पार कर लेंगे। नौकरी पेशा जातको को अतिरिक्त कार्य का लाभ शीघ्र मिल जायेगा। दूर रहने वाले रिश्तेदारो से मिलने के प्रसंग बनेंगे। पारिवारिक वातावरण में प्रेम रहेगा लेकिन स्त्री से किसी बात पर मतभेद हो सकता है।संताने आज्ञा का पालन करेंगी।
तुला⚖️ (रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)
आज के दिन आपकी मन के विपरीत घटना घटने से क्रोध आएगा। सहकर्मी अथवा पारिवारिकजन जानकर भी आपकी इच्छा के विपरीत कार्य करेंगे। नौकरी व्यवसाय में दिन सामान्य रहेगा परिश्रम करने के बाद निर्वाह योग्य लाभ ही बना पाएंगे। आज धर्म-कर्म में आस्था होने पर भी आपके हाथों कोई अनैतिक कर्म हो सकता है जिसकी ग्लानि सम्मान हानि के बाद ही होगी। घर के बुजुर्गो का बात-बात पर टोकना अखरेगा वातावरण अशान्त भी बनेगा। उधार के पैसे वापस मांगने पर विवाद हो सकता है। फिर भी मित्रो से अनुकूल व्यवहार एवं आर्थिक सहायता मिलने से संतोष रहेगा। महिलाये शंकालु रहेंगी।
वृश्चिक🦂 (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)
आज का दिन आपके लिए लाभदायक रहेगा सेहत एवं व्यापार दोनों उत्तम रहेंगे। क्रय-विक्रय के व्यवसाय अथवा शेयर सट्टे में निवेश से धन लाभ होगा। अन्य व्यवसाय में भी नए अनुबंध मिलने की सम्भवना रहेगी परन्तु नए व्यवसाय का आरम्भ अभी ना करें। व्यावसायिक यात्रा लाभदायक रहेगी साथ ही धन की उगाही भी कर पाएंगे। नौकरी पेशा जातको की कार्य क्षेत्र पर सामान्य दिनचर्या रहेगी। धार्मिक कृत्यों विशेषकर टोन टोटको में विश्वास करेंगे। पारिवारिक जीवन में खुशियां बढ़ेंगी शुभसमाचार मिलेगा।विरोधीयो के सडयंत्र असफल रहेंगे। महिलाये आज अधिक भावुक रहेंगी।
धनु🏹 (ये, यो, भा, भी, भू, ध, फा, ढा, भे)
आपका आज का दिन मिश्रित फलदायक रहेगा दिन के आरंभिक भाग में कल वाली स्थिति यथावत रहेगी। जिस कार्य को करने की सोचेंगे उसीमें किसी के दखल करने से भ्रामक स्थिति बनेगी। विलम्ब से बचने के लिये जल्दबाजी करेंगे जिससे कार्य में सफाई नहीं रहेगी। परन्तु दोपहर के बाद स्थिति धीरे-धीरे सामान्य होने लगेगी धन लाभ होने से रुके कार्यो में गति आएगी। नौकरी पेशा जातको पर अधिकारी वर्ग अधिक विश्वास करेंगे। सरकारी कार्यो में भी सफलता की संभावना बढ़ने से प्रसन्नता रहेगी लेकिन इनके आज पूर्ण होने में संदेह रहेगा। घरेलु वातावरण में भी सुधार आएगा। महिलाये आध्यात्म में विशेष निष्ठा रखेंगी।
मकर🐊 (भो, जा, जी, खी, खू, खा, खो, गा, गी)
आज का दिन लाभदायक रहेगा आप संबंधों को लेकर ज्यादा गंभीर रहेंगे जिससे कुछ दिनों से चल रही पारिवारिक खटास में कमी आएगी। धार्मिक भावनाएं जाग्रत रहेंगी।परंतु व्यवसाय को लेकर आज दुविधा में रहेंगे नौकरी पेशा जातक कार्य क्षेत्र में परिवर्तन की योजना बना सकते है जो कि भविष्य के लिये लाभदायक रहेगा। व्यवसायी वर्ग कुछ ना कुछ नई उधेड़-बुन में लगे रहेंगे लेकिन निर्णय लेने में परेशानी होगी। धन लाभ प्रयास करने पर अवश्य होगा परन्तु खर्च भी बराबर लगे रहेंगे। आज रिश्तेदारी में जाएँ तो पुराने व्यवहारों को त्याग कर ही जाये अन्यथा आनंद के क्षण राग द्वेष में बदलेंगे।
कुंभ🍯 (गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)
आज का दिन शारीरिक रूप से हानिकारक रहेगा किसी दुर्घटना अथवा आकस्मिक रोग होने से कष्ट की संभावना अधिक रहेगी।बीमारियों पर भी खर्च होगा शारीरिक समस्याएं मध्यान के समय प्रबल रहेंगी अधिक मसाले वाले भोजन अथवा बाहर के खान-पान से परहेज करें। आज आर्थिक विषयो को लेकर नई समस्याएं बनेगी जिनका समाधान होने में समय लगेगा। कार्य क्षेत्र पर मंदी रहने से धन की आमद कम रहेगी। नौकरी पेशा जातक अथवा महिलाएं मनोकामना पूर्ती ना होने से अनमने मन से कार्य करेंगे। किसी से धन सम्बंधित वादे ना करे।
मीन🐳 (दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)
आज का दिन आपको ऐश्वर्य दिलाएगा साथ ही थोड़ा बहुत धन लाभ भी होने से मानसिक रूप से संतोष अनुभव करेंगे। आपको सोचे कार्यो में अवश्य सफलता मिलेगी परन्तु आलस्य एवं अहम् की भावना को दूर रखना होगा। कार्य स्थल पर आज कुछ ऐसी परिस्थिति बनेगी जो लंबे समय तक लाभ देगी। अधिकारियो से आज तालमेल अच्छी तरह बैठा लेंगे लेकिन फिर भी किसी आशंका से भयभीत रहेंगे। सामाजिक क्षेत्र पर भी परिवार का नाम बढ़ाएंगे। महिलाये आवश्यकताएं बढ़ने से असन्तोषी रहेंगी भविष्य की योजनाएं नहीं बन सकेंगी। घर का वातावरण लगभग सामान्य ही रहेगा।
धनतेरस पर सिर्फ बर्तन या चांदी ही न खरीदें, करें ये काम भी, आरोग्य और ऐश्वर्य रहेगा साल भर साथ

