बिहार में सीट शेयरिंग के मसले पर राहुल के दबाव में नहीं आएंगे तेजस्वी


हस्तक्षेप
– हरीश बी. शर्मा
कांग्रेस को बिहार में अपने ही ‘इंडिया-ब्लॉक’ से बड़ी चुनौती मिलने वाली है। कमोबेश वैसे ही हालात यहां भी सामने हैं, जैसे दिल्ली में विधानसभा चुनाव की घोषणा के साथ बने थे। बिहार में चुनाव अगले वर्ष है और इससे पहले ही आरजेडी ने साफ कर दिया है कि बिहार चुनाव के मसले पर कांग्रेस को व्यावहारिक होना चाहिए। इस बात का सीधा अभिप्राय है कि बिहार में राजेडी कांग्रेस की या इसे इस तरह भी समझ लें कि राहुल गांधी की धौंस नहीं चाहता है बल्कि सीटों की शेयरिंग का आधार जमीन हकीकत को रखना चाहता है।
प्रारंभिक दौर मे जहां ऐसा लग रहा था कि बिहार में कांग्रेस अपर-हैंड रहेगी और आरजेडी को दबाने में कामयाब हो जाएगी, वैसा कुछ भी नहीं है, क्योंकि कांग्रेस कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के सामने आरजेडी के तेजस्वी यादव ने साफ तौर पर बिहार के आंकड़े रख दिए हैं, जिसका सीधा अर्थ है कि बिहार में आरजेडी सीट शेयरिंग के मसले पर कोई समझौता नहीं चाहती। अर्थ यह कि उसे जो और जितनी सीट चाहिए, उसमें कोई दखल नहीं होना चाहिए।
पिछले विधानसभा चुनाव के आंकड़ें देखें तो कांग्रेस ने पिछले विधानसभा चुनाव में 70 सीटों पर चुनाव लड़ा, इन सीटों में से 19 पर कांग्रेस को जीत मिली। आरजेडी ने 144 सीटों पर चुनाव लड़ा और 75 सीटों पर जीत दर्ज की। इसी आधार को आरजेडी ने कांग्रेस के सामने रखा और कहा है कि सीटों को गंवाने की बजाय यह देखा जाए कि जहां-जहां जीत की संभावना है, वहीं पर कांग्रेस अपना प्रत्याशी उतारी। प्रकारांतर से अधिकांश सीटों पर आरजेडी ही एनडीए से मोर्चा ले।
इस तर्क के बाद राहुल गांधी के उन प्रयासों को धक्का लगा है, जिसमें उन्होंने बिहार पर पूरी तरह से फोकस कर रखा था। बिहार में कन्हैयाकुमार के बूते विधानसभा चुनाव में उपलब्धि अर्जित करने की योजना बना रही कांग्रेस ने पिछले दिनों राहुल गांधी के तीन दौरे बिहार में करवाए, जिससे वहां जनमत बनाया जा सके, लेकिन अब अगर आरजेडी ने सीट शेयरिंग के मसले पर कांग्रेस के दबाव को नहीं माना तो फिर स्थितियां विकट हो सकती है।
बिहार की राजनीति में लालू यादव की मंशा है कि तेजस्वी यादव अपना अस्तित्व साबित करे, ऐसे में यह सवाल ही खड़ा नहीं होता कि वे तेजस्वी को कोई समझौता करने देंगे। दूसरी ओर बिहार में नीतिश कुमार का बेटा निशांत कुमार भी राजनीति में सक्रिय है। रामविलास पासवान के बेटे चिराग पासवान ने तो देश का ध्यान अपनी ओर खींचा है। ऐसे में राहुल गंाधी के लिए लालू यादव अपने बेटे तेजस्वी यादव को पीछे कर देंगे, मानने में नहीं आता। फिर यहां राहुल गांधी भी नहीं बल्कि कन्हैयाकुमार हैं, जिन्हें प्रमोट करने को लेकर कांग्रेस में भी धड़ेबंदी शुरू हो चुकी है।
ऐसे में आने वाले दिनों में बिहार की राजनीति के रंग बदलेंगे। अभी चुनाव दूर है, लेकिन जिस तरह से मिलने-मिलाने का दौर शुरू हो चुका है। बहुत ही जल्द कांग्रेस को बड़ा और सख्त निर्णय लेना होगा। अगर ऐसा नहीं हुआ जो यहां भी ‘इंडिया-ब्लॉक’ बिखरा हुआ नजर आएगा।
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