नई दिल्ली। लगातार दो ओलंपिक में पदक जीतने वाले पहले भारतीय एथलीट सुशील कुमार का रियो ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने का सपना टूट गया है क्योंकि 74 किग्रा फ्रीस्टाइल वर्ग में नरङ्क्षसह यादव ही भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे। भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के अध्यक्ष बृजभूषण शरण ङ्क्षसह ने गुरुवार को यह स्पष्ट कर दिया कि रियो ओलंपिक में 74 किग्रा भार वर्ग में भारत को ओलंपिक कोटा दिलाने वाले पहलवान नरङ्क्षसह ही हिस्सा लेंगे। बृजभूषण के बयान के बाद सुशील और नरङ्क्षसह के बीच ट्रायल की संभावना भी समाप्त हो गई है। कुश्ती महासंघ ने भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) को क्वालीफाई करने वाले जिन पहलवानों की सूची भेजी है उसमें भी 74 किग्रा वर्ग में नरङ्क्षसह का ही नाम है। उल्लेखनीय है कि नरङ्क्षसह ने गत वर्ष लास वेगास में हुई विश्व चैम्पियनशिप में कांस्य पदक जीतकर देश को ओलंपिक कोटा दिलाया था।

जिसने कोटा लिया वही जाएगा

बृजभूषण ने रियो ओलंपिक के लिए नरङ्क्षसह और अनुभवी सुशील के बीच ट्रायल कराने को लेकर चल रही बहस को विराम देते हुए कहा, फैसला हो चुका है, जिसने कोटा लिया है वही रियो जाएगा। परम्परा यही रही है जो क्वालीफाई करता है वही ओलंपिक जाता है। डब्ल्यूएफआई के अध्यक्ष ने कहा, हमने कभी अपनी ओर से कोई बयान नहीं दिया है कि इन पहलवानों का कोई ट्रायल होगा या नहीं। उन्होंने कहा कि सुशील ने भी हमें लिखित में ट्रायल के लिए नहीं कहा है। 

भार वर्ग बदलने से बढ़ी मुश्किल

उल्लेखनीय है कि सुशील पहले 66 किग्रा फ्रीस्टाइल वर्ग में हिस्सा लेते थे। उन्होंने 2008 बीजिंग और फिर 2012 लंदन ओलंपिक में 66 किग्रा भार वर्ग में देश को क्रमश: कांस्य व रजत पदक दिलाए थे। लेकिन फिर विश्व कुश्ती महासंघ के ओलंपिक से 66 किग्रा कैटेगरी हटाने के बाद सुशील के लिए मुश्किलें खड़ी हो गईं। उन्हें अपना भार वर्ग बदलकर 74 किग्रा करना पड़ा। उधर नरसिंह शुरुआत से ही 74 किग्रा भार वर्ग में उतरते हैं। 2010 राष्ट्रमंडल खेलों के स्वर्ण पदक विजेता नरसिंह ने लंदन ओलंपिक में इसी भार वर्ग में देश का प्रतिनिधित्व किया था। 

खेल मंत्रालय नहीं करेगा हस्तक्षेप

इस बीच केन्द्रीय खेलमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने भी कह दिया है कि सुशील व नरसिंह के मामले में खेल मंत्रालय कोई हस्तक्षेप नहीं करेगा। सोनोवाल ने कहा कि कुश्ती महासंघ एक स्वायत्त संस्था है और मंत्रालय उसके फैसलों या कामकाज में किसी तरह का हस्तक्षेप नहीं करेगा। खेलमंत्री ने कहा, यह फैसला महासंघ का होगा कि नरङ्क्षसह और सुशील के बीच ट्रायल कराया जाए या नहीं। 

सुशील ने दोहराया ट्रायल कराएं

सुशील ने गुरुवार को एक बार फिर दोहराया कि ट्रायल कराया जाए और जो बेहतर पहलवान हो उसे ही रियो भेजा जाए। सुशील ने कहा, मैं यह नहीं कह रहा कि आप मुझे मेरे पूर्व प्रदर्शन के आधार पर रियो भेजें। मेरा कहना यही है कि नरङ्क्षसह और मुझमें जो भी बेहतर हो, वही रियो जाए। जब कोटा देश से सम्बन्धित है, किसी एक व्यक्ति से नहीं और उस वर्ग में दो बेहतरीन पहलवान हैं तो फिर एक ट्रायल होना चाहिए।

दुर्भाग्यपूर्ण फैसला

सुशील के कोच महाबली सतपाल ने इस बारे में कहा कि यह फैसला देश के लिए दुर्भाग्यपूर्ण होगा। द्रोणाचार्य अवार्डी सतपाल ने हैरानी जताते हुए कहा कि बिना ट्रायल कराए ऐसे कोई फैसला कैसे लिया जा सकता है। उन्होंने कहा, यह बड़े अफसोस की बात होगी यदि सुशील ओलंपिक से बाहर होते हैं। वह दो बार सरकार के खर्चे पर ट्रेङ्क्षनग के लिए जॉर्जिया गए और हाल में एक महीने की ट्रेङ्क्षनग करके लौटे हैं। उन्होंने नाराजगी जताते हुए कहा, फेडरेशन बिना ट्रायल कराए एेसे सूची कैसे भेज सकती है।