डिंगल काव्य सृजन हेतु दिया जाता है प्रतिवर्ष 51000 की राशि का राष्ट्रीय पुरस्कार

लॉयन न्यूज, बीकानेर।  लोक एवं डिंगल साहित्य संवर्द्धन हेतु प्रतिवर्ष प्रदान किया जाने वाला राष्ट्रीय पुरस्कार पद्मश्री दुलाभाया काग लोकसाहित्य अवार्ड, 2025 राजस्थानी के कवि, काव्यशास्त्री, समालोचक, गद्यकार एवं भाषा मान्यता आंदोलन के अग्रणी हस्ताक्षर लक्ष्मण दान जी कविया ‘खेंण’ को दिया जाएगा।

पुरस्कार निर्णायक समिति के संयोजक प्रोफेसर बलवंत जानी ने यह घोषणा की। काग बापू ट्रस्ट मजादर गुजरात की ओर से प्रतिवर्ष दिया जाने वाला यह लोकसाहित्य अवार्ड डिंगल साहित्य एवं लोकसाहित्य परम्परा के ख्यातनाम रचनाकारों को प्रदान किया जाता है। यह पुरस्कार कवि काग की कर्मस्थली कागधाम में पूज्य संत मोरारी बापू के मंगल सान्निध्य में आयोजित विशाल साहित्यिक समारोह में स्वयं संतश्री के करकमलों से प्रदान किया जाता है। इसमें श्रीफल, शॉल, सम्मानपत्र एवं साहित्य के साथ 51000/- की पुरस्कार राशि प्रदान की जाती है। इस वर्ष का पुरस्कार समारोह आगामी 03 मार्च, 2025 को आयोजित होगा।

पुरस्कृत होने वाले साहित्यकार लक्ष्मण दान की दो दर्जन पुस्तकें प्रकाशित हैं। कविया राजस्थान ही नहीं हिंदुस्तान के पहले कवि हैं, जिनके सात ‘सतसई ग्रन्थ’ प्रकाशित हो चुके हैं। आज भी आप सतत सृजनरत हैं। आपके संयोजन में नेम प्रकाशन डेह नागौर में राजस्थान का सबसे बड़ा ‘राजस्थानी भाषा एवं साहित्य पुरस्कार समारोह’ विगत डेढ़ दशक से प्रतिवर्ष आयोजित होता है, जिसमें राजस्थानी के 100 से अधिक रचनाकारों को अब तक पुरस्कृत किया जा चुका है तथा 50 से अधिक पुस्तकों का लोकार्पण किया जा चुका है।

इस प्रतिष्ठित साहित्यिक पुरस्कार के लिए कविया के नाम की घोषणा से नागौर ही नहीं सम्पूर्ण राजस्थानी साहित्यिक समुदाय में खुशी की लहर है। नेम प्रकाशन डेह के अध्यक्ष पवन पहाड़िया, शिक्षाविद डॉ. गजादान चारण ‘शक्तिसुत’, युवा कवि प्रहलाद सिंह झोरड़ा, गायक सत्यपाल सांदू, सुखदेव सिंह गाडण, श्रीराम वैष्णव, सांवल दान कविया, फत्तूराम छाबा, चुन्नीलाल सैनी ने श्री कविया को हार्दिक बधाई देते हुए निर्णायक मंडल का आभार जताया।