• डॉ. कविता शर्मा 

जरा रुकिए। अपने चारों तरफ देखिए। हर व्यक्ति एक अनदेखी रेस मे दौड़ रहा है । यह शारीरिक व मानसिक दौड़ धूप मानो तरक्की व विकास का पर्याय बन चुकी है । यह तथ्य जानते हुए भी कि  “अति” हर चीज की बुरी है , हम इस सच्चाई को भी नहीं नकार सकते कि दौड़ेंगे नहीं तो जिंदगी की इस रेस में पीछे छूट जाएंगे । जहां तक मन की दौड़ का सवाल है यह तो सतत व अविरल है किंतु शरीर की दौड़ इतनी आसान नहीं है । शरीर की दौड़ के घोड़े को निरन्तर धीमा करने वाला कारक है… थकान या फटीग।

“बहुत थका -थका महसूस करता हूं” पहले यह वाक्य जहां प्रौढ़ों की बातचीत का हिस्सा हुआ करता था, आज के दौर में युवाओं का तकिया कलाम बनता जा रहा है । सोच कर देखें पहले जहां 20 से 30 वर्ष के लोग पहाड़ तोड़ लेने की ताकत रखते थे, वहीं आज के समय में 2 घंटे का काम या 2 किलोमीटर की चहल कदमी उन्हें थका देती है।

आपको यह जानकर हैरानी होगी कि अचानक से महसूस होने वाली फटीग या थकान के लक्षण हमारे शरीर की एक या दो दिन की दिनचर्या के परिणाम नहीं है, अपितु एक लंबे समय के अस्वस्थ जीवन शैली तथा असंतुलितभोजन का chronic outcome है।

आज के व्यावसायिक दौर में अधिकतर क्षेत्र में सिटिंग जॉब्स होती है। कर्मचारी कई घंटे एक ही स्थिति में बैठे रहते हैं। थोड़ी-थोड़ी देर में ऊंघना, सांसो का फूलना, जोड़ों की शिथिलता व सुन्न होना, शारीरिक दर्द व ऐंठन महसूस करते युवा व प्रौढ़ आपको अपने आसपास सहज ही दिख जाएंगे।

विशेषज्ञों की माने तो इस थकान के पीछे भी केमिकल इम्बैलेन्स है। जब हमें थकान महसूस होती है तो सबसे पहला संकेत मांसपेशियां देती है। उनमें दर्द होने लगता है तथा ये सुन्न होने लगती है। असल में मांसपेशियों मे एक रसायन “लैक्टिक एसिड”  जमा होने लगता है जिससे इनमें दर्द व जलन होती है।

एक अन्य स्थिति में जब शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी हो जाती है तब रक्त में ऑक्सीजन की मात्रा घट जाती है तथा कार्बन डाइऑक्साइड अधिक हो जाती है। कार्बन डाईआक्साइड की अधिकता भी शरीर की कोशिकाओं को शिथिल बनाती है।

लंबे समय तक मानसिक तनाव, सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी, पाचन संबंधी समस्याएं तथा किसी दवाई का लंबे समय तक सेवन भी शरीर में जल्दी थकान के कारण हो सकते हैं।

स्वास्थ्य विशेषज्ञ बताते हैं कि व्यायाम, योग तथा स्लीप साइकिल को ठीक करके हम थकान के स्तर को कुछ हद तक नियंत्रित कर सकते हैं किंतु एक मुख्य हथियार जो थकान के निवारण के लिए आवश्यक है वह निसंदेह संतुलित भोजन है।

तो आइए जाने की भोजन में किन छोटे-छोटे बदलावों से हम अपने शरीर की सक्रियता तथा endurance को बढ़ा सकते हैं।

