हस्तक्षेप

– हरीश बी. शर्मा

भारतवंशी सुनीता विलियम्स बुधवार सुबह पृथ्वी पर लौट आएंगी। नौ महीने इंटरनेशनल स्पेस सेंटर में रहने के बाद उनके पृथ्वी पर आने की खबर ने इस बात को साबित किया है कि वैज्ञानिकों ने कितनी प्रगति की है। यह वैज्ञानिक प्रगति का ही परिणाम है कि असंभव से लगने वाले कार्य को संभव होते हुए सारी दुनिया देखेंगी। सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर के स्पेस सेंटर में फंसने के बाद तमाम तरह की अटकलें लगाई जा रही थीं, जिसमें आशंकाएं अधिक और संभावनाएं कम थीं। बार-बार इसके लिए वैज्ञानिकों की टीम प्रयास भी कर रही थी, लेकिन कोई सफलता हाथ नहीं लगने की वजह से ऐसा माना जा रहा था कि कोई अनहोनी नहीं हो जाए। आखिरकार जब देश-दुनिया को यह खबर मिल रही है कि सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर आ रहे हैं तो भारत में भी खुशी है।
लेकिन इससे अधिक खुशी अंतरिक्ष की गतिविधियों का अध्ययन करने वालों को है, क्योंकि ये नौ महीने शोध और अनुसंधान के लिए बोनस की तरह मिले हैं, जिसमें डर तो रहा ही होगा, लेकिन नौ महीने तक बहुत करीब से अंतरिक्ष की गतिविधियों को देखने का जो अवसर दोनों को मिला है, बहुत सारी नई बातें समझ आई होंगी। जो आने वाले दिनों में सामने भी आई होगी। अंतरिक्ष को लेकर हमारी ज्ञान परंपरा में अनेक बातें दर्ज हैं। इनमें से कईयों को मिथ भी कहा गया है, इस बात में कोई शक नहीं है कि पुराणों में दर्ज बातें धरती के इंसानों की कल्पनाओं से होते हुए ही समाज में प्रचलित हुई है, लेकिन समय-समय पर इन संभावनाओं से इंकार नहीं किया गया है कि पृथ्वी के अलावा अनेक ऐसे ग्रह हैं, जहां जीवन हो सकता है।
हो सकता है वहां का जीवन हमारे जितना प्रगतिशील नहीं हो और हो सकता है वहां के लोग हमारे यहां से अधिक ताकतवर और समृद्ध हों, लेकिन यह सभी बातें आज भी कल्पनाओं के दायरे में ही रहती है। एक समय था जब कुंओं की खुदाई में भी बौने-मानवों के निकलने की चर्चाएं होती थीं। इन चर्चाओं का आधार भी हमारे पुराण ही थे, जितने पाताल लोक की परिकल्पना की गई और पाताल में नागों का वास बताया गया। पाताललोक में क्या है, इस संबंध में भले ही पता नहीं चला हो, लेकिन विज्ञान के आविष्कार अब समुदं्र के नीचे से गुफा बनाकर रेल चलाने की दिशा में जुट गए हैं। भारत में ऐसे कईं प्रोजेक्ट चल रहे हैं, जिसमें समुंद्र तल के नीचे से गुफा बनाई जा रही है, जिसका लक्ष्य आवागमन आसान करना है।
मतलब पाताल तक तो हम पहुंच चुके हैं और अपनी आवश्यकता के अनुसार उसका उपभोग भी कर रहे हैं, लेकिन अंतरिक्ष आज भी शोध और अनुसंधान का विषय है। दावे जरूर किये जा रहे हैं कि मंगल ग्रह पर जमीनें बेची जा रही हैं, लेकिन इन सभी को लेकर कुछ भी निश्चित नहीं हैं। ऐसे में सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर जो लगभग नौ महीने वहां रहकर आएं हैं, बहुत कुछ देखा समझा होगा और उनके अध्ययन से अनेक ऐसी बातें सामने आई होंगी, जिससे न सिर्फ वैज्ञानिक शोध और अनुसंधान को गति मिलेगी बल्क् िदेश-दुनिया की आम अवाम के कौतुहल और जिज्ञासाओं का भी शमन होगा। बहरहाल, बेसब्री से इंतजार उस समय का है, जब दोनों धरती पर लौटेंगे। यह समय बुधवार सुबह लगभग चार बजे के आसपास का रहेगा।‘लॉयन एक्सप्रेस’ के संपादक हरीश बी.शर्मा के नियमित कॉलम ‘हस्तक्षेप’ के संबंध में आपके सुझाव आमंत्रित हैं। आप 9672912603 नंबर पर वाट्स अप कर सकते हैं।