लॉयन न्यूज, बीकानेर। धनतेरस पर लोक मान्यताओं के अनुसार बर्तन व चांदी के आभूषण की खरीद की परम्परा के पीछे की धार्मिक मान्यताओं का भी एक बड़ा कारण है। साथ ही ज्योतिष विज्ञान की समृ़़़़द्ध ज्ञान के साथ स्वास्थ्य और धन सम्बन्धी परेशानियों के निदान में इस दिन का महत्वपूर्ण स्थान है। ऐसे में धनतेरस का पौराणिक महत्व, पूजा-पद्धति की जानकारी के लिए लॉयन एक्सप्रेस ने बात की ज्योतिषी पं. मनोज व्यास से। व्यास बताते हैं कि  कार्तिक माह (पूर्णिमान्त) की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन समुद्र-मंन्थन के समय भगवान धन्वन्तरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे, इसलिए इस तिथि को धनतेरस या धनत्रयोदशी के नाम से जाना जाता है। भारत सरकार ने धनतेरस को राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया है।

जैन आगम में धनतेरस को ‘धन्य तेरस’ या ‘ध्यान तेरस’ भी कहते हैं। भगवान महावीर इस दिन तीसरे और चौथे ध्यान में जाने के लिये योग निरोध के लिये चले गये थे। तीन दिन के ध्यान के बाद योग निरोध करते हुये दीपावली के दिन निर्वाण को प्राप्त हुये। तभी से यह दिन धन्य तेरस के नाम से प्रसिद्ध हुआ।

धन्वन्तरि जब प्रकट हुए थे तो उनके हाथो में अमृत से भरा कलश था। भगवान धन्वन्तरि चूंकि कलश लेकर प्रकट हुए थे इसलिए ही इस अवसर पर बर्तन खरीदने की परम्परा है। कहीं कहीं लोकमान्यता के अनुसार यह भी कहा जाता है कि इस दिन धन (वस्तु) खरीदने से उसमें तेरह गुणा वृद्धि होती है। इस अवसर पर लोग धनिया के बीज खरीद कर भी घर में रखते हैं। दीपावली के बाद इन बीजों को लोग अपने बाग-बगीचों में या खेतों में बोते हैं।