  1. ताजे फल व सब्जियों का समावेश करें

फल व सब्जियों की ताजगी हमारे शरीर को भी तरोताजा कर देती है। यहां फलों व सब्जियों से मेरा मतलब है ताजा फल तथा कच्ची सब्जियां। फलों का जूस इस कैटेगरी में नहीं आता। असल में जब हम फल व सब्जियों को साबूत खाते हैं तो सिंपल व जटिल दोनों प्रकार के कार्बोहाइड्रेट हमारे शरीर को मिलते हैं । जटिल कार्बोहाइड्रेट (hemicellulose, lignin, Pectin) धीमी गति से पचते हैं इसलिए रक्त में धीरे-धीरे वह लंबे समय तक ग्लूकोज का समावेश करते हैं। इससे ग्लूकोसस्पाइक नहीं महसूस होता। हम सभी जानते हैं की ताजा फलों वसब्जियों में माइक्रोन्यूट्रिएंट: (विटामिन व मिनरल) की भरपूर मात्रा पाई जाती है। ये छोटे-छोटे पोषक तत्व शरीर में कई मेटाबॉलिक एक्टिविटी को पूरा करते हैं तथा कोशिकाओं की सक्रिय बनाए रखते हैं। अगर शरीर को इंस्टेंट ऊर्जा की आवश्यकता हो तो केला भी एक बहुत उपयोगी फल है। बच्चों व किशोरी को इसका नियमित सेवन करना चाहिए।

  1. प्रोटीन से भरपूर भोज्य पदार्थों का सेवन करें

दूध, पनीर, चीज, दाल, बीन्स आदि भोज्य पदार्थ प्रोटीन के उत्तम स्रोत है। प्रोटीन सभी कोशिकाओं की सक्रियता को बढ़ाने में मदद करता है। किंतु दही व छाछ संभवत यह कार्य नहीं करते। असल में दही व छाछ में भी लैक्टिक एसिड पाया जाता है जो फटीग का कारण है। इसीलिए दही व छाछ के सेवन से हमें बहुत ही शिथिल तथा उबाऊ महसूस होता है।

  1. नट्स व ऑयल सीड्स का समावेश करें

नट्स व ऑयल सीड्स की कम मात्रा ही उपयोग में आती है किंतु यह थोड़ी सी मात्रा भी बहुत गुणकारी है । कुछ बादाम, काजू, पंपकिन सीड्स, फ्लेक्स सीड्स और सनफ्लावर सीड्स की मात्रा भी हमारे दिन भर की आवश्यक पोषक तत्वों की जरूरत को पूरा करती है। इसे प्राप्त होने वाले माइक्रोन्यूट्रिएंट्स जहां एक ओर शरीर की कोशिकाओं से अपशिष्ट पदार्थों को बाहर निकलने में मदद करते हैं वही दुसरी ओर इससे प्राप्त कैल्शियम तंत्रिका तंत्र की अवचेतना के लिए अत्यंत आवश्यक है। यदि हमारा तंत्रिका तंत्र चेतन रहेगा तो थकान व शिथिलता कम महसूस होगी।

  1. खूब पानी का सेवन करें

यह तो आप जानते ही हैं कि शरीर तभी सक्रिय महसूस करता है जब‌ नसों में रक्त पर्याप्त गति से प्रवाहित हो रहा हो। डिहाईड्रेशन या पानी की कमी होने पर शरीर में रक्त का वॉल्यूम भी कम होने लगता है तथा ब्लड सर्कुलेशन धीमा हो जाता है । इस स्थिति में कोशिकाओं को पोषण व ऑक्सीजन दोनों ही नहीं मिल पाती तथा उनकी निष्क्रियता बढ़ती है। इसका निवारण यह है अपनी दिनचर्या में काम से कम 8 से 12 गिलास पानी अवश्य पिए। यह न केवल कोशिकाओं को हाइड्रेट रखता है अपितु ब्लड सर्कुलेशन को भी नियमित करता है।

  1. चाय वह काफी का विवेकपूर्ण सेवन करें

हम हमेशा से यही जानते हैं कि चाय व कॉफी पीने से शरीर में फुर्ती आ जाती है। फिर विशेषज्ञ यह क्यों कहते हैं कि चाय व कॉफी के ज्यादा सेवन से शरीर शिथिल हो जाता है। आइए समझते हैं। चाय व कॉफी दोनों में ही तंत्रिका तंत्र को चेतन करने वाले रासायनिक तत्व पाए जाते हैं। यह रासायनिक तत्व सीधे हमारे मस्तिष्क पर असर करते हैं तथा कुछ न्यूरोट्रांसमीटर का स्त्राव करवाते हैं। इन न्यूरोट्रांसमीटर के असर से हमें कुछ समय के लिए ताजा महसूस होता है। किंतु बार-बार इन पेय पदार्थो के सेवन से हमारे तंत्रिका तंत्र को उनकी आदत हो जाती है व मस्तिष्क पर इनका असर कम होने लगता है। ऐसा भी देखने में आया है कि चाय व कॉफी ना मिलने पर व्यक्ति का शरीर तथा तंत्रिका तंत्र दोनों ही शिथिल पड़ जाते हैं। जो की एक हानिकारक स्थित है।

  1. ट्रिइप्टोफैन युक्त भोज्य पदार्थों का समावेश करें

“ट्रिइप्टोफैन” असल में एक अमीनोएसिड है जो शरीर में अन्य कार्यों के अतिरिक्त एक हार्मोन सेरोटोनिन के स्त्रवण में सहायक होता है। स्वास्थ्य अनुसंधानों के अनुसार यह सेरोटोनिन “फील गुड हार्मोन” भी कहलाता है, क्योंकि यह तंत्रिकाओं को रिलेक्स करता है तथा थकान दूर करता है।  प्रोटीन से भरपूर भोज्य पदार्थों जैसे चीज, टोफू (सोयाबीन का पनीर), पाइनएप्पल, नट्स तथा ऑयल सीड्स में यह ट्रिप्टोफैन पाया जाता है। यदि हम ट्राइप्टोफैन युक्त भोज्य पदार्थों का सेवन करते हैं तो हम न केवल थकान से बच सकते हैं बल्कि डिप्रेशन व एंजायटी को भी दूर रख सकते हैं।

मिठाई या मीठे पर पदार्थ जैसे शरबत आदि भी सेरोटोनिन के श्रवण को बढ़ाते हैं किंतु यह अतिरिक्त शुगर हमारे शरीर के लिए लाभप्रद नहीं है इसलिए इनका उपयोग पर सदैव नियंत्रण रखना चाहिए।

  1. अपने वजन को नियमित रखें

चाहे कोई भी बीमारी हो या कैसा भी विकार, सारा मसला घूम-फिर कर वजन पर ही आ जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि हमारा शारीरिक वजन हमारे सभी आदतों तथा जीवन शैली का आईना है। भोजन तथा व्यायाम में लंबी गड़बड़ी वजन में काफी बढ़ोतरी कर देता है।अधिक वजन यानी शरीर में निष्क्रिय वसा का जमाव जिसे वैज्ञानिक Adiposity कहते हैं। एडीपोज असल में निष्क्रिय वसा है जो त्वचा के नीचे जम जाती है तथा आसपास की कोशिकाओं को भी निष्क्रिय कर देती है। ऐसी निष्क्रिय कोशिकाओं की बढ़ोतरी अन्य सक्रिय कोशिकाओं पर भी असर करती है तथा शरीर के अंगों को शिथिल बनाती है। हमारा वजन पर नियंत्रण हमें बहुत सारे रोगों को शरीर से दूर रखता है ।

  1. प्रतिदिन प्राणायाम करें

प्राणायाम एक ऐसी क्रिया है जो रक्त में ऑक्सीजन की मात्रा को बढ़ाती है। इसके अतिरिक्त फेफड़ों में जमी व फंसी अतिरिक्त कार्बन डाइऑक्साइड को भी शरीर से बाहर निकाल देती है। ऑक्सीजन की पर्याप्त मात्रा कोशिकाओं की सक्रियता को बढ़ाती है तथा शरीर को शिथिल होने से रोकती है।

हमारे देश में होने वाले सभी आहार तथा स्वास्थ्य से संबंधित अनुसंधानों का मुख्य उद्देश्य आने वाली पीढ़ी को और अधिक सुडौल तथा सक्रिय बनाना है।लेकिन संकेत कुछ और ही है नवीन पीढ़ी बहुत ही कम उम्र में शिथिल तथा रोगी होती जा रही है।इसकानिवारण संतुलित आहार व नियमित जीवन शैली में ही निहित है।

  • लेखिका खाद्य एवं पोषण विशेषज्ञ व गृह विज्ञान व्याख्याता है।