धनतेरस के दिन चांदी खरीदने की भी प्रथा है; जिसके सम्भव न हो पाने पर लोग चांदी के बने बर्तन खरीदते हैं। इसके पीछे यह कारण माना जाता है कि यह चन्द्रमा का प्रतीक है जो शीतलता प्रदान करता है और मन में सन्तोष रूपी धन का वास होता है। संतोष को सबसे बड़ा धन कहा गया है। जिसके पास संतोष है वह स्वस्थ है, सुखी है, और वही सबसे धनवान है। भगवान धन्वन्तरि जो चिकित्सा के देवता भी हैं। उनसे स्वास्थ्य और सेहत की कामना के लिए संतोष रूपी धन से बड़ा कोई धन नहीं है। लोग इस दिन ही दीपावली की रात लक्ष्मी, गणेश की पूजा हेतु मूर्ति भी खरीदते हैं।

धनतेरस की शाम घर के बाहर मुख्य द्वार पर और आंगन में दीप जलाने की प्रथा भी है। इस प्रथा के पीछे एक लोककथा है। कथा के अनुसार किसी समय में एक राजा थे जिनका नाम हेम था। दैव कृपा से उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। ज्योंतिषियों ने जब बालक की कुण्डली बनाई तो पता चला कि बालक का विवाह जिस दिन होगा उसके ठीक चार दिन के बाद वह मृत्यु को प्राप्त होगा। राजा इस बात को जानकर बहुत दुखी हुआ और राजकुमार को ऐसी जगह पर भेज दिया जहां किसी स्त्री की परछाई भी न पड़े। दैवयोग से एक दिन एक राजकुमारी उधर से गुजरी और दोनों एक दूसरे को देखकर मोहित हो गये और उन्होंने गन्धर्व विवाह कर लिया।

विवाह के पश्चात विधि का विधान सामने आया और विवाह के चार दिन बाद यमदूत उस राजकुमार के प्राण लेने आ पहुंचे। जब यमदूत राजकुमार प्राण ले जा रहे थे उस वक्त नवविवाहिता उसकी पत्नी का विलाप सुनकर उनका हृदय भी द्रवित हो उठा। परन्तु विधि के अनुसार उन्हें अपना कार्य करना पड़ा। यमराज को जब यमदूत यह कह रहे थे, उसी समय उनमें से एक ने यम देवता से विनती की- हे यमराज! क्या कोई ऐसा उपाय नहीं है जिससे मनुष्य अकाल मृत्यु से मुक्त हो जाए। दूत के इस प्रकार अनुरोध करने से यम देवता बोले, हे दूत! अकाल मृत्यु तो कर्म की गति है, इससे मुक्ति का एक आसान तरीका मैं तुम्हें बताता हूं, सो सुनो। कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी रात जो प्राणी मेरे नाम से पूजन करके दीपमाला दक्षिण दिशा की ओर भेट करता है, उसे अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है। यही कारण है कि लोग इस दिन घर से बाहर दक्षिण दिशा की ओर दीप जलाकर रखते हैं।

धन्वन्तरि देवताओं के चिकित्सक हैं और चिकित्सा के देवता माने जाते हैं, इसलिए चिकित्सकों के लिए धनतेरस का दिन बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। धनतेरस के सन्दर्भ में एक लोक कथा प्रचलित है कि एक बार यमराज ने यमदूतों से पूछा कि प्राणियों को मृत्यु की गोद में सुलाते समय तुम्हारे मन में कभी दया का भाव नहीं आता क्या। दूतों ने यमदेवता के भय से पहले तो कहा कि वह अपना कर्तव्य निभाते है और उनकी आज्ञा का पालन करते हें परन्तु जब यमदेवता ने दूतों के मन का भय दूर कर दिया तो उन्होंने कहा कि एक बार राजा हेमा के ब्रह्मचारी पुत्र का प्राण लेते समय उसकी नवविवाहिता पत्नी का विलाप सुनकर हमारा हृदय भी पसीज गया लेकिन विधि के विधान के अनुसार हम चाह कर भी कुछ न कर सके।

एक दूत ने बातों ही बातों में तब यमराज से प्रश्न किया कि अकाल मृत्यु से बचने का कोई उपाय है क्या। इस प्रश्न का उत्तर देते हुए यम देवता ने कहा कि जो प्राणी धनतेरस की शाम यम के नाम पर दक्षिण दिशा में दीया जलाकर रखता है उसकी अकाल मृत्यु नहीं होती है। इस मान्यता के अनुसार धनतेरस की शाम लोग आँगन में यम देवता के नाम पर दीप जलाकर रखते हैं। इस दिन लोग यम देवता के नाम पर व्रत भी रखते हैं।

धनतेरस के दिन दीप जलाकर भगवान धन्वन्तरि की पूजा करें। भगवान धन्वन्तरि से स्वास्थ और सेहतमंद बनाये रखने हेतु प्रार्थना करें। चांदी का कोई बर्तन या लक्ष्मी गणेश अंकित चांदी का सिक्का खरीदें। नया बर्तन खरीदें जिसमें दीपावली की रात भगवान श्री गणेश व देवी लक्ष्मी के लिए भोग चढ़ाएं। कहा जाता है कि समुद्र मन्थन के दौरान भगवान धन्वन्तरि और मां लक्ष्मी का जन्म हुआ था, यही वजह है कि धनतेरस को भगवान धनवंतरी और मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है । धनतेरस दिवाली के दो दिन पहले मनाया जाता है।

धनतेरस की पौराणिक कथा
एक बार भगवान विष्णु ने पृथ्वी लोक पर भ्रमण करने का विचार किया। यह बात उन्होंने माता लक्ष्मी को बताई तो माता लक्ष्मी ने भी भगवान विष्णु के साथ चलने को कहा। तब विष्णु जी ने लक्ष्मी जी से कहा कि आप मेरे साथ तभी चल सकती हैं, जब मेरी बात मानेंगी। लक्ष्मी जी ने विष्णु जी को स्वीकृति दे दी। फिर वे दोनों पृथ्वी लोक पर विचरण के लिए निकल पड़े। पृथ्वी लोक पहुंचने पर विष्णु जी ने लक्ष्मी जी से कहा कि आप यहीं ठहरकर मेरी प्रतीक्षा करिए। साथ ही एक बात का ध्यान रखने के लिए भी कहा कि जिस दिशा में वे जा रहे थे, देवी लक्ष्मी उस ओर बिल्कुल न देखें। इतना कहकर विष्णु भगवान वहां से चल पड़े। लक्ष्मी जी ने रुकने का बहुत प्रयास किया, लेकिन उनका मन नहीं माना। वे विष्णु जी के पीछे चल दीं। थोड़ी दूरी पर जाने के बाद उन्होंने सरसों का एक खेत देखा। उस सरसों के खेत में जाकर माता लक्ष्मी ने फूल तोड़े और अपना श्रृंगार किया। तभी विष्णु जी की नजर उन पर पड़ गई और उन्होंने माता लक्ष्मी को श्राप दिया कि तुमने चोरी की है, इसलिए तुम्हें 12 साल तक इस किसान की सेवा करनी होगी। इस श्राप के बाद माता लक्ष्मी किसान के घर चली गईं। वह किसान बहुत निर्धन था। जबलक्ष्मी माता वहां पहुंची तो उन्होंने किसान से कहा कि मैं अब आप ही के घर रहना चाहती हूं. तब किसान ने एक बूढ़ी औरत का रूप धारण किए हुए माता लक्ष्मी को देखकर हां कह दिया। किसान के घर माता लक्ष्मी का वास हो गया और धीरे-धीरे धन से उसका घर परिपूर्ण हो गया।इस प्रकार 12 वर्ष व्यतीत हो गए। 12 वर्ष व्यतीत होने पर भगवान विष्णु ने माता लक्ष्मी को चलने के लिए कहा। तब किसान ने माता लक्ष्मी को विष्णु जी के साथ भेजने से इनकार कर दिया। तब माता लक्ष्मी ने किसान से कहा कि तेरस के दिन घर को अच्छी तरह से साफ करो। घर को साफ करने के बाद रात में घी का दीपक जलाओ। एक तांबे के कलश में रुपए और पैसे भर मेरी पूजा करो। ऐसा करने से मैं साल भर तुम्हारे समीप रहूंगी। किसान ने ऐसा ही किया और उसके घर पर लक्ष्मी माता का आशीर्वाद बना रहा। तभी से मान्यता है कि तेरस के दिन धन की देवी की पूजा करने से मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है। तभी से यह धनतेरस का त्योहार मनाया जाने लगा।

धनतेरस की पूजा करने की विधि
इस दिन प्रभु श्री गणेश, माता लक्ष्मी, भगवान धनवंतरि और कुबेर जी की पूजा की जाती है.

धनतेरस पूजा मुहूर्त

धन- त्रयोदशी श्री कुबेर पूजा शुभ समय 2080 कार्तिक कृष्ण पक्ष 12 शुक्रवार तारीख 10 -11- 2023 साँय प्रदोष वेला यम दीपदानम एवं श्री पूजन साँय 5:46 से 8:25 पर्यन्त

जानिए पूजन विधि.

1. पूजा करने से पहले स्नान करें और साफ वस्त्र धारण करें.
2. इसके बाद एक साफ चौकी पर गंगाजल छिड़क कर उस पर पीला या लाल रंग का कपड़ा बिछाएं.
3. इस कपड़े पर प्रभु श्री गणेश, माता लक्ष्मी, मिट्टी का हाथी, भगवान धनवंतरि और भगवान कुबेर जी की मूर्तियां स्थापित करें.
4. सर्वप्रथम गणेश जी का पूजन करें, उन्हें पुष्प और दूर्वा अर्पित करें.
5. इसके बाद हाथ में अक्षत लेकर भगवान धनवंतरि का मनन करें.
6. अब भगवान धनवंतरि को पंचामृत से स्नान कराकर, रोली चंदन से तिलक कर उन्हें पीले रंग के फूल अर्पित करें.
7. फूल अर्पित करने के बाद फल और नैवेद्य अर्पित कर उन पर इत्र छिड़ककर भगवान धनवंतरि के मंत्रों का जाप कर उनके आगे तेल का दीपक जलाएं.
8. इसके बाद धनतेरस की कथा पढ़ें और आरती करें.
9.अब भगवान धनवंतरि को पीले रंग की मिठाई का भोग लगाकर माता लक्ष्मी और कुबेर जी की पूजा भी करें.
10. पूजा समाप्त करने के बाद घर के मुख्य द्वार के दोनों और तेल का दीपक जरूर जलाएं.

धनतेरस के दिन यमदीपदान
13 नवम्बर शुक्रवार को धनतेरस है ।
इस दिन यम-दीपदान जरूर करना चाहिए। ऐसा करने से अकाल मृत्यु का भय समाप्त होता है। पूरे वर्ष में एक मात्र यही वह दिन है, जब मृत्यु के देवता यमराज की पूजा सिर्फ दीपदान करके की जाती है। कुछ लोग नरक चतुर्दशी के दिन भी दीपदान करते हैं।
स्कंदपुराण में लिखा है
कार्तिकस्यासिते पक्षे त्रयोदश्यां निशामुखे ।
यमदीपं बहिर्दद्यादपमृत्युर्विनिश्यति ।।
अर्थात कार्तिक मासके कृष्णपक्ष की त्रयोदशी के दिन सायंकाल में घर के बाहर यमदेव के उद्देश्य से दीप रखने से अपमृत्यु का निवारण होता है ।
पद्मपुराण में लिखा है
कार्तिकस्यासिते पक्षे त्रयोदश्यां तु पावके।
यमदीपं बहिर्दद्यादपमृत्युर्विनश्यति।।
कार्तिक के कृष्णपक्ष की त्रयोदशी को घर से बाहर यमराज के लिए दीप देना चाहिए इससे दुरमृत्यु का नाश होता है।

यम-दीपदान सरल विधि
यमदीपदान प्रदोषकाल में करना चाहिए । इसके लिए आटे का एक बड़ा दीपक लें। गेहूं के आटे से बने दीप में तमोगुणी ऊर्जा तरंगे एवं आपतत्त्वात्मक तमोगुणी तरंगे (अपमृत्यु के लिए ये तरंगे कारणभूत होती हैं) को शांत करने की क्षमता रहती है । तदुपरान्त स्वच्छ रुई लेकर दो लम्बी बत्तियॉं बना लें । उन्हें दीपक में एक -दूसरे पर आड़ी इस प्रकार रखें कि दीपक के बाहर बत्तियों के चार मुँह दिखाई दें । अब उसे तिल के तेल से भर दें और साथ ही उसमें कुछ काले तिल भी डाल दें । प्रदोषकाल में इस प्रकार तैयार किए गए दीपक का रोली , अक्षत एवं पुष्प से पूजन करें । उसके पश्चात् घर के मुख्य दरवाजे के बाहर थोड़ी -सी खील अथवा गेहूँ से ढेरी बनाकर उसके ऊपर दीपक को रखना है । दीपक को रखने से पहले प्रज्वलित कर लें और दक्षिण दिशा (दक्षिण दिशा यम तरंगों के लिए पोषक होती है अर्थात दक्षिण दिशा से यमतरंगें अधिक मात्रा में आकृष्ट एवं प्रक्षेपित होती हैं) की ओर देखते हुए चार मुँह के दीपक को खील आदि की ढेरी के ऊपर रख दें । ‘ॐ यमदेवाय नमः ’ कहते हुए दक्षिण दिशा में नमस्कार करें ।
यम दीपदान का मन्त्र :
मृत्युना पाशदण्डाभ्यां कालेन श्यामया सह |
त्रयोदश्यां दीपदानात् सूर्यजः प्रीयतां मम ||
इसका अर्थ है, धनत्रयोदशीपर यह दीप मैं सूर्यपुत्रको अर्थात् यमदेवताको अर्पित करता हूं । मृत्युके पाशसे वे मुझे मुक्त करें और मेरा कल्याण करें ।

धनतेरस के दिन इस मंत्र का पाठ करने से हर तरह के आर्थिक संकट दूर होते हैं। बाद में इस मंत्र का प्रात:काल प्रतिदिन दीपक जलाकर जाप करने से घोर आर्थिक संकटों से भी राहत मिलती है।

`ॐ भूरिदा भूरि देहिनो, मा दभ्रं भूर्या भर।

भूरिरेदिन्द्र दित्ससि।

ॐ भूरिदा त्यसि श्रुत: पुरूत्रा शूर वृत्रहन्।

आ नो भजस्व राधसि।।´

ऋग्वेद (4/32/20-21)

भावार्थ : हे लक्ष्मीपते ! आप दानी हैं, साधारण दानदाता ही नहीं बहुत बड़े दानी हैं। आप्तजनों से सुना है कि संसार भर से निराश होकर जो याचक आपसे प्रार्थना करता है, उसकी पुकार सुनकर उसे आप आर्थिक कष्टों से मुक्त कर देते हैं – उसकी झोली भर देते हैं। हे भगवान, मुझे अर्थ संकट से मुक्त कर दो।

इस मंत्र का प्रात:काल प्रतिदिन दी पक जलाकर जाप करने से आर्थिक संकटों से राहत मिलती है। धनतेरस के दिन इस मंत्र का पाठ करने से हर तरह के आर्थिक संकट दूर होते हैं।

धनतेरस में शुभ माना जाता है इन चीजों की खरीदारी

धनतेरस में कलश,हल्दी की गांठ, झाड़ू खरीदना बहुत शुभ होता है। झाड़ू खरीदने के पीछे कहा जाता है कि धनतेरस के दिन घर की सफाई कर पुरानी झाड़ू की जगह नई झाड़ू लानी चाहिए. इसलिए इस दिन झाड़ू खरीदना शुभ माना जाता है। इस दिन धनिया के बीज, सोना-चांदी, धातु के बर्तन खासकर पीतल के बर्तन खरीदना भी बहुत शुभ होता है. इस दिन कलश खरीदना भी अच्छा रहता है. धनतेरस के दिन अगर आप बर्तन लाते हैं तो उन्हें खाली नहीं रखना चाहिए. पूजा से पहले उनमें जलभरकर रखना चाहिए.